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अपनी ही सरकार को घेरना पड़ा भारी, आलोट विधायक को बीजेपी ने थमाया नोटिस 

शो-कॉज नोटिस पर बीजेपी एमएलए चिंतामणि मालवीय को 7 दिन में देना होगा संतोषजनक जवाब विधायक ने उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर उठाया था सवाल

आशीष यादव धार-भोपाल।
मध्यप्रदेश भाजपा ने आलोट विधानसभा से पार्टी के विधायक चिंतामणि मालवीय को शो-कॉज नोटिस जारी किया है। यह नोटिस विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मालवीय द्वारा उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर सवाल उठाने के कारण जारी किया गया है। भाजपा संगठन की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि मालवीय के बयानों और कृत्यों से पार्टी की प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है। इस संबंध में विधायक से सात दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। बता दें, भाजपा संगठन विधायक मालवीय के अपनी ही सरकार को घेरने से नाराज है। चिंतामणि मालवीय ने बजट सत्र के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री जी का मैं धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने उज्जैन सिंहस्थ के लिए 2 हजार करोड़ रुपए की राशि रखी है। उज्जैन को गर्व है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उज्जैन से हैं, लेकिन आज उज्जैन का किसान बहुत डरा और परेशान है। सिंहस्थ के नाम पर पहले उसकी जमीन केवल 3 से 6 महीनों के लिए अधिग्रहित की जाती थी, लेकिन अब उन्हें स्थायी अधिग्रहण का नोटिस दिया गया है। विधायक चिंतामणि मालवीय ने कहा था कि पता नहीं किस अधिकारी ने यह विचार रखा है कि स्प्रिचुअल सिटी बनाएंगे। विधायक ने कहा था कि मैं बताना चाहता हूं कि स्प्रिचुअलिटी किसी सिटी में नहीं रहती है। वह तो त्याग करने वाले लोगों से होती है। हम क्रांक्रीट के भवन बनाकर स्प्रिचुअल सिटी नहीं बना सकते। मालवीय ने उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण, किसानों की भूमि के स्थायी अधिग्रहण और कॉलोनाइजरों व भूमाफियाओं की साजिश होने की आशंका बताई थी।
सरकार को बैकफुट पर धकेला:
मालवीय के इस बयान ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया। उज्जैन सिंहस्थ 2028 की तैयारियां जोरों पर हैं, और इसके लिए जमीन अधिग्रहण एक अहम हिस्सा है। लेकिन मालवीय ने जब स्थायी अधिग्रहण का मुद्दा उठाया, तो यह साफ हो गया कि इस फैसले से किसानों में भारी नाराजगी है। मालवीय का यह कहना कि स्प्रिचुअल सिटी बनाने का विचार गलत है, सरकार की योजना पर सीधा हमला था। सूत्रों के मुताबिक, इस बयान के बाद सरकार को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ा। विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लपक लिया और सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया।
केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंची बात:
मालवीय का यह बयान विधानसभा तक सीमित नहीं रहा। इसकी गूंज भोपाल से दिल्ली तक पहुंच गई। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व ने इस मामले को गंभीरता से लिया। पार्टी के शीर्ष नेताओं का नानना था कि मालवीय का यह बयान न सिर्फ सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पार्टी की एकजुटता को भी कमजोर कर रहा है। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मालवीय को शो कॉज नोटिस जारी किया।
नोटिस में क्या लिखा ?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की ओर से जारी नोटिस में साफ तौर पर कहा गया है कि चिंतामणि मालवीय के हालिया बयानों और कृत्यों की वजह से पार्टी की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है। नोटिस में लिखा गया कि आपके बयान पार्टी लाइन के खिलाफ है और इससे संगठन की छवि को नुकसान पहुंचा है। यह पार्टी अनुशासन का उल्लंघन है। गालवीय को 7 दिनों के अंदर इस नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, तो उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
मालवीय का पक्षः मैंने किसानों की बात उठाई:
नोटिस मिलने के बाद चिंतामणि मालवीय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा, वह उज्जैन के किसानों की आवाज थी। मैंने अपनी ही सरकार को इसलिए घेरा, क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सामने लाऊ। सिंहस्थ के लिए जमीन का स्थायी अधिग्रहण किसानों के हित में नहीं है। पहले यह अस्थायी तौर पर लिया जाता था, लेकिन अब स्थायी अधिग्रहण का नोटिस देकर किसानों को डराया जा रहा है। मैंने सिर्फ सच्चाई सामने रखी है। मालवीय ने यह भी कहा कि वे पार्टी के प्रति वफादार हैं, लेकिन किसानों के हक के लिए लड़ते रहेंगे।
पहले भी कई बार अपने बयानों से विवादों में रहे हैं मालवीय:
यह पहली बार नहीं है जब चिंतामणि मालवीय ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयान दिया हो। मालवीय पहले भी कई बार अपने बयानों से विवादों में रहे हैं। 2018 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें दीपावली पर पटाखे जलाने के लिए रात 8 से 10 बजे का समय निर्धारित किया गया था। तब मालवीय ने कहा था, मैं अपनी दीवाली परंपरागत तरीके से मनाऊँगा और रात 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाऊंगा। उस वक्त भी उनके बयान ने पाटी को असहज स्थिति में डाल दिया था। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मालवीय का यह रवैया कई नेताओं को पसंद नहीं है। कुछ का मानना है कि वे पार्टी लाइन से इंटकर अपनी अलग छवि बनाने की कोशिश करते हैं, जो संगठन के अनुशासन के खिलाफ है। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, गालवीय को अपनी बात पार्टी फोरम में रखनी चाहिए थी, न कि विधानसभा में। इससे पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठते हैं।
विपक्ष ने कसा तंज:
इस मामले में विपक्षी काग्रेस ने भी चुटकी ली है। कांग्रेस नेता और विधायक महेश परमार ने कहा कि मालवीय जी ने सही मुद्दा उठाया है। यह दिखाता है कि भाजपा सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। लेकिन यह भी साफ है कि भाजपा में अंदरूनी कलह बढ़ रही है। अपनी ही पार्टी के विधायक को नोटिस देना यह दिखाता है कि सरकार दबाव में है। कांग्रेस इस मुद्दे को अब विधानसभा से सड़क तक ले जाने की तैयारी में है।
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