अब माइक्रो बीट में गाँव से लेकर शहरी क्षेत्रो में बांटे जाएंगे साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में तीन या चार गांवों का जिम्मा दिया जाएगा।
कानून व्यवस्था में कसावट लाने माइक्रो बीट पर काम करेगी पुलिस बीट सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने पर जोर, आरक्षकों को दी जाएगी इलाके की जिम्मेदारी।

आशीष यादव धार
अपराधों पर अंकुश लगाने धार पुलिस माइक्रो बीट प्रणाली लागू करने जा रही है। जिसमें गुंडे बदमाशों, अपराधिक किस्म के लोगों पर नजर रख पाना आसान हो जाएगा। इसके तहत थानों में पदस्थ आरक्षक और प्रधान आरक्षक लेवल के पुलिसकर्मियों को बीट प्रभारी बनाया जाएगा। दरअसल, अभी तक बीट का जिमा एसआई, एएसआई को दिया जाता था और बीट का एरिया भी काफी ज्यादा रहता था। अब माइक्रो बीट में शहरी मोहल्ले और वार्ड बांटे जाएंगे वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में तीन या चार गांवों का जिम्मा दिया जाएगा। उन संबंधित गांवों में होने वाली तमाम गतिविधियों, आने जाने वालों की जानकारी और गांव के जिम्मेदारो का डेटा संबंधित माइक्रो बीट प्रभारी रखेंगे। क्षेत्रो मे हर तरह के अपराधिक किस्म के लोगों, बदमाशों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। उनकी एक-एक गतिविधि की मॉनीटरिंग बीट प्रभारी करेंगे। यह आमजन में सुरक्षा का भाव बनाने, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के मकसद से थाना क्षेत्र को छोटे- छोटे इलाकों में बांट दिया जाता है, जिसे बीट सिस्टम कहते हैं। बीट सिस्टम को पुलिसिंग की अहम कार्यप्रणाली माना जाता है। अब इसी सिस्टम को और प्रभावी बनाने के लिए माइक्रो बीट पर जोर दिया जाएगा। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर जिला पुलिस ने इस ओर काम शुरू कर दिया है।
23 थानों में 1300 के लगभग पुलिस:
धार जिला एक संवेदनशील जिला है जिसमें आए दिन घटनाओं होने की सूचनाएं मिलती रहती है वही माइक्रो बीट में बटने में कुछ हद तक राहत मिलेगी वहीं धार एसपी मनोज कुमार सिंह द्वारा जिले के अपराधिक गांव में जाकर वहां के लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने का काम भी किया जा रहा है वही अपराधियों के गाँवो में जाकर खटला बैठक की जा रही है वही जिले में 23 थानों में 95 बीट व 650 के लगभग माइक्रो बीट में बांटा गया है। इसका उद्देश्य पुलिस की सक्रियता बढ़ाना, सूचना तंत्र मजबूत करना और अपराधों पर नियंत्रण पाना है। इस पहल से पुलिस और जनता के बीच संवाद भी बेहतर होगा। प्रत्येक थाने को चार से पांच बीट में विभाजित किया गया। इसे जानकारी के आधार पर पूरे जिले का समग्र डाटाबेस बनेगा, जिससे पुलिस को किसी भी घटना पर तेजी से प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी। प्रभारी अपने साथ ऑब्जर्वेशन और इन्फॉर्मेशन नोटबुक रखेंगे जिसमे बीट भ्रमण के दौरान संदिग्ध गतिविधियां, नए निवासियों की जानकारी और सार्वजनिक समस्याएं इसमें दर्ज करेंगे। इससे जमीनी स्तर कार्य होगा।
कार्य का क्षेत्र कम होगा, अपराध रुकेंगे:
पुलिस अधिकारियों के अनुसार अभी तक बीट सिस्टम का एरिया काफी बड़ा होता था, जिससे हर गतिविधि पर नजर रख पाना मुश्किल होता था अब आरक्षक, प्रधान आरक्षक स्तर के पुलिसकर्मी अपराधियों पर नजर रखेंगे। माइक्रो बीट प्रणाली लागू करने का मूल का मकसद अपराधों पर रोकथाम लगाना है। साथ ही वहां मिलने वाली शिकायतों का त्वरित निराकरण करना, हाथोंहाथ जीरो पर ही एफआइआर कर लेना और पूरी जांच करना रहेगा। इस सिस्टम के लिए जिलेभर के सभी पुलिसकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण संबंधित अनुविभागीय अधिकारी पुलिस और थाना प्रभारी दे रहे हैं।
