मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता बूंदाबांदी से तेज हुई गेहूं की कटाई इस बार भी उत्पाद साथ नही मिल भाव
बेमौसम की ठंड व गर्मी से गेहूं की उत्पादन प्रभावित 10 से 12 क्विंटल बीघा हो रहा बैठ रहा गेंहू

आशीष यादव धार
चार महीने की मेहनत की कटाई जे लिए किसानों ने तैयारी शुरू कर दी है वही जो किसानों को उम्मीद थी फसल पकने की उम्मीद से गेहूं उत्पादन नही मिल पा रहा है वही शुरुआत में गेहूं की फसल देख किसानों के चेहरे पर अच्छे उत्पादन की उम्मीद थी मगर फरवरी के अंतिम सप्ताह में गेहूं की फसल कटाई देखकर किसान के माथे की चिंता बढ़ा क्योकि दूसरी और फरवरी में गर्मी ने फसल को प्रभावित कर दिया जिसके कारण एकदम से फसल पककर तैयार हो गई वह कटाई के लिए तैयार हो गई जिसके कारण गेहूं उत्पादन पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है इस साल गेहूं की फसल लगाने के बाद ही लगातार मौसम परिवर्तन के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा वहीं इस बार किसानों को उत्पादन में काफी नुकसान उठाना पड़ा । “आज यह कहानी किसानों के लिए सत्य साबूत हो गई “खुद को तपाकर धूप में हलधर ने इसे कुंदन कर डाला, हर हाथ करेगा काम तो इसी से मिलेगा सभी को निवाला’ कभी बारिश तो कभी आंधी तूफान से लड़कर आखिरकार धरतीपुत्रों ने उस फसल को चमका दिया जो सोने से भी अनमोल है। खेतों में लहलहाती कुंदन सरीखी दिखने वाली इस गेहूं की फसल की कटाई तेजी से शुरू हो गई है। क्योंकि किसान की मेहनत का मोती पक चुका था मगर इस बार फसल चार महीने मेहनत करने के बाद भी उसे उत्पादन नही मिल पा रहा है। इसबार तो किसानों महंगाई के इस दौर में लागत तक नही निकला पा रहे है।
मौसम अनुकूल नही होने से उत्पादन हुआ कम:
इस बार किसानों की किसी फसलों का उत्पादन नही मिल पा रहा है। मंहगाई के समय किसान लागत तक नही निकाल पा रहे है क्योकि बीज के साथ खाद व अन्य दवाई के भाव तो बढ़ रहे मगर उपज के दाम नही बढ़ पा रहे।क्योंकि की फसलों के हिसाब से मौसम नहीं मिला जिसके कारण सभी फसलों में उत्पादन कम ही आ रहा है। जिससे किसान काफी ना खुश है वह किसानों को नुकसान भी है क्षेत्र में इस बार गेहूं की पैदावार में किसानों को नुकशान उठाना पड़ा है कम पैदावार के बावजूद किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। जब से फसलों को बोई जब मौसम उतार चढ़ाव के कारण व फरवरी में ठंड व गर्मी गिरने से गेंहू की फसल को नुकसान हुआ है। इसबार बेमौसम की बारिश से गेहूं की फसल को ज्यादा हानि पहुचाई है। मगर मौसम ने गेहू उत्पादन पर प्रभाव छोड़ गई वही दूसरी ओर मंडी में किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं।
किसानों से समर्थन मूल्य खरीदी चालू :
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 15 मार्च से शुरु हो गई है। गेहूं के समर्थन मूल्य 2425 रुपए है व सरकार 175 रु का बोनस देगी जो कुल 2600 रुपए तक सरकार खरीदेंगी। गेहूं की फसल कटाई का कार्य जोरो पर चल रहा है । इसबार सरकारी खरीदी भी जल्दी शुरू करना का भी किसानो से जल्दी से गेहूं खरीदना है ओर किसान सरकारी खरीदी में गेहूं तुलवाई करे । क्योकि किसान मंडी में ही अपनी उपज बेच रहे हैं। किसानों को इस समय रुपए की जरुरत होती है। समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने पर रुपए भी बाद में आते है। ऐसी स्थिति में किसान मंडी में ही अपनी उपज बेचेंगे क्योकि नगद पैसे से किसानो को जरूरत होती हैं
