छात्रावास में अनियमितताएं, सुरक्षा का अभाव और मूलभूत सुविधाओं की कमी पर आयोग अध्यक्ष ने जताई सख्त नाराजगी, दो अधीक्षिकाओं को हटाने के निर्देश

सेंधवा। रमन बोरखड़े। कन्या परिसर छात्रावास में लंबे समय से चली आ रही अव्यवस्थाओं और गड़बड़ियों पर अब उच्च स्तर से सख्ती शुरू हो गई है। अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य ने सोमवार को सेंधवा स्थित कन्या परिसर का निरीक्षण कर वहां की स्थिति को गंभीरता से लिया। निरीक्षण के दौरान मिली भारी अनियमितताओं को देखते हुए उन्होंने दोनों छात्रावास अधीक्षिकाओं – सुलोचना मंशारे और सावित्री सहते – को तत्काल हटाकर अन्यत्र स्थानांतरित करने के निर्देश कलेक्टर बड़वानी को दिए।
इस निरीक्षण के दौरान छात्राओं ने सुरक्षा की दृष्टि से परिसर में गार्ड की तैनाती की मांग की। वहीं, प्राचार्य द्वारा ट्यूब वेल के लिए मोटर पंप की आवश्यकता जताई गई। निरीक्षण के दौरान भाजपा प्रवक्ता सुनील अग्रवाल, छोटू चौधरी, गणेश राठौड़, राहुल पवार, हुकुम पवार, दरबार ब्रह्माने, सचिन शर्मा, विवेक तिवारी और सरपंच सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।
निरीक्षण के दौरान अंतरसिंह आर्य ने छात्राओं से आदिवासी भाषा में संवाद किया और उन्हें शिक्षा के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि यह परिसर सेंधवा में ही बने, इसके लिए बतौर मंत्री रहते हुए उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा कर अधिकारियों के विरोध के बावजूद इसे स्वीकृत कराया।
छात्राओं ने जब उनके इस प्रयास की सराहना की तो मुस्कराते हुए आर्य ने कहा, “फिर भी चुनाव में मुझे हरा दिया गया।” उन्होंने छात्राओं को समझाते हुए कहा कि समय बदल रहा है, इसलिए अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहकर कड़ी मेहनत करें। आर्य ने छात्राओं को डॉक्टर, इंजीनियर या अन्य पेशे में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आदिवासी समाज को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों का जिक्र करते हुए आर्य ने कहा कि कुछ लोग गलत प्रचार कर रहे हैं कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं, जबकि रामायण में इसका स्पष्ट उदाहरण है। भगवान राम ने वनवास के दौरान आदिवासी राजा निशादराज से आत्मीयता से मिलकर उन्हें सम्मानित किया था। हम सब राम के वंशज हैं।
इसी कड़ी में आर्य ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इंदौर में आदिवासी युवाओं का संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, ताकि समाज में जागरूकता फैलाई जा सके। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति को बचाने की जिम्मेदारी अब आप युवाओं की है। जाते-जाते उन्होंने छात्राओं से अपील की कि जब भी वे अपने घर जाएं तो एक-एक पेड़ अपनी मां के नाम से जरूर लगाएं। छात्राओं ने सहमति में हामी भरी।