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सर्द मौसम से गहरा है निमोनिया का रिश्ता, बच्चों और बूढों का रखे ख़ास ख्याल

हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी धोते रहें, खांसी और छींकते समय मुंह और नाक को ढकें

इंदौर, । मौसम धीरे-धीरे बदल रहा है,सर्द हवाएं चलनी शुरू हो गई है। ऐसे में लोग कई तरह की मौसमी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को होती है। छोटे बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है जिसकी वजह से उनके तुरंत बीमार होने की संभावना अधिक होती है। इस मौसम में अगर ध्यान न रखा जाए तो सर्दी, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ होने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। लोग अक्सर इसे सर्दी में होने वाला वायरल मान लेते हैं लेकिन यह सारे निमोनिया के शुरूआती लक्षण हैं। निमोनिया, इसके लक्षणों, कारणों और उपचार के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), यूनिसेफ और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।

शैल्बी मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के डॉ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ.शैलेष अग्रवाल के अनुसार, “निमोनिया एक फेफड़ों का इंफेक्शन है, जो वायरस, बैक्टीरिया जैसे संक्रामक एजेंट्स की वजह से फैलता है और धीरे-धीरे फेफड़ों पर हमला करता है। इंफेक्शन बढ़ने पर बुखार, सांस लेने में तकलीफ और दर्द की समस्याएँ देखने को मिलती है। वैसे तो निमोनिया किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर ये बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में निमोनिया की चपेट में लाखों लोग आते हैं। सर्दी में यदि का ठंड से बचाव नहीं किया जाए और ठीक से देखभाल नहीं की जाए तो नाक, गला, श्‍वास नली, फेंफड़े और कान में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इस दौरान खांसी होना, नाक बहना, पसलियां चलना, गले में खराश होना, सांस तेज चलना, थकान और कमजोरी भूख में कमी, दिल की धड़कन तेज़ होना, तेजी से सांस लेना और बुखार होना नीमोनिया के प्रारम्भिक लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा तेजी से सांस लेना या सांस की तकलीफ होना, सीने में दर्द जो आमतौर पर गहरी सांस लेने पर बढ़ जाना, बुखार, पसीना और ठंड लगना, भ्रम की स्थिति (विशेष रूप से वृद्ध लोगों में) होना, खांसी के साथ हरी, पीली या खूनी कफ आना और होंठ और नाखून का रंग नीला हो जाना भी नीमोनिया का संकेत है। ये लक्षण नजर आने पर छाती के एक्स-रे और ब्लड, सीरम कल्चर जांच के माध्यम से इसकी पुष्टि की जाती है। निमोनिया के प्रकार और इसकी गंभीरता के आधार पर इसका इलाज किया जाता है। बैक्टीरियल निमोनिया को एंटीबायोटिक्स के माध्यम से ठीक किया जा सकता है लेकिन गंभीर स्थिति में ऑक्सीजन थेरेपी की भी जरूरत पड़ सकती है।“

डॉ. अग्रवाल आगे बताते हैं, “बच्चों और बुजुर्गों केअलावाजो लोग डायबिटीज, टीबी, कैंसर, लंग इन्फेक्शन, ऑर्गन फैलियर, और दमा जैसी बीमारियों से पीड़ित है उन्हें निमोनिया से बचाव के लिए टीका लगवाना बहुत जरुरी है। इसके अलावा धूम्रपान करने वाले लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए, धूम्रपान श्वसन संक्रमण, विशेष रूप से निमोनिया के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी धोते रहें, खांसी और छींकते समय मुंह और नाक को ढकें। इस्तेमाल किए गए टिश्यू को तुरंत डिस्पोज करें। अपनी जीवन शैली को बेहतर बनाने का प्रयास करें, पर्याप्त आराम करें, संतुलित आहार लें और नियमित तौर पर व्यायाम करें।”

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