मुख्य खबरेसेंधवा

सेंधवा। जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील से संबंधित सभी दस्तावेज अंग्रेजी में प्रस्तुत किए जाने की अनिवार्यता समाप्त की जाए- जैन

वरिष्ठ कर सलाहकार एवं अधिवक्ता बी.एल. जैन ने इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय, केन्द्रीय वित्त मंत्री एवं म.प्र. के मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर निराकरण की मांग की।

सेंधवा। केन्द्र शासन द्वारा म.प्र. में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल भोपाल में स्थापित करने के आदेश जारी किए है। लेकिन अपील से संबंधित सभी दस्तावेज अंग्रेजी मे प्रस्तुत किए जाने की अनिवार्यता की गई है, जो आम करदाता के हित में नहीं होकर प्राकृतिक न्याय के भी विपरीत है।
वरिष्ठ कर सलाहकार एवं अधिवक्ता बी.एल. जैन ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय, केन्द्रीय वित्त मंत्री एवं म.प्र. के मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर अंग्रेजी में दस्तावेज प्रस्तुत करने की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए हिन्दी मंे भी अपील प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान किए जाने हेतु संशोधित अधिसूचना जारी करने की मांग की है। श्री जैन ने पत्र मे लिखा है कि हिन्दी हमारी आधिकारिक एवं राष्ट्रभाषा है। आधिकारिक भाषा का प्रयोग सरकारी कामकाज और प्रशासन के लिए किया जाता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343 देवनागरी लिपी में हिन्दी और अंग्रेजी को संघ की आधिकारिक भाषाओं के रूप मे निर्दिष्ट करता है। इसके विपरीत हिन्दी भाषा को दुसरे स्थान का दर्जा देकर इसकी अनदेखी करते हुए अंग्रेजी में दस्तावेज प्रस्तुती के आदेश हमारी राष्ट्र भाषा की गरिमा और अधिकारो को भी कम करती है। म.प्र. की स्थिती यह है कि वर्तमान मे कई कर सलाहकारों से लेकर व्यापारी वर्ग तक पूर्णतः अंग्रेजी भाषा के जानकार नहीं ह।ै ऐसी स्थिती मंे अपीलेट ऑथोरिटी के समक्ष अंग्रेजी की बाध्यता होने के कारण वह अपना पक्ष सही ढंग से प्रस्तुत नहीं कर सकेगा तो वह न्याय से वंचित रह जाएगा।

कई संस्थाओं में हिन्दी में प्रस्तुत की जा सकती है-
श्री जैन ने कहा कि वर्तमान में उच्च न्यायालय/आयकर ट्रिब्यूनल/म.प्र. वाणिज्यिक कर अपील बोर्ड के समक्ष जो अपील प्रस्तुत की जाती है वह भी हिन्दी में प्रस्तुत की जा सकती है, तो फिर जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल के समक्ष हिन्दी में अपील क्यों नहीं की जा सकती है? एक ही देश की न्याय व्यवस्था मे हिन्दी एवं अंग्रेजी के नाम पर पृथक-पृथक दो मापदण्ड कैसे अपनाए जा सकते है ? निश्चित ही यह आम करदाता के संवैधानिक अधिकारो हनन है। यहां यह उल्लेखनीय है कि आयकर ट्रिब्यूनल की अधिकृत भाषा अंग्रेजी है, लेकिन इस संबंध में केन्द्र शासन ने आयकर अधिनियम की धारा 255 (5) के तहत एक अधिसूचना जारी की है। जिसके अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, पंजाब, म.प्र., राजस्थान, बिहार, केन्द्र शासित प्रदेष चंडीगढ, दिल्ली में हिन्दी भाषा के उपयोग की अनुमति प्रदान की है। जहां प्रकरण में अपील की प्रस्तुती हिन्दी में की जा सकती है। यहीं नहीं प्रकरण की प्रोेसेडिंग एवं आदेश भी हिन्दी भाषा में जारी किए जा सकते है, फिर जीएसटी में अंग्रेजी की बाध्यता क्यों ? जब केन्द्र शासन आयकर ट्रिब्यूनल मे हिन्दी भाषा में अपील प्रस्तुती की अनुमति प्रदान कर सकता है तो जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल मे अंग्रेजी भाषा की बाध्यता क्यों?

करदाता पर अनावश्यक खर्चे का भार बढेगा-
श्री जैन ने कहा कि केवल अंग्रेजी भाषा में अपील करने के प्रावधान से हालात यह बनेंगे कि करदाता के पास उपलब्ध साक्ष्य को हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद करवाना होगा, जो खर्चीला तो होगा ही छोटे शहरों में अंग्रेजी अनुवादकों की उपलब्धता नहीं होती है। जिससे अनुवाद करने में कर सलाहकारों को बड़े शहरों में जाकर अनुवाद करवाना होगा। जो अनावश्यक परेशानी का कारण तो बनेगा। इससे करदाता के उपर अनावश्यक खर्चे का भार भी बढेगा। इसके अलावा यदि किसी तथ्य को अनुवादक ने सही रूप मे अनुवाद नही किया तो इसका खामियाजा आम करदाता को भुगतना होगा, जिससे वह न्याय पाने से वंचित रह सकता है ? श्री जैन ने कहा कि भारत सरकार हिन्दी भाषा को प्राथमिकता देकर इसको बढावा देने के लिए सतत् प्रयास कर रही है, बावजुद इसके अपीलेट ट्रिब्यूनल मे अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता सरकार के प्रयासो की मंशा के विपरीत है। न्यायहित मे आपने हिन्दी मे भी अपील प्रस्तुती हेतु अधिसूचना जारी करने हेतु मांग की है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!