इंदौरधर्म-ज्योतिष

जहां श्रद्धा नहीं है, वहां विश्वास टिकेगा ही नहीं – आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद

इंदौर,  । सत्य को धारण करने की शक्ति का नाम श्रद्धा है। श्रद्धा की परिपक्व अवस्था का नाम विश्वास है। शिव और पार्वती की उपासना श्रद्धा और विश्वास की ही उपासना है। सृष्टि का संचालन श्रृद्धा और विश्वास से ही हो रहा है। जहां श्रद्धा नहीं है, वहां विश्वास भी नहीं टिकेगा। जिस तरह भगवान शिव ने हलाहल पीकर समाज की बुराइयों को रोका था, उसी तरह आज भी समाज को एक ऐसे शंकर की जरूरत है, जो ज्वलंत बुराइयों को अपने कंठ में उतार सके

ये प्रेरक विचार हैं वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के जो उन्होंने गीता भवन के सत्संग सभागृह में चल रही शिव पुराण कथा के दौरान विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, राजेश-बबीता चेलावत, श्याम मोमबत्ती, महेश चायवाले, विनोद गोयल, संजय मंगल, शिव जिंदल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। संध्या को आरती में महिला मंडल की ओर से श्रीमती कनकलता गोयल, अंजलि अग्रवाल, सुचिता अग्रवाल सहित सैकड़ों भक्तों ने आरती में भाग लिया।  भगवान शिव किसी दीन-हीन की करुणा को देख नहीं सकते। उनका स्वभाव अत्यंत दयालु है। परिवार चलाने का तरीका भगवान शिव से सीखना चाहिए। भगवान शिव इतने सरल देव हैं कि केवल जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं, उन्हें 56 भोग या अन्य मेवा मिष्ठान की जरूरत ही नहीं। उनका राज पाट चलाने का तरीका आज के शासक भी सीख लें तो जनता का बहुत कुछ भला हो सकता है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!