सेंधवा। चातुर्मास के चार माह में मन में रही मलीनता, राग- द्वेष और कषायरूपी गंदगी को हमें बहाना है

सेंधवा। चातुर्मास की घड़ियां दे रही है पैगाम, हमें करना है कुछ घड़ियां धर्म के नाम। धर्म आराधना करके हमें जन्म मरण से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष जाना है। उक्त उद्गार पूज्य प्रवर्तक जिनेन्द्र मुनी जी महाराज साहब की आज्ञानुवरती पूज्या श्री सुव्रता जी महाराज साहब ने जैन स्थानक में कहे। आपने कहा कि जिस प्रकार जब बरसात की शुरुआत होती है तो गटर में जमी हुई 8 माह की गंदगियां बरसात के आने से पानी से साफ हो जाती है। इस प्रकार चातुर्मास के इन चार माह में मन में रही मलीनता, राग- द्वेष और कषायरूपी गंदगी को हमें बहा देना है। जिस प्रकार बरसात होने से गर्मी कम होकर वातावरण में शीतलता आ जाती है इस प्रकार जिनवाणी के श्रवण से हमारे भीतर की गर्मी कम होकर हमारे मन में शीतलता आ जाना चाहिए।
आपने कहा कि वर्षा की इन चार माह में जीवो की उत्पत्ति बहुत अधिक होती है, जीवो की रक्षा के लिए इन चार माह में साधु संत स्थिरता रखकर एक जगह पर चातुर्मास के लिए रुक जाते हैं और धर्म आराधना करते हैं। हमें छोटे से छोटे जीव के प्रति दया भाव रखकर उन्हें अभयदान देना है।
श्री संघ के अध्यक्ष अशोक सकलेचा ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 7 से 7.30 बजे तक प्रार्थना सुबह 9 बजे से 10 बजे तक प्रवचन रहेंगे एवं दोपहर में ढाई से 3.30 बजे तक धर्म चर्चा का समय रहेगा।
गुप्त धर्म सभा में घेवरचंद बुरड़, बी.एल. जैन, छोटेलाल जोगड़, चंद्रकांत सेठ, नंदलाल बुरड़, राजेंद्र कांकरिया के सी पालीवाल, महेश मित्तल, ओम अग्रवाल, श्याम गोयल, पवनअग्रवाल,प्रेमचंद सुराणा, डॉ एमके जैन, सुरेश बागरेचा, दिलीप सुराणा, मांगीलाल सुराणा सहित अनेक श्रावक श्राविकाएं का उपस्थित थे इस अवसर पर अनेक श्रावक श्राविका ने एवं राजपुर से आए जैन श्रद्धालुओं ने उपवास उपवास के पच्खान लिए।