इंदौर

शहर में पहली बार 13 वर्ष के जैन बाल मुनि सैकड़ों सवालोंको सुनकर उन्हें सीधे, उल्टे और रेंडम क्रम में दोहराएंगे

  रेसकोर्स रोड स्थित अभय खेल प्रशाल में 10 अगस्त को होगा अनूठा और विस्मयकारी आयोजन, देशभर से हजारों दर्शक आएंगे

शहर में पहली बार 13 वर्ष के जैन बाल मुनि सैकड़ों सवालोंको सुनकर उन्हें सीधे, उल्टे और रेंडम क्रम में दोहराएंगे

रेसकोर्स रोड स्थित अभय खेल प्रशाल में 10 अगस्त को होगा अनूठा और विस्मयकारी आयोजन, देशभर से हजारों दर्शक आएंगे

इंदौर,  । शहर में रविवार, 10 अगस्त को रेसकोर्स रोड स्थित अभय प्रशाल स्टेडियम पर एक ऐसा अनूठा, आध्यात्मिक और दिलचस्प आयोजन होने जा रहा है, जब जैनाचार्य प.पू. नयचंद्रसागर सूरीधर म.सा. की पावन निश्रा में गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर म.सा. की प्रेरणा से एक 13 वर्षीय मुनिराज विजयचंद्र सागर सैकड़ों सवालों को मुंहजबानी याद रखकर तत्काल उन्हें दोहराएंगे, बल्कि सीधे क्रम में, उल्टे क्रम में और रेंडम क्रम में भी उन सभी सवालों या पूछी गई बातों को सुपर कम्प्यूटर की तर्ज पर स्टेडियम में मौजूद हजारों दर्शकों और श्रोताओं के बीच प्रस्तुत भी करेंगे।

विश्व में अब तक किसी 13 वर्ष के बालक द्वारा इस तरह चमत्कारिक कार्यक्रम जीवंत प्रदर्शन के माध्यम से प्रस्तुत करने का यह अजूबा इंदौर में ही नहीं, विश्व में भी पहली बार हो रहा है, हालांकि मुंबई में गत 1 मई 2023 को वर्ली स्टेडियम में 10 हजार लोगों की मौजूदगी में गणिवर्य प.पू. डॉ. अजीतचंद्र सागर म.सा. ने सहस्त्रावधान अर्थात एक हजार सवालों को अपने स्मृति पटल में जस का तस सुरक्षित रखकर उन्हें दोहराकर समूचे स्टेडियम को चमत्कृत बना दिया था। उनके इस अदभुत पुरुषार्थ को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस ने भी शामिल किया है। अब उन्हीं के शिष्य इंदौर में यह सब दोहराएंगे।

तिलकेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ धार्मिक पारमार्थिक सार्वजनिक न्यास एवं सरस्वती साधना रिसर्च फाउंडेशन अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में शहर में पहली बार हो रहे इस दिव्य आयोजन में प.पू. जैनाचार्य नयचंद्र सागर सूरीधर म.सा. की पावन निश्रा में 29 शिष्य इन दिनों चातुर्मास के लिए तिलक नगर उपाश्रय इंदौर में विराजमान है। इनमें से 12 शिष्य ऐसे हैं, जो नियमित रूप से गणिवर्य प.पू. डॉ. अजीतचंद्र सागर म.सा. की प्रेरणा से शतावधान एवं सहस्त्रावधान का प्रशिक्षण लेकर अब इतने सक्षम और कुशाग्र बन गए हैं कि इनमें से अधिकांश शिष्य 100 से लेकर एक हजार बातों या सवालों को अपने स्मृति पटल में अंकित कर उन्हें उसी समय, तमाम व्यवधानों के बावजूद दोहराकर उपस्थित दर्शकों को चमत्कृत बना सकते हैं।

आयोजन समिति की ओर से ललित सी. जैन, अक्षय सुराना, निशांत कोठारी, दिलीप शाह एवं संदीप पोरवाल ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि इन्हीं में से एक 13 वर्षीय मुनिराज विजयचंद्र सागर म.सा. इस कच्ची उम्र में भी सैकड़ों सवालों को अपनी स्मरण शक्ति में संजोकर उन्हें हजारों लोगों की मौजूदगी में जस का तस दोहराकर अथवा पूछे गए सवालों का उत्तर देकर अपनी संयम, साधना और स्मृति का विस्मयकारी समन्वय प्रस्तुत करेंगे। संभवतः विश्व में इतनी कम उम्र के बालक द्वारा इस तरह के जीवंत कार्यक्रम का यह पहला अवसर होगा। यह कार्यक्रम अभय प्रशाल स्टेडियम इंदौर में रविवार, 10 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से प्रारंभ होगा और देशभर से अनेक समाजबंधु और विद्वान तथा गणितज्ञ भी उनके इस प्रदर्शन के साक्षी बनने के लिए इंदौर आएंगे। जैनाचार्य प.पू. नयचंद्र सागर म.सा. एवं गणिवर्य डॉ. प.पू. अजीतचंद्र सागर म.सा. भी इस समूचे महोत्सव में स्वयं शामिल रहेंगे।

*डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों ने भी माना ब्रेन ग्राफ बढ़ता है*- इसके पूर्व वर्ली में हुए इसी तरह के आयोजन को लेकर मुंबई के प्रख्यात न्यूरोलाजिस्ट पद्मश्री डॉ. सुधीर शाह, इसरो के वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र भंडारी एवं जसलोक हास्पिटल मुंबई के न्यूरोसर्जन डॉ. परेश डोशी ने भी प्रमाणित किया है कि ऐसी साधना करने वाले बालकों के मस्तिष्क का ग्राफ संयम और साधना के कारण इतना सक्षम बन जाता है कि वे अपनी स्मरण शक्ति में जबर्दस्त वृद्धि कायम कर लेते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए सरस्वती साधना रिसर्च फाउंडेशन अहमदाबाद द्वारा देशभर में स्कूली बच्चों पर इसका प्रयोग करने की योजना बनाई गई है।

यह अनुष्ठान न तो कोई चमत्कार है न ही कोई जादू। वास्तव में यह जिनशासन की अवधारणा के अनुरूप तप, त्याग, संयम एवं साधना से प्रेरित एकाग्रता और ध्यान का उत्कृष्ट उदाहरण माना जा रहा है, जहां सैकड़ों प्रश्न पूछे जाने और तमाम विघ्न बाधाओं अथवा शोरगुल के बावजूद इस उम्र के मुनिराज द्वारा केवल सुनकर बिना किसी यांत्रिक मदद के याद रखकर उन्हें दोहराने का सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाएगा। विश्व में इस तरह के प्रदर्शन का यह संभवतः पहला प्रसंग होगा और देश –विदेश के अनेक न्यूरोलाजिस्ट, वैज्ञानिक और विचारक भी इस प्रसंग के साक्षी बनेंगे। निश्चितही अनेक वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्डस के अधिकारी और कैमरे भी इस अदभुत प्रसंग को रेकार्ड कर विश्व कीर्तिमान में इन क्षणों को शामिल करेंगे। शहर में इस विस्मयकारी आयोजन को लेकर जबर्दस्त चर्चा और उत्साह देखने को मिल रहा है।

 

 

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