समाज में व्याप्त पाशविक प्रवृत्तियों का नाश करने केलिए शिव पुराण जैसे ग्रंथों का मनन-मंथन जरूरी
गणेश नगर के शिव हनुमान मंदिर पर शिव महापुराण कथा का हुआ समापन-आचार्य पं. दुबे का सम्मान
इंदौर । शिव का अर्थ की कल्याण है। प्राणी मात्र के लिए कल्याण और मुक्ति की प्राप्ति शिव पुराण के श्रवण से ही संभव है। समाज में समता एवं त्याग की भावना तभी बढ़ेगी, जब हम शिव पुराण जैसे ग्रंथों के संदेशों को आत्मसात करेंगे। शिव पुराण के श्रवण से भक्ति, भक्ति से प्रेम, प्रेम से सदभाव और सदभाव से भेदभाव मुक्त समाज का सृजन होता है। अज्ञान, अहंकार और समाज में व्याप्त पाश्विक प्रवृत्तियों का नाश करने के लिए शिव पुराण जैसे ग्रंथों का मनन और मंथन जरूरी है। सत्य की राह पर चलकर शिव की तरह प्रत्येक क्षेत्र में श्रेष्ठता का लक्ष्य ही सत्यम, शिवम, सुंदरम के भाव को चरितार्थ करेगा।
आचार्य पं. अंकित दुबे के, जो उन्होंने शुक्रवार को श्रावण मास के उपलक्ष्य में आयोजित महाशिवपुराण कथा के समापन प्रसंग पर भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री ने नर्मदेश्वर एवं दान की महिमा का भी भावपूर्ण चित्रण किया। समापन अवसर पर भगवान शिव का जीवंत दरबार सजाकर दीपोत्सव भी मनाया गया। सैकड़ों भक्तों ने आरती में झिलमिलाते दीपों को लेकर भगवान शिव की आराधना स्वरूप सबके मंगल एवं कल्याण की कामना की। कथा शुभारंभ के पूर्व माता केशरबाई धार्मिक एवं पारमार्थिक न्यास के अध्यक्ष तुलसीराम रघुवंशी, अभिभाषक रेवतसिंह रघुवंशी, सवितासिंह, सुश्री शताषी रघुवंशी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। समापन अवसर पर ट्रस्ट की ओर से कथा व्यास आचार्य पं. दुबे का ट्रस्ट के अध्यक्ष तुलसीराम रघुवंशी एवं परिवार को सदस्यों ने सम्मान भी किया । यज्ञ-हवन के बाद प्रसाद वितरण के साथ पूर्णाहुति संपन्न हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
आचार्य पं. दुबे ने कहा कि शिव पुराण में प्राणी मात्र के अभ्युदय का भाव है। समाज में अनेक तरह की विसंगतियां कलियुग के प्रभाव के कारण बढ़ती जा रही है। हमारी नई पौध इन विकृतियों में उलझकर संस्कार और संस्कृति से विमुख हो रही है। घर और परिवार बिखरने लगे हैं। घर और परिवार कैसे संभाले जाते है, यह शिव परिवार से सीखना चाहिए, जहां एक दूसरे के कट्टर दुश्मन भी एक साथ रहते हैं। भगवान शिव गले में सर्प धारण किए हुए हैं, जिनका दुश्मन कार्तिकेय की सवारी मोर है। गणेशजी की सवारी चूहा है जो सांप के निशाने पर रहता है, जबकि मोर के निशाने पर सर्प रहता है। विपरीत स्वभाव के लोगों को जोड़कर रखने का संदेश भगवान शिव ही देते हैं। अपने घर-परिवार को बचाने के लिए हमें अपने बच्चों को धर्मग्रंथों के माध्यम से सेवा, दया, करुणा और निर्भयता जैसे गुणों की शिक्षा देना होगी। शिव पुराण भक्ति और मुक्ति का ग्रंथ है। सत्य की राह पर चलकर शिव की तरह कल्याणकारी और प्रत्येक क्षेत्र में श्रेष्ठता का लक्ष्य ही सत्यम, शिवम, सुंदरम के सूत्र वाक्य को चरितार्थ बनाएगा।