करीब करोड़ो रुपए उपज की उम्मीद:
जिले भर में इस बार 3 लाख 20 हजार हैक्टयर में गेहूं की बुवाई हुई है। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एक हैक्टयर में करीब 40 क्विंटल गेहूं उत्पादन होता है। मगर इसबार पहले बोवनी के गेहूं का उत्पादन कम आ रहा है। बाद वाली बोवनी पर भी प्रभाव पड़ा है। इस हिसाब से जिले में इस बार करीब 10 से 12 लाख मैट्रिक टन से अधिक गेहूं उत्पादन होने की उम्मीद है। 2425 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से करीब करोड़ो रुपए गेहूं की का उपज का अनुमान है। वही इसबार सरकार किसानों बोनस भी देगे वही पिछ्ली बार 125 रु बोनस मिला था।
किसानों को नहीं मिल रहे उचित दाम:
मंडी में शुरुआत में 3200 रुपए प्रति क्विंटल के दाम से गेहूं की बिके थे। लेकिन फरवरी दूसरे सप्ताह में किसान अपनी फसल मंडी में बड़ी मात्रा में लेकर आ रहे है इस कारण मंडी में किसानों को 2400 से 2730 रुपए के प्रति क्विंटल के ही दाम मिल रहे हैं। किसानों को प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपए का नुकसान हो रहा है। पिछली बार सरकार के चुनावी वादों में 2700 खरीदी करने की बात सरकार कर रही थी मगर अब 125 रुपए बोनस बढ़ाकर किसानों को ऊंट के मुंह में जीरे वाली स्थिति कर दी। वही सरकार में बोनस के साथ किसानों का मंडियों में बचने वाले गेंहू पर भी नुकसान कर दिया था वही इसबार भी 26 सौ रु की खरीदी करके मंडियों में भाव स्थिर कर दिए है।
अच्छी आवक हो रही है:
मंडी में रोजाना करीब 8 से 10 हजार गेहूं की बोरी की आवक हो रही है। शुरुआत में गेहूं की अच्छी बिक्री हो रहे थे लेकिन अब मंडी में किसान खुद को ठगा महसूस कर रहा वह गेहूं का सही दाम मंडी में नहीं मिल रहा वहीं किसान सोच रहे हैं कि 15 मार्च से गेहूं खरीदी चालू हो जाएगी तो सोसाइटी के माध्यम से ही गेहूं हम सोसाइटी को देंगे क्योंकि यहां अगर मंडी तेजस गेहूं देते हैं तो हमें 200 से 300 का घाटा जायेगा है व पहले ही गेहूं उत्पादन कम हुआ है और ऊपर से कम भाव मिलने से हमें नुकसान हों जायेगा वही सरकार दूसरी ओर एमएसपी की बात करती है मगर हम किसानों को मंडी में एमएसपी के माध्यम से खरीदी नही होती है। हम किसानों को सर्मथन मूल्य के नीचे ख़रीदी पर उपज बेचना पड़ती है।
पिछले सालों से इस बार उत्पादन कम:
प्रतिवर्ष की तुलना में इस वर्ष क्षेत्र में गेहूं का उत्पादन कम रहा है। इस बार सिंचाई की सुविधा होने से गेहूं की फसल अधिक भूमि पर लगाई गई थी। गेहूं को पर्याप्त खाद बीज भी किया उसके बाद भी गेहूं का उत्पादन 10 से 12 क्विंटल बीघा आ रहा है जिससे किसान को घाटा उठाना पड़ रहा है व लागत भी नही निकाल पा रहे है। वही किसान विजय गोस्वामी ने बताया कि गेहू में 10 से 15 हजार रुपये बीघा से अधिक खर्च आ गया है किसान को इसबार गेंहू व लहसुन अन्य फसल उत्पादन में नुकसान दे गई है।