
इंदौर। श्री जैन प्राच्यविद्या अनुसंधान संगठन द्वारा आयोजित वास्तु संगोष्ठी मे वास्तुविदों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जैसे शरीर में नाभि बहत्तर हजार नाड़ियों को संतुलित रखतीं हैं उसी प्रकार घर, फ्लेट, दुकान, फैक्ट्री का ब्रम्ह स्थान भी शुद्ध, प्रासुक एवं भारविहीन होना चाहिये जिससे उत्तम सुख, समृद्धि, सामंजस्य, स्वास्थ, प्रगति संभव है
अर्हम् साधना केन्द्र एयरपोर्ट रोड पर आयोजित इस संगोष्ठी में संरक्षक एम के जैन, उपाध्यक्ष डॉ. मनीषा चेलावत, महामंत्री सुशील जैन, कोषाध्यक्ष पंकज जैन, मनोज जैन, प्रीति पाडलिया, रेणु जैन ने अपने विचार व्यक्त किये, कार्यक्रम मे समाजजन उपस्थित थे