भगवान से लाड़ लड़ाओ और जीवन आनंदमय बनाओ

इंदौर। जो भगवान से लाड़ नहीं करते उनका जीवन लड़ाई में बीतता है और जिसने भगवान से लाड़ कर लिया उसका जीवन खुशियों से भर जाता है। इसलिए भगवान से लाड़ करके अपना जीवन आनंदमय बना लेना चाहिए। उक्त बात पालदा पवनपुरी स्थित दुर्गा नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन वृंदावन के कथावाचक पंडि़त कृष्णकांत शास्त्री ने सभी भक्तों को कथा का रसपान करवाते हुए कही। गुरूवार को रूकमणी विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान के अस्तित्व से ही इस संसार में हमारा अस्सित्व है। अगर भगवान नहीं तो हमारा सामर्थ कुछ भी नहीं। भगवान की मर्जी के बगैर कोई कार्य संभव नहीं। क्योंकि भगवान ने प्राणी मात्र को प्राण दिए हैं और वह सब प्राणियों में आत्मा के रूप में समाहित हैं। हमें भगवान रूपी इस शरीर से शुद्ध कर्म करना चाहिए। भगवान ने हमें जन्म देकर सभी को तीन चीजें कर्म, तर्क और वितर्क दी है। इसी के अनुसार हमें कार्य करना चाहिए। जो वस्तु अपनी नहीं होती हैं उस पर अपना अधिकार हमें नहीं जताना चाहिए। कथा शुभारंभ के पूर्व व्यासपीठ का पूजन मनीष-सपना शर्मा (मामा) एवं भक्तों द्वारा किया गया।
श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव समिति आयोजक व पार्षद मनीष शर्मा (मामा) ने बताया कि गुरूवार को आयोजित रूकमणी विवाह उत्सव में हजारों की संख्या में मातृशक्तियां उपस्थित थी। वहीं कलाकारों ने इस दौरान नृत्य की प्रस्तुति से ऐसा समा बांधा की पांडाल में उपस्थित हर बच्चे से लेकर बुजुर्ग उनके साथ थिरकते नजर आए। भजन गायक तो अपने भजनों से पहले दिन से ही भक्तों को थिरकाए हुए हैं। गुरूवार को फूलों की होली भी इस दौरान भक्तों द्वारा खेली गई। रूकमणी विवाह प्रसंग को कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से जीवंत किया तो समूचा पांडाल में जयकारों की गूंज से गूंज उठा। गुरूवार को भागवत जी की आरती में भारत मथुरावाला, रानू नेत्रम, सचिन बुड़ाना, सपना शर्मा, परी शर्मा, आयुष शर्मा सहित हजारों की संख्या में मातृशक्तियां उपस्थित थी।
पूर्णाहुति के साथ होगा कथा का समापन- आयोजक व पार्षद मनीष शर्मा (मामा) ने बताया कि पालदा पवनपुरी स्थित दुर्गा नगर मैदान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा समापन शुक्रवार को पूर्णाहुति के साथ होगा। विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य में सुबह यज्ञ-हवन में आहुतियां समर्पित की जाएगी तो वहीं शाम को भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जिसमें हजारों भक्त महाप्रसादी ग्रहण करेंगे।