मन का प्रवाह परमार्थ, प्रेम और परोपकार में होना चाहिए – प.पू. उत्तम स्वामी
नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आनंद नगर में चल रहे रामकथा महोत्सव में प्रेरक आशीर्वचन – सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति माहेश्वरी भी पहुंचे

अग्रवाल संगठन नवलखा क्षेत्र इंदौर
मन का प्रवाह परमार्थ, प्रेम और परोपकार में होना चाहिए – प.पू. उत्तम स्वामी
नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आनंद नगर में चल रहे रामकथा महोत्सव में प्रेरक आशीर्वचन – सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति माहेश्वरी भी पहुंचे
इंदौर। सारा मामला मन का है। मन की गति और मन का प्रवाह सबसे अलग चलते हैं। दुनिया में सारा निर्धारण मन पर ही निर्भर होता है। मन का स्वभाव सबसे चंचल और तेज माना गया है। कोई समझे या न समझे लेकिन भगवा चीटी के पैरों की आवाज भी सुन लेते हैं। भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए सत्य, प्रेम, साधना और सत्संग जैसे सदगुण जरूरी हैं। मन कोई घोड़ा या हाथी नहीं है, जिस पर अंकुश लगाया जा सके। मन को तो संतो की सन्निधि में रहते हुए भगवान की ओर से मोड़ना होगा, तभी सदगुणों की ऊर्जा प्राप्त होगी। मन का प्रवाह परमार्थ, प्रेम और परोपकार में होना चाहिए। राम के चरणों में लगाया गया मन हमें संसार से साधना की ओर ले जाएगा। संतों के दर्शन और सानिध्य से सुख का मार्ग प्रशस्त होता है।
प्रख्यात मानस मनीषी महामंडलेश्वर प.पू. उत्तम स्वामी महाराज ने शुक्रवार को अग्रवाल संगठन नवलखा की मेजबानी में आनंद नगर खेल परिसर मैदान पर चल रहे रामकथा महोत्सव के दौरान उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा श्रवण के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी भी आज विशेष रूप से आनंद नगर पहुंचे। हंसदास मठ के महामंडलेश्वर महंत पवनदास महाराज, महंत वामनदास, महंत मंगलनाथ सहित जगन्नाथपुरी एवं गंगोत्री से भी आए हुए संतों, महंतों ने भी व्यासपीठ का पूजन किया। आयोजन से जुड़े संदीप गोयल, पार्षद मृदुल अग्रवाल, गोविंद मोरनी, मंडी अध्यक्ष संजय अग्रवाल, राजेन्द्र अग्रवाल, अखिलेश गोयल, राजेन्द्र गोयल, मनीष मोरनी, सुनील बड़गोंदा, संजय हाई-वे आदि ने सभी अतिथियों और संतों का स्वागत किया। आशीष मितल आनंद नगर, आशीष बालाजी मेडिकल, विमल बंसल सचिन बंसल, सुनील मित्तल, अनिता गुप्ता, अतुल वनश्री, कमलेश गोयल, हर्ष गोयल आदि ने विधायक गोलु शुक्ला एवं भाजपा प्रवक्ता दीपक जैन टीनू के साथ विद्वान वक्ता की अगवानी की। संयोजक संदीप गोयल आटो ने बताया कि आनंद नगर में कथा का यह प्रवाह 21 अप्रैल तक प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक जारी रहेगा। महामंडलेश्वर प.पू. उत्तम स्वामी ने कहा कि जीवन में हम जो भी कुछ करते हैं, उसका निर्धारण मन करता है। मन से ही हमारी सारी गतिविधियां और संसार की अवस्था तय होती है। सवाल यह है कि मन को भगवान की ओर कैसे मोड़ा जाए। मन कोई घोड़ा नहीं है कि लगाम लगा दी जाए अथवा हाथी नहीं है कि महावत उस पर अंकुश लगा सके। मन तो मन है, उसे परमात्मा के चरणों में मोड़ने के लिए हमें अपने स्वभाव और प्रवाह को राम के चरणों में समर्पित करना होगा। परमात्मा की कृपा को स्वीकार करने की बुद्धि जिस दिन हमारे भीतर आ जाएगी, उस दिन हम मन को साधने का अभ्यास सीख जाएंगे। जब तक ईश्वर की कृपा प्राप्त नहीं होगी, तब तक जीवन में प्रेम रूप धारा का प्राकट्य संभव नहीं है। ईश्वर सर्वभूतानाम है। उन्हें चीटी के पैरों की भी आहट सुनाई देती है।