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सेंधवा; वार्ड 12 में बनी संजीवनी क्लिनिक दो साल से बंद, पार्षद ने उठाई मांग — डॉक्टरों के ट्रांसफर से सेंधवा अस्पताल भी संकट में

ट्रांसफर हुए 8 डॉक्टर, नए की नियुक्ति नहीं! अस्पताल व्यवस्था संकट में

सेंधवा नगर में दो संजीवनी क्लिनिकों का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन वार्ड 12 की क्लिनिक दो वर्षों से बंद पड़ी है। एक चालू है, दूसरी पर ताला। पार्षद ने उपमुख्यमंत्री को पत्र देकर शीघ्र संचालन की मांग की है।

सेंधवा; रमन बोरखड़े। नगर पालिका क्षेत्र में राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत दो संजीवनी क्लिनिकों का निर्माण पूरा हो चुका है। इनमें से वार्ड 23 टैगोल बेड़ी में स्थित क्लिनिक का संचालन आरंभ हो चुका है, जिससे वहां की स्थानीय आबादी को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। लेकिन वार्ड 12 दावल बड़ी — जिसे सरकार ने अयोध्या बस्ती का दर्जा दिया है — में बनी क्लिनिक दो वर्षों से तैयार होकर भी शुरू नहीं हो सकी है।

पार्षद ने उठाई आवाज
वार्ड 12 के पार्षद गणेश राठौड़ ने बताया कि प्रारंभ में बिजली विभाग की डीपी को क्लिनिक के सामने होना एकमात्र बाधा बताया गया था, जिसे नगर पालिका ने स्थानांतरित करवा दिया। बावजूद इसके, आठ माह बीत जाने के बाद भी संचालन शुरू नहीं किया गया। इस देरी को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम एक पत्र तैयार कर बड़वानी पधारे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को सौंपा।

आवेदन, निवेदन और अब आक्रोश
पार्षद राठौड़ ने बताया कि क्लिनिक शुरू कराने के लिए बीएमओ और जिला चिकित्सालय से कई बार मौखिक और लिखित आग्रह किए गए, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर मजदूर वर्ग निवास करता है, जिन्हें छोटी बीमारियों के लिए भी सिविल अस्पताल जाना पड़ता है जो लगभग ढाई किलोमीटर दूर है।

सेंधवा अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी
इधर, सेंधवा सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से इलाज प्रभावित होने की आशंका और गहरा गई है। हाल ही में यहां से चार डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया गया है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से भी चार डॉक्टर स्थानांतरित किए गए हैं। भाजपा प्रवक्ता सुनील अग्रवाल ने इस मुद्दे को अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य के सामने उठाया।

आर्य ने दिया निर्देश, उपमुख्यमंत्री को भी दी जानकारी
आर्य ने तत्काल कलेक्टर को फोन कर निर्देश दिया कि ट्रांसफर किए गए डॉक्टरों को तब तक रिलीव न किया जाए जब तक विकल्प की नियुक्ति न हो जाए। इसके साथ ही उन्होंने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला से इस विषय में चर्चा की, जिन्होंने आश्वासन दिया कि इस पर कार्यवाही की जाएगी।

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