बयानों ओर खाली कागजो में तबदील होकर रहे गई वन विभाग की जांच। कब मिलेगा गरीबो परिवार को न्याय।
पांच रोज बीतने के बाद भी रेंजर ओर अन्य कर्मचारियों पर नही हुई ठोस कार्रवाई।

आशीष यादव धार
जहां एक और बड़े-बड़े मंचों से खुद मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री किसान हितेशी बात करते हैं। साथ ही किसानों के लिए कही योजनाएं जमीन स्तर पर लाकर कार्य करते हैं। मगर जमीनी स्तर उनका बट्टा लगाने का काम सरकार के अधीनस्थ कर्मचारी बखूबी निभाते हैं। जहां एक और सरकार खेती करने के लिए किसानों को वन अधिकार पट्टे के तहत जमीन देती है। उसे जमीन पर किसान खेती कर अपना जीवन निर्वाह कर सके व अपना पेट भर सके। मगर धार जिले में पिछले दिनों चाकलिया बीट में किसान खुद के खेत मे ट्रेक्टर चलाकर खेती का काम करना बड़ा महंगा पड़ गया। वही रेंजर साहब की जल्दबाजी की कार्यवाही व शराब के नशे में मारपीट के साथ बंदूक से मारने की धमकी व अशब्द कहे थे जिसे ग्रमीण एकत्रित होकर जिला मुख्यालय पर वन विभाग का घेराव कर दिया था। इस बार रेंजर साहब की कार्यवाही ने पूरे प्रदेश में धार वन विभाग को चर्चा में लाकर खड़ा कर दिया। व सरकार के मुंह पर एक कड़ा तमाचा मारा है। वही रेंजर के खिलाफ एक सप्ताह में मुख्यमंत्री को दूसरी बार शिकायत मिली उसके बाद रेंजर साहब का स्थानांतरण धार से शहडोल किया गया व साथ धार डीएफओ ने रिलीव कर तत्काल कार्यमुक्त किया। जिससे साफ होता है कि आम ग्रामीण जनता के साथ-साथ अधिकारी भी साहब की कार्यशैली से कितने नाखुश थे।
पांच दिन बीती गए ठोस करवाई नही:
जहां एक और मामले को लेकर इंदौर ऑफिस से धार कार्यालय में मारपीट को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था। मगर पांच रोज बीत जाने के बाद भी एसडीओ साहब की जांच में कुछ निकलकर कठोर कार्यवाही नजर नही आई। वही धार एसडीओ के समक्ष प्रस्तुत होकर कर्मचारियों ने बयान दिए है उसके बाद भी कोई हल नहीं निकला वहीं मारपीट की घटना में 19 लोगों के बयान लिए गए थे। जिसमें एक रेंजर व तीन डिप्टी रेंजर 14 वन रक्षक ओर एक वाहन चालक मौजूद थे। इसके संबंध में वरिष्ठ कार्यालय इंदौर से स्पष्टीकरण आया था उसका जवाब तीन दिन में देना था। आज पांच दिन बाद भी जांच को लेकर कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई वहीं इंदौर से जो पत्र आया उसमें 3 दिन का जिक्र है। समय सीमा का ध्यान ना रखते हुए एसडीओ साहब द्वारा सीधे तौर पर रेंजर साहब और डिप्टी साहब को बचाने का प्रयास किया जा रहा है
ऑफिस में घूम रही फाइल:
कहने को तो जांच होती है तो उस जांच का हल भी निकालना जरूरी होता है। मगर यहां 19 कर्मचारियों से लिए गए बयान तो एसडीओ साहब ने तो ले लिए गए मगर उन बयानों में किस कर्मचारी ने क्या कहा यह तो बंद लिफाफे में बंद है। वही रेंजर ओर डिप्टी रेंजर अलग अलग हिस्सों में बंट गए थे। जिसमे 19 कर्मचारीयो को गुप होकर बयान दिए किसीने रेंजर के विरोध तो किसने साहब के पक्ष में व किसने वस्तुस्थिति बतलाई है। वही डिप्टी रेंजर सहित अन्य कर्मचारियों ने रेंजर के विरोध में बयान दिए गए है। जांच होने के बाद भी फाइल कार्यालय में ही घूमती नजर आ रही है।
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मामले की दबाने में लगे कर्मचारी:
वही किसानो की निजी खेत में हुई घटना के बाद रेंजर और डिप्टी रेंजर दोनों आमने-सामने हो गए थे वहीं रेंजर द्वारा डिप्टी रेंजर के साथ एक और कर्मचारियों पर 8 लाख की वसूली का पत्र लिखने के बाद मामला और गर्मा गया था वही जिसके बाद डिप्टी रेंजर ने भी रेंजर के खिलाफ मैदान पकड़ लिया था। वह लेटर बाजी शुरू हो गई थी। जिसमे विभाग की छवि खराब हुई। वहीं मामले को दबाने के लिए अन्य अधिकारी भी सक्रिय हो गए थे। वही साहब ने दूसरे साहब से बात करके इंदौर तक कि दौड़ लगा दी थी। मगर नतिजा कुछ नही निकला ओर रेंजर साहब के तबादले का आदेश शाम तक कार्यालय आ गया।
भाव आवेश में कार्यवाही
मामले को लेकर जांच की गई थी जिसमें 19 लोगों के बयान लिए गए थे। वही जो किसान के साथ जो घटना हुई थी। उसमें रेंजर द्वारा भावेश में आकर कारवाई की थी वही बीट गार्ड व डिप्टी रेंजर ने विभाग की छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से गलत प्रचार किया गया जो जगह है वह किसान की है।
एस के रनशोरे एसडीओ धार