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भारतीय सनातन संस्कृति के अनुकरणीय वैश्विक कीर्ति पुरुष थे श्री एस. पी. हिंदुजा : ईश्वर झामनानी

देश का नाम रौशन करने वाले उद्योगपति स्व. श्री एस. पी. हिंदुजा को इंदौर में दी गई भावपूर्ण आदराजंलि

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट :-

इंदौर। श्री एस.पी. हिंदुजा सिर्फ़ विश्व के सबसे धनी भारतीयों में होने के कारण ही सम्माननीय नहीं हैं. उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता सनातन धर्म में वर्णित प्रत्येक सद्गुण को अपनी जीवन शैली में ढ़ालकर आत्मसात करना है. वे वास्तव में भारतीय सनातन संस्कृति के एक अनुकरणीय वैश्विक कीर्ति पुरुष थे.

यह बात इंडसइंड फाउंडेशन के ट्रस्टी एवं समाजसेवी श्री ईश्वर झामनानी ने हाल ही में स्वर्गवासी हुए सुप्रसिद्ध उद्योगपति एवं हिंदुजा समूह के अध्यक्ष श्रीयुत श्रीचंद परमानन्द हिंदुजा के सम्मान में इंदौर में आयोजित आदरांजलि सभा में कही. उन्होंने कहा कि भारतीय संयुक्त परिवार के मूल्य को समर्पित श्री एस.पी. हिंदुजा 38 देशों में फैले कारोबार के बाद भी पारिवारिक संवादहीनता को कभी पनपने का अवसर नहीं दिया। लाखों ज़रूरतमंदों की कई दशकों से मदद कर रहे हिंदुजा परिवार के मुखिया का जीवन परहित और सनातन संस्कृति को समर्पित था. वे अपने सिद्धांतों के प्रति इतने अडिग थे कि उन्होंने एक बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रात्रिभोज के आमंत्रण को भी इसलिए अस्वीकार कर दिया था क्योंकि वे उस किचन का भोजन नहीं खाते थे, जिसमें सामिष भोजन भी पकता हो. मेहमान बनने की बजाय उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को ही परिवार और मित्रों सहित अपने निवास पर आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराया जिसमें प्याज़ और लहसुन तक वर्जित था. आदरांजलि के आयोजन में देश भर से पधारे विद्वत संतों, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, सांसद श्री शंकर लालवानी, अनेक विधायक, विभिन्न पार्टियों के पदाधिकारियों, उद्योगपतियों, समाजसेवियों, पत्रकारों के साथ बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. इस अवसर पर सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री घनश्याम वासवानी ने अपने सुप्रसिद्ध मधुर भजनों ने समां बांध दिया।