ऐसे काम करता है बीट सिस्टम:
बीट सिस्टम में बीट प्रभारी क्षेत्र के हर व्यक्ति से मिलता है और उसके बारे में छोटी- बड़ी प्रत्येक जानकारी रखता है। जिस पुलिसकर्मी को जिस बीट की जिम्मेदारी दी जाती है, वहां से संबंधित सूचनाओं का संकलन, अपराध नियंत्रण आदि कार्यों को वह करता है। एक बीट में उपलब्ध बल के अनुसार पुलिसकर्मियों को नियुक्त किया जाता है, जिसमें प्रधान आरक्षक या उस से ऊपर का अधिकारी बीट प्रभारी होता है।
माइक्रो बीट में होंगे आरक्षक:
सीएसपी रविन्द्र वास्कले ने बताया कि बीट सिस्टम में बड़ा इलाका होता है। अब माइक्रो बीट पर काम करना शुरू कर रहे हैं। इसको लेकर धार कोतवाली व नौगांव तिरला थानों में कार्य करना भी शुरू कर दिया है। वही इसमें आरक्षकों को जिम्मेदारी दी है कि वह अपने क्षेत्र के लोगों की जानकारी रखें, अपराधियों का रिकॉर्ड अपडेट करते रहें। इससे कानून व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी। एक एक मोहल्ले में एक एक आरक्षक नजर रखेंगे। इसके पहले तक बड़े क्षेत्र में काम कर रहे थे। माइक्रो बीट प्रभारी अपने साथ ऑब्जर्वेशन एवं इंफॉर्मेशन नोटबुक रखेंगे और बीट भ्रमण के दौरान बीट में आने वाले होटल, लॉज, ढाबा, स्कूल, कॉलेज, प्राइवेट ऑफिस, क्लीनिक, हॉस्पिटल जैसे सभी महत्वपूर्ण स्थानों एवं किरायेदारों तथा गुंडा, बदमाश एवं हिस्ट्रीशीटर की जानकारियां उसमें दर्ज करेंगे।
बल की कमी से बिगड़ा सिस्टम:
मौजूदा समय में पुलिस का बीट सिस्टम बल की कमी, काम की व्यस्तता के कारण प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रहा है। प्रदेश के साथ धार में भी यही हाल है। पुलिस अधिकारी बता रहे हैं कि कई बार बीट प्रभारी को ही दूसरे इलाके की विवेचना या पुलिस से जुड़ा दीगर काम मिल जाता है। ऐसे में वह पूरी तरह अपने क्षेत्र पर ध्यान नहीं दे पाता। दूसरी ओर सूचना संकलन के काम में लगे पुलिसकर्मियों की मदद भी ली जा रही है, लेकिन इन्हें भी व्यविस्थत एक काम के लिए नहीं रखा। सूचना संकलन करने वाले पर भी बल की कमी से काम का भार अधिक है। अब माइक्रो बीट में धार पुलिस कितना सफल होगी यह वक्त के साथ देखने को मिलेगा।
माइक्रो बीट प्रणाली में ऐसे तय होगा काम:
● संबंधित बीट के सरपंच, सचिव, सह सचिव, चौकीदार सहित अन्य की जानकारी रखेंगे। गांव में रहने वाले बदमाशों, अपराधिक किस्म के लोगों की जानकारी जुटाना है। उनकी आय का स्त्रोत क्या है, कैसे वे काम कर रहे हैं, कहां आना-जाना है यह पूरी जानकारी वे रखेंगे।
● कोई भी घटना होने पर पहले खुद सुलझाने की कोशिश करेंगे, उसकी पूरी जानकारी लेंगे, इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवाएंगे।
● संबंधित बीट से जुड़ी एकएक जानकारी जुटाकर रखेंगे, उस क्षेत्र की पूरी हिस्ट्री कहां क्या गतिविधियां होती हैं उनकी पूरी जानकारी उन्हें रखना होंगी।
● शहरी या ग्रामीण क्षेत्र की इन बीट में लगे सीसीटीवी कैमरा की मॉनीटरिंग करेंगे, उसमें कैप्चर होने वाली गतिविधि के आधार पर ही काम करेंगे।
● बीट में आने वाले संदिग्ध लोगों की जानकारी नोट करेंगे। हॉकर्स, सब्जी विक्रेता सहित अन्य अनजान लोगों का डेटा बेस भी तैयार किया जाएगा।
माइक्रो बीट कार्य चल रहा है:
पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर बीट सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए माइक्रो बीट पर काम कर रहे हैं। इसमें एक मोहल्ले में एक आरक्षक को जिम्मेदारी देंगे। अभी बड़े शहर पर यह सिस्टम प्रभावी है। वही इसको लेकर कार्य चल रहा है वही अपराधियों को मुख्यधारा में जोड़ने का काम भी हमारे जिले की पुलिस कर रही है।
मनोज कुमार सिंह एसपी धार