सेंधवा: जीवों के प्रति दया का संदेश, जैन सभा में अहिंसा की महत्ता
जैन स्थानक में जिनेंद्र मुनि सु्व्रताजी म.सा. और पूज्य शीतलजी म.सा. ने अहिंसा, आत्मचिंतन एवं आधुनिक जीवन की चुनौतियों पर विस्तृत विचार रखे।

सेंधवा; सभी जीवो के प्रति हमें करुणा के भाव रखना चाहिए, पाप को यदि हम पाप समझेंगे तभी हम उससे पीछे हट पाएंगे अगर पाप कार्य में सतत रत रहेंगे तो पाप करते रहेंगे। उक्त उद्गार प्रवर्तक जिनेंद्र मुनि जी की अज्ञानुवर्तनी पूज्य श्री सुव्रताजी म.सा. ने जैन स्थानक में कहें।
आपने कहा कि जैसी हमारी आत्मा है वैसी अन्य जीवो की भी आत्मा है, अहिंसा परम धर्म है इसलिए हमें छोटे से छोटे जीव की हिंसा से बचना है। भगवान ने पानी की एक बूंद में असंख्य की जीव बताएं है, वर्तमान में विज्ञानिकों ने भी पानी की एक बूंद में हजारों जीव होते हैं यह माना है परंतु उसके बाद भी हम पानी का कितना दुरुपयोग कर रहे हैं और पानी का व्यर्थ उपयोग करके अनर्थ में जीव हिंसा कर रहे हैं। आज व्यक्ति बिना सोचे, बिना समझे, बिना कारण के व्यर्थ में पानी ढोलता है। जब तक हमारे मन में छोटे से छोटे जीवो की प्रति दया के भाव नहीं होंगे तब तक हम अनर्थ में हिंसा करते रहेंगे इसलिए ज्ञानीजन फरमाते हैं कि हम व्यर्थ में हो रही हिंसा से बचना चाहिए।
इसके पुर्व पुज्य शीतल जी म.सा ने कहा कि हमें परमात्मा से कनेक्शन करना है ओर हम सद्गुणों का कलेक्शन करे अर्थात जो आत्मा तपस्वी हो, ज्ञानी हो, विनयशील, महज्ञानी हो ओर गुणो की अनुरागी हो ऐसी आत्माओं का चिंतन करे उनका सान्निध्य का अवसर मिले तो वह प्राप्त करे। ऐसा करके हमें उनके मार्ग पर चलने का प्रयास करना है। आपने कहा कि हमें अपने दोषों में करेक्शन भी करना है, हमें स्वयं के अवगुणों पर चिंतन करना है। क्या कारण है कि हम धर्म मार्ग अध्यात्म मार्ग पर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं क्यों हमारा समय सिर्फ प्रमाद में जा रहा है। आज हमारे सामने मोबाइल एक बड़ी समस्या है, बच्चों से लेकर बड़ों तक का ज्यादा समय इसमें जा रहा है, हम स्वयं चिंतन करें कि हम व्यर्थ के दोषों से कैसे दूर रहें और कषायों को अपने ऊपर हावी न होने दे।
श्री संघ के अध्यक्ष अशोक सखलेचा ने बताया कि आज केवल गर्म जल पर आधारित 8 उपवास के पच्खान सौ प्रभावती भट्टुलाल जैन ने एवं सौ. ज्योति कांकरिया ने 7 उपवास के तथा सौ पवन सुराणा ने 6 उपवास के पच्खान लिए तथा इसके साथ ही अनेक श्रावक श्राविकाओं की तप आराधना चातुर्मास बैठने के दिन से सतत चल रही है। आज धर्म सभा में घेवरचंद बुरड, बी.एल.जैन, नंदलाल बुरड़, के.सी. पालीवाल, महेश मित्तल, ओम अग्रवाल, पवन गोयल, राजेंद्र कांकरिया, प्रकाश सुराणा, महावीर सुराणा, डॉ एम.के जैन, तेजस शाह, मितेश बोकड़िया, डॉ अश्विन जैन, विवेक सुराणा सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे