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सेवा और सुकून के सामने गौण हैं पद, पैसा और प्रतिष्ठा : अनार पटेल

स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के संवाद कार्यक्रम में सोशल एंटरप्रेन्योर अनार पटेल

स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के संवाद कार्यक्रम में सोशल एंटरप्रेन्योर अनार पटेल

सेवा और सुकून के सामने गौण हैं पदपैसा और प्रतिष्ठा : अनार पटेल

इंदौर। नेपोकिड्स की अपनी परेशानी और  स्ट्रगल होता है। राजनेताओं के बच्चों को अपनी छवि उज्ज्वल रखने का ध्यान रखने  के साथ अपनी पहचान बनाने के लिए भी संघर्ष करना होता है। मैंने बचपन से अपनी अलग पहचान बनाने के लिए मेहनत की है।

ये बात गुजरात की सोशल एंटरप्रेन्योर श्रीमती अनार पटेल ने स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के संवाद कार्यक्रम में कही। उन्होंने अनुरोध किया कि किसी को उसके स्वयं के कामों के हिसाब से देखें, उनकी पृष्ठभूमि से नहीं। वे तीन दशकों से अधिक समय महिला सशक्तिकरण, हस्तकला के कारीगरों को उचित मंच और बाज़ार दिलाने आदि उद्देश्यों के लिए अनेक एनजीओ के माध्यम से 30 से अधिक प्रोजेक्ट संचालित कर रही हैं। उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि उनकी माँ, वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, ने उन्हें सातवीं कक्षा में ही कहा था कि आगे पढ़ना है तो दूसरे बच्चों को पढ़ाना होगा।

माँ की बात हिटलर जैसी लगी – सुश्री पटेल ने कहा कि बचपन में उन्हें अपनी माँ की बात हिटलर जैसी लगी लेकिन उन्होंने घर के समीप की झुग्गी बस्ती में वंचित बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उस वक्त से उनका समाजसेवा से जो नाता जुड़ा वह आजतक अटूट है। गांधीजी की विचारधारा से प्रभावित सुश्री पटेल ने गांधी आश्रम ट्रस्ट के माध्यम से कई सेवा कार्यों से जुड़ी रहीं और वहीं मिले अपने जीवनसाथी के साथ ‘मानव साधना’ संस्था बनाकर जरूरतमंद बच्चों की मदद प्रारम्भ की।

कच्छ के भूकंप के समय पंद्रह दिन खुले में शौच की मजबूरी – सुश्री पटेल ने कच्छ के भूकंप के समय पूरे डेढ़ वर्ष वहीं रुक कर सेवा कार्य किए थे। भूकंप की तबाही के कारण स्थिति ऐसी भयावह थी कि उन्हें और उनकी टीम को जीवन में पहली बार पंद्रह दिन बाकी नागरिकों की तरह खुले में शौच के लिए बाध्य होना पड़ा। उन्होंने वहां डेढ़ वर्ष में घर, स्कूल भवन, शौचालय आदि के पुनर्निर्माण में अपना योगदान दिया था।

तीस बरसों से घर में है लाल बत्तीलेकिन सेवा से बढ़कर कुछ नहीं लगता – सुश्री पटेल कहती हैं कि सेवा कार्यों के कारण उनका बिज़नेस स्वतः प्रभु कृपा से अच्छा चलता है। घर में पिताजी और माताजी दोनों के बड़े कद और शादी के बाद पद्मश्री प्राप्त ससुरजी के कारण उन्होंने पॉवर को निकट से देखा लेकिन सब कुछ देखकर लगा कि किसी की मदद कर मिलने वाली दुआ और प्रेम के सामने पैसा, रसूख, सुविधाएं सब छोटे हैं। आज समाजसेवा उनके लिए पैशन है। उनकी संस्था क्राफ्ट्स रूट से बीसियों हस्तकलाओं के दसियों हज़ार कारीगर जुड़े हैं तथा उन्हें भी फेयर वेजेस के लिए प्रेरित किया जाता है। आज उन्हें हस्तकला का इतना अनुभव है कि सिर्फ टच करके हाथ से बने प्रोडक्ट और मशीन से बने प्रोडक्ट को पहचान सकती हैं।

सीएसआर फंड के घरेलू संस्थाओं में उपयोग से एनजीओ का नुकसान – सुश्री पटेल ने कहा कि आज कॉर्पोरेट्स में अपने ही घर के लोगों के ट्रस्ट बनाकर उनमें अपना सीएसआर फंड ट्रांसफर करने की प्रवृत्ति विकसित हुई है जिसके कारण अच्छा काम करने वाले एनजीओ का नुकसान हुआ है। वे हस्तकला के लिए विश्वविद्यालय भी बनाना चाहती हैं, बस समस्या ये है कि हस्तकला के सर्वोच्च कलाकार भी अपनी कला के तो महारथी होते हैं लेकिन वे सरकारी नियमों के अनुसार पीएचडी वगैरा नहीं होने से प्रोफेसर नहीं बन सकते।

जोश बढ़ाने वाला गीत सुनाकर समां बांधा – संवाद कार्यक्रम में पारिवारिक वातावरण की तारीफ करते हुए सुश्री पटेल ने अपनी संस्था के कलाकारों का उत्साह वर्धन करने वाला गीत मधुर स्वर में सुनाकर समां बांध दिया। बाद में समवेत स्वर में ‘वैष्णव जन तो तैने कहिए जे’ का गायन भी हुआ। इस अवसर पर क्राफ्ट रूट्स के सीईओ अनिल छकवाल विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, सुश्री रचना जौहरी, आकाश चौकसे, सुश्री सोनाली यादव, डॉ. अजय शुक्ला एवं रीतेश तिवारी ने पुष्प गुच्छ, अंगवस्त्र, स्मृतिचिन्ह, गांधी साहित्य, स्मारिका भेंट कर अनार पटेल का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी एवं पत्रकार आलोक बाजपेयी ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन कलाकर्मी पुष्कर सोनी के किया।

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