बड़वानी। बिना लायसेंस के अवैध हथियार रख कर कानून को ताक पर रखने वाले पर कानून का शिकंजा, न्यायालय ने किया 10 वर्ष के कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया

बड़वानी। भारतीय संविधान और कानून नागरिकों को आत्मरक्षा का अधिकार प्रदान करते है, जिससे वह अपनी तथा दूसरों की सुरक्षा कर सकें, इसे कानून के दायरे में रहकर ही प्रयोग किया जा सकता है। आत्मरक्षा के नाम पर किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नही देता है, यदि आत्मरक्षा की आड मे कोई गैर कानूनी कार्य किया जाता है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिये हर नागरिक को अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों को कानूनी सीमाओं का भी पालन करना अनिवार्य है, किन्तु बिना लायसेंस के अवैध रूप से प्राणघातक हथियार छिपाकर रखना जैसे अपराध समाज मे भय और अराजकता फैलाते है, जिन पर कठोर दण्ड आवश्यक है।
संक्षेप मे मामला इस प्रकार है कि 02 जून 2024 को चौकी बालसमुद पर पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक महेन्द्रसिंह चौहान को विश्वसनीय मुखबीर से सूचना प्राप्त हुई कि एक व्यक्ति मंडवाडी होते हुए, पैदल पानवा फाटे तरफ जा रहा है, जिसने ब्लू रंग का शर्ट पहना है, जिसने अपनी लोअर के अन्दर पिस्टल छिपाकर रखे है। जिस पर विश्वास करते हुए सहायक उपनिरीक्षण श्री चौहान पुलिस बल के साथ अवैध हथियार की धड पकड हेतु रवाना हुए। रास्ते से दो पंचान लेकर पानवा फाटा पहुँचे, जहां पर पुलिया के पास एक व्यक्ति मुखबीर बताए हुलिया अनुसार आते दिखा, जो पुलिस को देखकर भागने लगा। उसे घेरा बंदी कर पकडा एवं नाम पता पुछने पर उसने अपना सम्पत उर्फ सनपत पिता किशोर, आयु 25 वर्ष, निवासी इन्द्रपुरी होना बताया। तलाशी लेने पर उसने पहने काले रंग के लोअर के अंदर एक सफेद थैली कपडे की बनी होकर उसमे 4 जेब होकर 4 हस्तनिर्मित पिस्टल मेगजीन लगे हुए 32 बोर ग्रुप के पाये गये, जॉच मे सामने आया कि अभियुक्त सम्पत के पास बिना लायसेंस के प्राण घातक हथियार बरामद हुए थे, जो कानूनन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।
मामले की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से प्रभावशाली पैरवी जिला अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक श्री जगदीश यादव के द्वारा करते हुए टेक्निकल साक्ष्य व जप्ती रिपोर्ट तथा गवाहों के बयान को मजबूती से प्रस्तुत करते हुए यह साबित किया कि अभियुक्त का कृत्य न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज की सुरक्षा के लिए एक बडा खतरा भी है।
यह निर्णय विशेष न्यायाधीश श्री रईस खान द्वारा दिया गया होकर उक्त निर्णय न्याय व्यवस्था की मजबूती और अपराध के प्रति जीरों टॉलरेंस निति का स्पष्ट संकेत है तथा कानून व्यवस्था को सुदृढ करने की दिशा मे एक अहम फैसला है।