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शिक्षा की परख: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 की रिपोर्ट जारी की, तीन स्तर पर 100 स्कूलों के 2854 बच्चों का स्तर देखा

जिले के छोटे बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत के करीब, बढ़ती कक्षाओं के साथ पढ़ाई में हो रहे विद्यार्थी कमजोर

आशीष यादव धार

जिले में प्री प्राइमरी से कक्षा 2 तक के बच्चों की पढ़ाई का स्तर राष्ट्रीय और मध्य प्रदेश के स्तर के लगभग बराबर है। लेकिन कक्षाएं बढ़ने के साथ स्थिति कमजोर हो रही है। प्री प्राइमरी में प्रदेश शासन के अधीन आने वाले स्कूलों के बच्चे बेहतर साबित हो रहे हैं। दूसरी ओर कक्षा 3 से पांचवीं और पांचवीं से आठवीं तक आते-आते सेंट्रल बोर्ड के स्कूलों के बच्चों का प्रदर्शन बाकियों से अच्छा है।

भाषा से लेकर गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान और सामान्य जानकारियों को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 (परख) के आंकड़ों से ये बातें पता चलती हैं। जिले के 100 स्कूलों के 350 शिक्षकों और 2854 बच्चों का सर्वे कर रिपोर्ट जारी की गई। गई है। रिपोर्ट तीन स्तर पर जारी की गई है। फाउंडेशन स्तर में आंगनवाड़ी या प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा 2 तक के बच्चों को शामिल किया गया। इसके बाद प्रिपरेटरी स्टेज में कक्षा 3 से 5 तक के 8 से 11 साल की उम्र के बच्चे रहे। तीसरी स्टेज मिडल स्टेज है। मिडल स्टेज में कक्षा 6 से 8 के 11 से 14 साल की उम्र के बच्चों पर सर्वे किया गया। रिपोर्ट में ये भी साफ हुआ कि फाउंडेशन स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वालों में अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे अधिक हैं। लेकिन प्रिपरेटरी और मिडल स्टेज में आकर इनकी संख्या कम हो रही है। बढ़ती कक्षाओं के साथ सभी बच्चे गणित और विज्ञान में कमजोर हो रहे हैं। जबकि सामाजिक विज्ञान में जिले के साथ राष्ट्रीय और मध्य प्रदेश का औसत भी खराब है।

ऐसा रहा जिले का स्कोर:
फाउंडेशन (प्री प्राइमरी से कक्षा 2 तक):
भाषा में औसत प्रदर्शन: जिले का औसत 64% है। देश का भी 64 और मध्य प्रदेश का 66 प्रतिशत। जिले में लड़कियों का औसत 66 और लड़कों का 62 प्रतिशत। ग्रामीण बच्चे (65%) शहरी बच्चों (57%) से 8 प्रतिशत आगे हैं। राज्य सरकार के केस स्कूलों का प्रदर्शन 71, सरकारी निधि प्राप्त स्कूलों का 62, निजी मान्यता प्राप्त का 57 और केंद्रीय सरकार के स्कूलों का 50 प्रतिशत प्रदर्शन रहा। एससी वर्ग के 72 प्रतिशत, एसटी के 64, ओबीसी के 63 और अन्य के 62 प्रतिशत बच्चे सफल हुए।
गणित में औसत प्रदर्शनः राष्ट्रीय औसत 60, राज्य का 62 और जिले का 59 प्रतिशत। इसमें भी लड़कियां, ग्रामीण बच्चे, प्रदेश सरकार के स्कूलों के बच्चे और एससी वर्ग के बच्चे आगे।

 

प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3 से पांचवीं तक):
भाषा में औसत प्रदर्शनः राष्ट्रीय व राज्य का औसत 57 और जिले का 55 प्रतिशत । लड़कियां 52 व लड़के 57 प्रतिशत सफल हुए। ग्रामीण बच्चे 55 और शहरी 56 प्रतिशत पास हुए। एससी, एसटी और ओबीसी से अन्य वर्ग के छात्र आगे रहे।
गणित में औसत प्रदर्शनः राष्ट्रीय औसत 46, राज्य का 48 और जिले का 44 प्रतिशत रहा। लड़के, लड़कियों से 7 प्रतिशत आगे रहे। केंद्रीय सरकार में पंजीकृत स्कूलों के बच्चे अधिक सफल।
हमारे आसपास का संसारः इस विषय में लड़के, लड़कियों से आगे हैं। ग्रामीण और शहरी बच्चों का प्रदर्शन एक जैसा रहा।

मिडल स्टेज (कक्षा 6 से आठ तक):
भाषा में प्रदर्शनः राष्ट्रीय औसत 54, राज्य का 52 और जिले का 43 प्रतिशत रहा। लड़कियां, लड़कों से एक प्रतिशत आगे रहीं। शहरी बच्चे, ग्रामीण बच्चों से 9 प्रतिशत अधिक सफल। राज्य सरकार के स्कूलों का प्रदर्शन 36 प्रतिशत और केंद्रीय सरकार के स्कूलों का 65 प्रतिशत रहा। एसवी वर्ग के 59 और अन्य के 60 प्रतिशत को सफलता।
गणित में प्रदर्शनः राष्ट्रीय औसत 37, राज्य का 36 और जिले का 31 प्रतिशत। लड़के, लड़कियां और ग्रामीण व शहरी बच्चे बराबर क्षमता वाले मिले।
विज्ञान में प्रदर्शनः राष्ट्रीय औसत 40, राज्य का 39 और जिले का 34 प्रतिशत। लड़कियां 35 व लड़के 34 प्रतिशत सफल। राज्य सरकार के स्कूलों का प्रदर्शन 31 व केंद्रीय का 45 प्रतिशत प्रदर्शन रहा।
सामाजिक विज्ञान में औसत प्रदर्शनः राष्ट्रीय औसत 40 व राज्य का 39 प्रतिशत । लेकिन जिले का केवल 33 प्रतिशत प्रदर्शन रहा। लड़कियों का 34 व लड़कों का 33 प्रतिशत सफलता प्रदर्शन रहा। राज्य सरकार के स्कूलों के 30 व केंद्र के 44 प्रतिशत बच्चों ने सही उत्तर दिए।

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