इंदौर-खंडवा रेल प्रोजेक्ट को वन विभाग की मंजूरी, अब दक्षिण भारत का रास्ता सुगम
दशकभर से बंद इंदौर-खंडवा रेल लाइन को मिली रफ्तार, व्यापार और यात्रा में बचेगा समय

इंदौर; इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल परियोजना को वन विभाग से बहुप्रतीक्षित अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मिल गया है। इससे अब इस महत्वपूर्ण रेल लाइन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। यह रेल मार्ग उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला सबसे छोटा और सीधा रूट होगा, जिससे व्यापार, उद्योग, पर्यटन समेत आम यात्रियों को भी सीधा लाभ मिलेगा।
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने परियोजना की प्रगति में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने रेलवे और वन विभाग के बीच समन्वय कर जरूरी तकनीकी व प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल करवाया। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी भेंट कर इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता में शामिल कराया। अंततः वन विभाग ने 454 हेक्टेयर भूमि पर ट्रैक बिछाने की मंजूरी दे दी। इस भूमि में महू और बड़वाह तहसील का बड़ा हिस्सा शामिल है।
एक दशक से इंदौर-खंडवा के बीच रेल संपर्क बंद पड़ा था। पूर्व में यह मीटरगेज लाइन थी जो महू, पातालपानी, कालाकुंड, बलवाड़ा, चौरल होते हुए खंडवा तक जाती थी। ब्रॉडगेज लाइन का नया ट्रैक पातालपानी के पहले घूमकर बलवाड़ा तक ले जाया जाएगा, जिससे इंदौर-खंडवा की दूरी 48 से बढ़कर 80 किमी हो जाएगी। यह वृद्धि पहाड़ी क्षेत्र में 32 किमी लंबे घुमाव के कारण होगी।
इस रेल लाइन के शुरू होते ही इंदौर का सीधा संपर्क खंडवा, भुसावल, नासिक, मुंबई के अलावा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों से हो जाएगा। वहीं उत्तर भारत के जयपुर, अजमेर जैसे शहरों तक भी सीधी पहुंच आसान हो जाएगी।

यह प्रोजेक्ट न सिर्फ समय की बचत करेगा बल्कि रेलवे को राजस्व में इजाफा भी दिलाएगा। व्यापारियों, किसानों और आम यात्रियों के लिए यह मार्ग वरदान साबित होगा। मालवांचल क्षेत्र को इससे नई आर्थिक गति मिलने की उम्मीद है।