ऑटो टेस्टिंग ट्रैक से पकड़ी नीलगाय गांधी सागर अभयारण्य में पहुची अभी 41 नीलगाय पकड़ी, जिले में पहली बार बोमा पद्धति से चलाया अभियान।
हादसों की आशंका के चलते वन विभाग पकड़ रहा नीलगाय सात दिन में नेट्रेक्स से रेक्यू दो रेंजर कर्मचारी के साथ चार से पांच जिले के लोग मैदान में।

आशीष यादव धार
इन दिनों नीलगाय पकड़े का काम जिले में वन विभाग द्वारा नेट्रेक्स में किया जा रहा है क्योंकि पीथमपुर स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में आ रही दुनियाभर की कारों, कमर्शियल वाहनों की टेस्टिंग में यहा सबसे बड़ी बाधा नीलगाय बनी हुई है । टेस्टिंग के दौरान ट्रैक व अन्य गाडियों की गति 100-150 की स्पीड से दौड़तीं है सामने अचानक नीलगायें आ जातीं और कई बार टकरा जाती थीं। बाजार में बिकने से पहले वाहनों की टेस्टिंग ठीक से नहीं हो पा रही थी। इस पर नैट्रेक्स ने भोपाल वन विभाग से अनुरोध किया जिसके बाद जिले में टेस्टिंग ट्रैक के चारों तरफ बड़ी संख्या में पनप रहीं नीलगायों को बाहर करने का काम किया जा रहा है यह कार्य 17 मई से शुरू हुआ जो 1 जून तक चलेगा वह अभी वन विभाग ने 7 दिन मुहिम चलाकर 41 नीलगायों को पकड़ा और गांधी सागर अभयारण्य ले जाकर छोड़ दिया। इस अभयारण्य में हाल ही में मुख्यमंत्री ने दो चीतों को छोड़ा था। नीलगायों को पकड़ने के लिए रेस्क्यू टीम में 5 जिलों के सदस्यों को शामिल किया गया है। सात दिन में 41 नीलगायों का रेस्क्यू किया है। ऑपरेशन की सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है। नीलगायों का मूवमेंट मिलने पर रेस्क्यू की रणनीति बनाते हैं।
21 नर तो 20 मादा को पकड़ा अभी तक:
एसके रनशोरे ने बताया कि यहां लगभग 70 से अधिक नीलगाय होने की जानकारी मिली थी। नेट्रेक्स परं नीलगायों के पहुंचने से हादसों की आशंका रहती थी। इन्हें पकड़ने और अन्य स्थानों पर छोड़ने के लिए वन विभाग ने धार डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी के निर्देश पर एसडीओ एसके रनशोरे के साथ मांडू के रेंजर कमलेश मिश्रा और धानमोद रेंजर विवेक सिह पटेल अन्य 15 से अधिक कर्मचारियों के साथ मैदान में नीलगाय पकड़ रहे है। वही इसमें 20 अधिक इंदौर के सदस्यों भी है। सोलंकी के अनुसार 1 जून तक नीलगायों को पकड़कर अभयारण्यों में छोड़ने का क्रम जारी रहेगा। 70 नीलगाय हाई स्पीड ट्रैक के आसपास मंडराती हैं। वही नेट्रेक्स के अधिकारी ने बताया कि नीलगाय के कारण अभी टेस्टिंग भी पूरी नहीं हो पा रही। दुनियाभर से आई दर्जनों कारों की टेस्टिंग रोकना पड़ी।
बोमा पद्धति से वन्यप्राणी पकड़े काम पहली बार:
