सेंधवा में शिव महापुराण कथा का छठा दिवस, गूंजे गणेश विवाह के मंगल गीत, हजारों श्रद्धालु बने साक्षी
जहां गणेश, वहां रिद्धि-सिद्धि: कथा में प्रकट हुआ जीवन का रहस्य

सेंधवा। भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर सेंधवा की पावन धरती पर इन दिनों शिव महापुराण कथा का अद्भुत आयोजन चल रहा है। देशभर में ख्यात आनंद कृपा धाम के पीठाधीश्वर परम पूज्य श्री अंकुश जी तिवारी (ओरैया धाम वाले) के श्रीमुख से चल रही कथा का छठा दिवस गणेश विवाह प्रसंग को समर्पित रहा। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे भव्य आध्यात्मिक महाकुंभ में बदल दिया।
कथा स्थल को भव्य मंडप, पुष्प सज्जा और रंग-बिरंगे झूमरों से सजाया गया था। जैसे ही पूज्य अंकुश जी तिवारी ने भगवान श्री गणेश के विवाह का भावपूर्ण वर्णन आरंभ किया, वातावरण पूरी तरह भक्ति रस में डूब गया। तिवारी जी ने बताया कि एक बार कैलाश पर्वत पर सभी देवताओं के विवाह की योजना बन रही थी। यह देखकर गणेश जी ने माता पार्वती से कहा कि जब सभी का विवाह हो रहा है तो उनका क्यों नहीं। माता ने उनके गोल मटोल शरीर और मूषक वाहन का हवाला देकर समझाया, जिससे गणेश जी क्रोधित हो उठे।
गणेश जी ने अपनी शक्तियों से संपूर्ण सृष्टि में हर विवाह में विघ्न डालना शुरू कर दिया। इससे चिंतित होकर शिव, विष्णु और ब्रह्मा सहित सभी देवता समाधान की तलाश में जुटे। ब्रह्मा जी ने अपनी दो मानस पुत्रियों रिद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (सफलता) को बुलाकर उन्हें गणेश जी से विवाह करने को कहा। दोनों कन्याओं ने गणेश जी की बुद्धिमत्ता, विनम्रता और समर्पण को देखकर विवाह स्वीकार किया। शुभ मुहूर्त में देवताओं की उपस्थिति में यह विवाह संपन्न हुआ। चारों दिशाओं में शहनाइयों, पुष्प वर्षा और मंगल गीतों से वातावरण गूंज उठा।
कथा के दौरान रिद्धि और सिद्धि के विवाह की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। पूज्य तिवारी जी ने कथा का सार बताते हुए कहा कि जहां गणेश जी की कृपा होती है वहां रिद्धि-सिद्धि यानि समृद्धि और सफलता स्वत: चली आती है। मातृ शक्ति महिला मंडल ने सभी शिवभक्तों से आग्रह किया कि जो श्रद्धालु अब तक कथा में शामिल नहीं हो सके, वे अंतिम विश्राम दिवस पर जरूर पधारें। इस दिन कथा सुनने से सातों दिन की कथा का पुण्य प्राप्त होता है।