मुंबई के खारघर इस्कॉन मंदिर के प्रमुख श्री सूरदास जी महाराज ने श्री एस.पी. हिंदुजा की तारीफ़ में बहुत बड़ी बात कही कि साधु होने के बाद भी उनमें उतना विनीत भाव नहीं है जितना श्री हिंदुजा में वैश्विक कारोबारी लीडर होने के बावजूद था. उन्होंने पूरे विश्व में सनातन धर्म के संरक्षण और प्रसार के लिए करोड़ों रुपयों का दान विनम्र भाव से सहज ही दिया। परिवार के साथ ज़मीन पर बैठकर भागवत सुनना, अपने बंगले की सबसे ऊँची मंज़िल पर बने मंदिर में नियमित सपरिवार आरती करना, शास्त्र अध्ययन, ज़रूरतमंदों की सहायता, सनातन मूल्यों के प्रति पूर्ण समर्पण आदि उनके व्यक्तित्व के विलक्षण गुण थे. उन्होंने अपना अधिकतम सनातन के लिए लगाया और अगली पीढ़ी को भी यह समभाव सिखाया कि ये सब हमारा है और ये सब हमारा नहीं है बल्कि ये सब सबका है. सांसद श्री शंकर लालवानी के कहा कि अपने सद्गुणों के कारण हिंदुजा परिवार ने संघर्ष कर शिखर पर अपना स्थान बनाया। इंदौर के इस्कॉन प्रमुख श्री महामनदास जी महाराज जी कुछ उदाहरण देकर बताया कि श्री एस. पी. हिंदुजा सनातन मूल्यों को सर्वोपरि मानते थे. हैदराबाद के इस्कॉन मंदिर के प्रमुख श्री वत्सलदास जी महाराज ने श्री एस. पी. हिंदुजा की निराभिमानता को अनुकरणीय बताया। राष्ट्रकवि श्री सत्यनारायण सत्तन ने श्री हिंदुजा के विनम्र भाव को फलों से लदे वृक्ष के सदृश्य बताया. श्री सत्तन के कहा कि श्री हिंदुजा का अनुकरणीय जीवन उन्हें वन्दनीय बनाता है. वे ऐसे कर्मयोगी थे जो सदा यह प्रयत्न करता है कि अगर कहीं पे स्वर्ग है तो उतार ला ज़मीन पर। प्रदेश भाजपा महामंत्री श्री भगवानदास सबनानी ने श्री एस. पी. हिंदुजा को भारत और अनेक अन्य देशों के बीच सेतु समान बताया। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस मनोहर ममतानी ने कहा कि श्री एस. पी. हिंदुजा की लीगेसी जारी रहेगी तथा नई पीढ़ी उनके मूल्यों का अनुसरण करती रहेगी। संत श्री माधवदास उदासीन जी महाराज, ग्लोबल अलायंस के प्रमुख श्री मनोहर देव, सिंधु भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री राजेंद्र मनवानी, देवास कांग्रेस अध्यक्ष श्री मनोज राजानी इत्यादि ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. कार्यक्रम का गरिमामयी संचालन भोपाल की सुश्री कविता इसरानी ने किया। अंत में सभी के प्रति साधुवाद श्री गुलाब ठाकुर ने ज्ञापित किया।

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संगीत के सुरों और हुसैन की पेंटिंग श्रृंखला ने आदरांजलि में जोड़े आयाम
श्री एस. पी. हिंदुजा के प्रति संगीत के माध्यम से आदरांजलि प्रस्तुत करने मुंबई से पधारे पार्श्व गायक, संगीतकार, ग़ज़ल एवं भजन गायक श्री घनश्याम वासवानी ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों की अलग ही भावलोक में पहुँचा दिया। उनके भजन इतनी शक्ति हमें देना दाता को आज विश्व भर के गायक गाते हैं. ग़ज़ल सम्राट श्री जगजीत सिंह के प्रिय शिष्य श्री वासवानी ने हे राम, चिट्ठी न कोई सन्देश, जिनके ह्रदय श्रीराम बसे, ये तो सच है कि भगवान है के अलावा अपने लोकप्रिय सिंधी भजनों की भी प्रस्तुति दी. बहुविध संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी में श्री एस.पी. हिंदुजा को सच्चा सनातनी बताते हुए बाँसुरी पर ‘वैष्णव जन तो तेणें कहियज” की मधुर प्रस्तुति से संगीतांजलि दी. श्री एस. पी. हिंदुजा ने सभी धर्मों को आदर देने की थीम पर भारत के पिकासो कहे जाने वाले सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री एम. एफ. हुसैन के साथ कॉलोबोरेट करते हुए दस पेंटिंग्स की एक श्रृंखला बनवाई थी जो आज विश्व धरोहर बन चुकी है. इस श्रृंखला की प्रतिकृतियों की प्रदर्शनी आयोजन स्थल पर किया गया जिसने दर्शकों को खूब आकर्षित किया। इस प्रदर्शनी का सभी दर्शकों ने अवलोकन कर इन पेटिंग्स में श्री एम. एफ. हुसैन की कलागत ऊँचाइयों और श्री एस. पी. हिंदुजा के कॉन्सेप्ट की गहराई की जमकर सराहना की.

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