नीलगायों का इतना बड़ा रेस्क्यू पहली बार इंदौर-उज्जैन संभाग में नीलगायों का इतना बड़ा रेस्क्यू पहली बार किया जा रहा। इसके पहले उज्जैन की विक्रम वाटिका से चीतल, सांभर को पकड़कर रालामंडल और अन्य अभयारण्यों में छोड़ा गया था। जिसके बाद अब धार के पीथमपुर में किया जा रहा है। वही बोमा पद्धति से वन्यप्राणी पकड़ने में सम सदस्यों को बहुत अनुशासित, संथमित एवं फूर्तिला रहना आवश्यक है क्योकि वन्यप्राणियों की घाणेन्द्रिया अति संवेदनशील होती है। यह मनुष्य की थोड़ी सी आहट सुन लेती है तो भाग जाती अब नीलगाय हमला करने से भी नही डरती है। वही बोमा पद्धति का इस्तेमाल पहली बार ह्यो रहा जब पशुओं को एक साथ पकड़ना हो। इसमें फनल या वी-आकार की बाड़ का उपयोग कर उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है:
1000 एकड़ में नेट्रेक्स फैला है:
भारी वाहनों की टेस्टिंग के लिए उद्योग मंत्रालय द्वारा नेट्रेक्स बनाया गया है। यह एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हाई स्पीड ऑटो टेस्टिंग ट्रैक है। ट्रैक की लंबाई 11.3 किमी और चार लेन हैं। ट्रैक को लगभग 1000 एकड़ क्षेत्र में 1321 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया गया है। इस ट्रैक पर 350 किमी प्रतिघंटे की गति से वाहनों की टेस्टिंग की जा सकती है। नेट्रेक्स के आसपास घना जंगल है और अंदर दो बड़े तालाब हैं। नीलगायों को पसंद की वनस्पति यहां आसानी से मिल जाती है, इसलिए यह उनका पसंदीदा स्थान बन गया है।
मगर इनके कारण यहा वाहनों को टेस्टिंग में दिक्कत आ रही है।
हर रोज मॉनिटरिंग अब 29 से फिर शुरू होगा:
एसडीओ एसके रनशोरे ने बताया कि नीलगाय पकड़ने के लिए कर्मचारियों को विशेष परीक्षण भी दिया गया है जिसमें उनको किस तरीके से नीलगाय को रेस्क्यू करना है वहीं सुरक्षा के साथ खुद कर्मचारियों सुरक्षा कैसे करना वही वनरक्षक के साथ टीम कर्मचारियों सुरक्षा उपकरण के साथ कार्य स्थल पर काम करते थे सुबह 6 बजे टीम मौके पर पहुँचकर काम करती जो 12 बजे तक किया जाता था वहीं 4 बजे से शाम होता था। वही नीलगाय को पकड़ने के दौरान बोमा क्षतिग्रस्त हो गया है जिसके कारण अब आगे का कार्य 29 तारीख से शुरू किया जाएगा।
एस के रनशोरे एडसीओ धार
किसानों को भी होगा फायदा:
पीथमपुर नेट्रेक्स स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में नीलगाय पकंडने के बाद पीथमपुर के आसपास के किसानों को भी थोड़ी राहत मिलेगी क्योंकि नीलगाय अलग-अलग झुंड में फसलो को नुकसान पहुँचाती है जिसके कारण किसान परेशान होते है यह दिनभर में 20 से 25 किलो मीटर का इलाका घूमती है जिसे किसानों के खेतों में नहोता है जिससे हजारों हेक्टेयर फसल का नुकसान होने से बचेगी वही धार जिले के साथ में ही मंदसौर नीमच अन्य कई जिलों में नीलगाईयों का आतंक बढ़ता जा रहा है। वही नेट्रेक्स स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में लगभग 70 से अधिक नीलगाय है जो प्रजनन करने के बाद सख्या भी बढ़ती है मगर अब इनके पकडने से आसपास के किसानों को भी थोड़ा फायदा होगा।
41 नील गाय पकडी:
नीलगाय पकडने का कार्य चल रहा है इसके लिए टीम बनाई गई है जिसमे मांडू धानमोद के साथ चार से पांच जिले की टीम के साथ पकड़ने का काम चल रहा है अभी 41 नीलगाय पकड़ ली गई है और गांधी सागर अभ्यारण्य में छोड़ दी गई वही 1 जून नीलगाय पकंडने का कार्य चलेगा।
अशोक कुमार सोलंकी डीएफओ धार