राम और कृष्ण के गुरू तत्व के कारण ही भारत भूमि को मिला है विश्व गुरू का सम्मान– साध्वी गीता किशोरी
एकल श्रीहरि एवं माहेश्वरी कुटुम्ब की मेजबानी में चल रहे तीन दिवसीय श्री रामकथा प्रसंग का समापन –साध्वी का सम्मान

राम और कृष्ण के गुरू तत्व के कारण ही भारत भूमि को मिला है विश्व गुरू का सम्मान– साध्वी गीता किशोरी
एकल श्रीहरि एवं माहेश्वरी कुटुम्ब की मेजबानी में चल रहे तीन दिवसीय श्री रामकथा प्रसंग का समापन –साध्वी का सम्मान
इंदौर, । राम का चरित्र जितना निर्दोष है, सीताजी का चरित्र उतना ही पवित्र और पावन। नारी का सच्चा आभूषण उसकी लज्जा होती है। राम और कृष्ण दो ऐसे नाम हैं, जो परिपूर्ण गुरू भी हैं और आज्ञाकारी शिष्य भी । राम-कृष्ण के गुरू तत्व के कारण ही भारत भूमि को विश्व गुरू का सम्मान हांसिल हुआ है। उनके गुरू तत्व की पूजा आज भी घर-घर में हो रही है। जिस दिन हर घर में राम जैसा बेटा और सीता जैसी बहू हो जाएंगे, रामराज्य स्वतः चला आएगा। जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे राम नाम का चिंतन छूट जाए। चिंतन छूटेगा तो हमारे भजन और भक्ति भी बिगड़ जाएंगे।
प्रख्यात कथा व्यास साध्वी सुश्री गीता किशोरी के, जो उन्होंने एकल श्रीहरि इंदौर चेप्टर एवं संस्था माहेश्वरी कुटुम्ब के संयुक्त तत्वावधान में छत्रीबाग स्थित पावन सिद्ध धाम श्री लक्ष्मी व्यंकटेश देव स्थान पर आयोजित तीन दिवसीय श्रीराम कथा के समापन दिवस पर राम-सीता विवाह प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में राम-सीता विवाह का उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। व्यासपीठ का पूजन शारदा-प्रकाश अजमेरा, मनोज छापरवाल, राजेश चितलांगिया, रामविलास राठी, श्रीमोहन सोमानी, कमलेश गगरानी, श्याम शारडा, अनिल काकानी आदि ने किया।
समापन अवसर पर कथा व्यास सुश्री गीता किशोरी का माहेश्वरी कुटुम्ब की ओर से गोपाल राठी, श्याम भांगड़िया, रूपेश भूतड़ा, आशीष बाहेती, रामचंद्र काकानी, अशोक शारडा ने शाल-श्रीफल एवं अंग वस्त्र भेंट कर सम्मान किया। इंदौर चैप्टर द्वारा वनवासी अंचलों में संचालित शबरी बस्ती, हनुमान परिवार, शिक्षित भारत, स्वस्थ भारत, संस्कारित भारत, स्वालंबी भारत और समर्थ भारत जैसे अभियान नियमित रूप से चलाए जाएंगे। अजमेरा के आग्रह पर इंदौर चैप्टर से जुड़े कार्यकर्ताओं ने वनवासी अंचलों में पहुंचकर सेवा कार्य करने का संकल्प भी व्यक्त किया।
साध्वी सुश्री गीता किशोरी ने कहा कि जग में कोई भी स्थिर नहीं है, सिवाय राम के। ज्योति स्वरूप केवल राम ही हैं, जिन्हें स्थिर माना गया है। राम और कृष्ण दो ऐसे नाम हैं, जो परिपूर्ण गुरू भी हैं और आज्ञाकारी शिष्य भी हैं। राम-कृष्ण के गुरू तत्व के कारण ही भारत भूमि को विश्व गुरू का सम्मान हांसिल हुआ है। उनके गुरू तत्व की पूजा आज भी घर-घर में हो रही है। सीताजी का त्याग और समर्पण भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। एक आदर्श भारतीय नारी का स्वरूप यदि कहीं देखना हो तो केवल सीता माता में ही मिल सकता है। हमारे कर्म विनाशी हैं, कर्म से मिलने वाले फल भी नाशवान है, लेकिन प्रभु राम और परमात्मा की सेवा के निमित्त किए गए कर्मों का फल कभी नष्ट नहीं होता। संसार के लुभावने विषय भोग और मोह-माया के मकरड़जाल से मुक्ति के लिए अपनी सत्ता का परमात्मा की सत्ता में विलय जरूरी है। बिना सत्संग और गुरू के परमात्मा की कृपा प्राप्त करना संभव नहीं है। धनुष यज्ञ अहंकारी राजाओं के घमंड को तोड़ने का प्रतीक है। मानस की कथा मनुष्य को निर्भयता प्रदान करती है। राम यदि मार्यादा पुरुषोत्तम हैं तो सीताजी भारतीय नारी का आदर्श प्रतिबिम्ब।