सेंधवा मंडी शेड में शिव महापुराण कथा का तृतीय दिवस सम्पन्न, माता पार्वती जन्मोत्सव व भस्मेश्वर कथा का भावपूर्ण वर्णन

सेंधवा में दिनांक 11 जुलाई से भव्य शिव महापुराण कथा का आयोजन चल रहा है। इस पावन आयोजन में आनंद कृपा धाम के पीठाधीश्वर परम पूज्य श्री अंकुश जी तिवारी (ओरिया धाम वाले) अपने अमृतमय वचनों की आध्यात्मिक वाणी से श्रद्धालुओं को परम तत्व की ओर प्रेरित कर रहे हैं। कथा आयोजन स्थल पर प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति देखने को मिल रही है, जो भक्ति और ज्ञान के दिव्य संगम का लाभ ले रहे हैं।
यह आध्यात्मिक कथा जनमानस को धर्म, भक्ति और नैतिकता की ओर प्रेरित कर रही है। कथा में माता पार्वती के जन्मोत्सव ,भस्मेश्वर वध और बटेश्वर धाम की महिमा का हृदय स्पर्शी वर्णन हुआ। परम पूज्य तिवारी जी ने अत्यंत भावपूर्ण शब्दों में बताया कि किस प्रकार सती के आत्मदाह के पश्चात देवी ने हिमालय और मैना के घर जन्म लेकर पार्वती के रूप में अवतार लिया और बाल्यकाल से ही शिव को पाने को लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया। बचपन से ही माता पार्वती का झुकाव अध्यात्म, सेवा और तप की ओर था ।उनकी दृढ़निष्ठा और तप ने स्वयं महादेव को आकर्षित कर लिया। माता के जन्म का यह प्रसंग जैसे ही व्यासपीठ से वर्णित हुआ, पांडाल जय पार्वती माता, हर हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। महिला श्रद्धालुओं ने माता के जन्म उत्सव पर नृत्य कर वातावरण को पूण्यमय बना दिया।
भस्मेश्वर की कथा- जब अहंकार ने स्वयं को भस्म किया।
महाराज श्री ने भस्मेश्वर राक्षस की कथासुना सबका ध्यान आकर्षित किया ।कथा के अनुसार भस्मेश्वर ने भगवान शिव को प्रसन्न कर यह वरदान प्राप्त कर लिया कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। वरदान पाकर वह स्वयं शिवजी पर ही इसका प्रयोग करने लगा ।भगवान शिव उसकी भावना जानकर संकट में पड़ गए। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर भस्मेश्वर को अपने ही सर पर हाथ रखने के लिए आकर्षित किया ।औरअंतत वह अपने ही वरदान का शिकार होकर भस्म हो गया। इस कथा के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि अहंकार का अंत निश्चित होता है ।चाहे वह किसी को भी क्यों न प्राप्त हो।
बटेश्वर -तप और भक्ति का प्रतीक स्थल
कथा में बटेश्वर धाम की महिमा, दिव्यता,पौराणिक महिमा का वर्णन हुआ । बटेश्वर वह स्थान है जहां हजारों मंदिरों में शिव स्वयं विराजमान है।जहां हजारों मंदिरों का समुच्चय आज भी शिव भक्ति का जीवंत प्रमाण है। यह स्थान भगवान शिव के अनेक रूपों और लिलाओ से जुड़ा हुआ है। बटेश्वर की कथा हमें सिखाती है कि भक्ति, श्रद्धा और तप का संगम होता है वही ईश्वर स्वयं प्रकट होते हैं। यह प्रसंग शिव भक्ति की स्थिरता, साधना और सनातन संस्कृति की स्मृति बनकर उपस्थित हुआ।
कथा के दूसरे दिन अग्रवाल समाज के द्वारा महाराज श्री एवं व्यासपीठ का पूजन किया गया। एवं उनके द्वारा ही बूंदी प्रसाद का वितरण किया गया। तृतीय दिवस का प्रसाद वितरण रामकटोरा महिला मंडल के द्वारा किया जाएगा।
आज माहेश्वरी समाज एवं माहेश्वरी महिला मंडल, एकल विद्यालय समिति, रामकटोरा महिला मंडल के द्वारा भी महाराज श्री का स्वागत एवं व्यासपीठ का पूजन एवं स्वागत किया गया।
कथा में सेंधवा नगरी नहीं अपितु आसपास के ग्रामीण अंचलों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। मातृशक्ति महिला मंडल ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इस आध्यात्मिक अवसर का लाभ जरूर ले।