व्यक्ति की पहचान कपड़ों और गहनों से नही, उसके चरित्र और गुणों से करें- प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा.
नरसिंह वाटिका में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान की धर्मसभा में आज गुणानुवाद सभा, कल महामांगलिक

व्यक्ति की पहचान कपड़ों और गहनों से नही, उसकेचरित्र और गुणों से करें- प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा.
नरसिंह वाटिका में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान की धर्मसभा में आज गुणानुवाद सभा, कल महामांगलिक
इंदौर,। भक्ति में भावना प्रमुख होना चाहिए, साधन या प्रदर्शन नहीं। जहां बुद्धि का उपयोग करने लगते हैं, वहां भक्ति का लक्ष्य बदल जाता है। वर्तमान युग दर्शन का है, लेकिन प्रदर्शन का होता जा रहा है। भक्ति के मामले में बुद्धि का प्रयोग करना सबसे बड़ी भूल होगी। याद रखें कि व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों और गहनों से नहीं, उसके चरित्र और गुणों से करना चाहिए। हमारे गुण और चरित्र जितने अधिक श्रेष्ठ होंगे, समाज में उनकी उतनी अधिक प्रतिष्ठा और गरिमा होगी। विडंबना है कि बाजार के सबसे सड़े-गले फल, बंद हो चुके और खोटे सिक्के या रुपए भी मंदिर में ही चढ़ाए जाते हैं, यह सोचकर कि भगवान कहां देखने आएंगे। ऐसी भूल कभी मत करना, क्योंकि भगवान हर जगह हमारे कामों पर निगाह रखते हैं।
युवा हृदय सम्राट, जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्नसागर म.सा. के, जो उन्होंने बुधवार को अर्बुद गिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पीपली बाजार, जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ एवं नवरत्न परिवार इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में नरसिंह वाटिका स्थित नवरत्न वाटिका में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान में उत्तराध्ययन सूत्र की विवेचना के दौरान व्यक्त किए। जैनाचार्य ने कहा कि ऐसे लोगों से सावधान रहें, जो आपके कपड़ों, गहनों और अलंकारों को महत्व देकर आपसे रिश्ते बनाते हैं। आपका सच्चा हितैषी वही होगा, जो आपके गुणों को देखकर आपका मान-सम्मान करेगा। समाज में श्रेष्ठ व्यक्ति वही हो सकता है, जो सदगुणों का धनी हो। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष पारसमल बोहरा, चातुर्मास संयोजक पुण्यपाल सुराना, कैलाश नाहर, ललित सी. जैन, दिलसुखराज कटारिया, मनीष सुराना, प्रीतेश ओस्तवाल, दिलीप मंडोवरा एवं दीपक सुराना ने सभी समाजबंधुओं की अगवानी की। लाभार्थी परिवार का बहुमान शैलेन्द्र नाहर, अंकित मारू, रीतिश आशीष जैन, मोनिश खूबाजी, ऋषभ कोचर द्वारा किया गया।
अपने आशीर्वचन में जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. ने कहा कि जिनशासन में अनेक ऐसे साधु और तपस्वी हुए हैं, जिन्होंने भूख-प्यास की चिंता भी नहीं की और मधुमक्खियों तथा अन्य जहरीले जानवरों के दंश को भी सहन किया, लेकिन अपनी तपस्या से डिगे नहीं। हमारी कितनी अलमारियां कपड़ों से भरी हुई हैं, जबकि पहनना केवल एक ही जोड़ है। संग्रह की प्रवृत्ति इतनी बढ़ गई है कि हम अनुपयोगी कपड़े भी किसी जरूरतमंद को देने के बजाय संग्रह कर रहे हैं।
धर्मसभा में मुनिप्रवर उत्तमरत्न सागर म.सा. ने कहा कि सफल व्यक्ति की ऊंचाई तो सबको दिखती है, लेकिन उसके पैर के छाले किसी को नहीं दिखते। महावीर स्वामी यूं ही महावीर स्वामी नहीं बने, उन्होंने तप-तपस्या और साधना के दम पर स्वयं को महावीर बनाया। जन्म-जन्मांतर के पुण्योदय के बाद ही मोक्ष की यात्रा का मार्ग प्रशस्त हो पाता है। यही कारण है कि चातुर्मास के दौरान हमारे साधु साध्वी भगवंतों द्वारा तप और तपस्या पर ज्यादा जोर दिया जाता है। धर्मसभा में । गणिवर्य कीर्तिरत्न सागर म.सा. ने भी संबोधित किया और चातुर्मास के आगामी कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सिद्धि तप आराधना, आयम्बिल एवं अन्य उपवास आदि का क्रम पूरे उत्साह से चल रहा है। नवरत्न वाटिका पर प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 बजे से हो रहे हैं।
*आज गुणानुवाद सभा, कल महामांगलिक*-गुरूवार को धर्मसभा में जैनाचार्य आनंद सागर म.सा. की 151वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में गुणानुवाद सभा सुबह 9 बजे से प्रारंभ होगी। सभा में आने वाले साधकों के लिए सोने-चांदी के सिक्कों का लकी ड्रा भी रखा है। साधकों के लिए लड्डू की प्रभावना भी रहेगी। 25 जुलाई को नरसिंह वाटिका में सुबह 9 बजे महामांगलिक का अनूठा आयोजन होगा। इसकी जबर्दस्त तैयारियां की जा रही हैं। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एवं विधायक रमेश मेंदोला के संयोजन में पहली बार यह महामांगलिक अनुष्ठान होगा।