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बड़वानी । गुरु शिष्यों के जीवन को सुआकार देने वाला शिल्पकार

 

बड़वानी । रमन बोरखड़े। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा शासकीय महाविद्यालय, पाटी में मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशन में एक भव्य एवं प्रेरणादायी समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु-शिष्य संबंध की महत्ता को रेखांकित करना और नई पीढ़ी को इस गौरवशाली परंपरा से जोड़ना था।

महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. मंशाराम बघेल ने अपने स्वागत भाषण में गुरु की भूमिका को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए कहा, “गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु देवो महेश्वरः। वे शिष्य के जीवन को आकार देते हैं और उन्हें उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाते हैं।” उन्होंने भगवान शिव, गौतम बुद्ध, महर्षि वेदव्यास एवं संत कबीर के जीवन व शिक्षाओं पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने गुरु की महिमा को इस प्रकार व्यक्त किया थारू

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय

इस अवसर पर आमंत्रित अतिथियों में प्रमुख रूप से सांदीपनी शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य श्री वरुण कुमार कोचले, उपप्राचार्या श्रीमती कीर्ति दांगी, तथा महाविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. दिलीप माहेश्वरी उपस्थित रहे। अतिथियों का तिलक कर व श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। अपने उद्बोधन में डॉ. दिलीप माहेश्वरी ने अपने विद्यार्थी जीवन के प्रेरणास्पद प्रसंगों को साझा करते हुए गुरु सांदीपनी, गुरु चाणक्य जैसे ऐतिहासिक गुरुओं को स्मरण किया। उन्होंने कहा, “गुरु एक दीपक के समान हैं जो स्वयं जलकर अपने शिष्य के जीवन को रोशन करते हैं।”

प्राचार्य श्री वरुण कोचले ने गुरु के मार्गदर्शन को जीवन का दिशा-सूचक बताते हुए कहा कि “गुरु जीवन को केवल शिक्षित ही नहीं करता, बल्कि उसे संस्कारित भी करता है।” श्रीमती कीर्ति दांगी ने अपने विचार रखते हुए विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने गुरुजनों का सम्मान करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की सफलता में गुरु का आशीर्वाद अदृश्य शक्ति के रूप में काम करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. परवेज मोहम्मद ने कहा कि “एक शिष्य के निर्माण में अनेक गुरुओं का योगदान होता है। एक अच्छा गुरु मिलना जीवन का सौभाग्य है और उसकी शिक्षाएँ जीवनभर हमारा मार्गदर्शन करती हैं।” गुरुपूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की उस गहन आध्यात्मिक परंपरा का उत्सव है जहाँ ज्ञान को सर्वाेच्च स्थान दिया गया है और गुरु को ईश्वर का रूप माना गया है। इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थान विद्यार्थियों के भीतर गुरु-शिष्य परंपरा के मूल्यों का सिंचन करते हैं और उन्हें संस्कृति से जोड़ते हैं।

इस अवसर पर छात्रा पूजा नरगावे, खुशी मोरे, सोनिया खरते, प्रियंका चौहान, मौसमी मोरे और छात्र सियाराम जमरे ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने गुरुओं के प्रति अपने श्रद्धाभाव को वाणी दी और बताया कि कैसे उनके जीवन में गुरुजनों की भूमिका प्रेरणास्रोत रही है।

कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के प्रो. दिनेश ब्राह्मणे द्वारा किया गया जिन्होंने गुरुपूर्णिमा पर्व की भूमिका बांधते हुवे कार्यक्रम को एक सुचारु दिशा दी। कार्यक्रम के समापन पर आभार प्रदर्शन डॉ. अंजुबाला जाधव ने किया।

इस आयोजन को सफल बनाने में महाविद्यालय के स्टाफ सदस्य श्री सचिन वर्मा, श्री जगदीश जमरे, श्री विक्रम, श्री कनसिंह एवं श्री शिवजी का विशेष सहयोग रहा।

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