इंदौरधर्म-ज्योतिष

माया के प्रभाव के कारण हम अपने लक्ष्य को भूल कर अंधकार में भटक रहे – स्वामी मुकुंदानंद

इंदौर, ।  दुनिया में ऐसा कोई जीव नहीं, जो स्वयं के लिए दुख चाहता हो। हर कोई आनंद की प्राप्ति के लिए ही अपने सारे प्रयास करता है। दुनिया के सभी धर्मग्रंथ इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि मनुष्य का जीवन भगवत प्राप्ति के लिए ही हुआ है, लेकिन माया के चक्कर के कारण हम अपना लक्ष्य भूलकर अंधकार में ही भटक रहे हैं। इस अंधकार को ज्ञान, भक्ति और सेवा के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है।

                ये दिव्य विचार हैं जगदगुरू  कृपालु महाराज के शिष्य  विख्यात प्रवक्ता, वैदिक विद्वान एवं भक्तिमार्गीय संत तथा आई.आई.टी. ओर  आई.आई.एम. से सुशोभित स्वामी मुकुंदानंद ने आज शाम जाल सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में उक्त विचार व्यक्त किए। इसके पूर्व  सुबह शांति एक्सप्रेस से अहमदाबाद से इंदौर आगमन पर राधाकृष्ण सत्संग समिति की ओर से राजेन्द्र माहेश्वरी, महेश गुप्ता, श्रीमती संगीता भराणी, मधुसूदन भराणी, दीपक भूतड़ा आदि ने उनका स्वागत किया। स्वामीजी ने प्राणी संग्रहालय के सामने स्थित माहेश्वरी भवन पर समाजसेवी स्व. जुगलकिशोर भराणी की प्रथम पुण्यतिथि पर ‘जीव के लक्ष्य’ विषय पर अपने आशीर्वचन देते हुए मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के उपाय बताए। वे दोपहर में गीता भवन चौराहा स्थित माहेश्वरी कम्प्यूटर के 32 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित समारोह में भी पहुंचे और युवाओं को कर्मयोग पर प्रवचन दिए। संध्या को जाल सभागृह में आयोजित प्रवचनमाला में पहुंचने पर उपस्थित प्रबुद्धजनों ने जयघोष के साथ उनकी अगवानी की। इस मौके पर उनके द्वारा लिखित पुस्तक ‘पॉवर ऑफ थॉट्स’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर गीता भवन ट्रस्ट के मंत्री रामविलास राठी, राधाकृष्ण सत्संग समिति के राजेन्द्र माहेश्वरी,  उमेश भराणी, आनंद दम्माणी, दिनेश मित्तल, नवीन पंचोली, महेश गुप्ता, आभा, करण, मनीष मिश्रा आदि ने स्वामीजी का स्वागत किया।

                अपनी पुस्तक के बारे में स्वामी मुकुंदानंद ने कहा कि आज की जीवनशैली  हमें इतना प्रभावित करती है कि हम अपने मन को निर्धारित लक्ष्य में नहीं लगा पाते। आज का युवा विचारों की असीम शक्ति से अनभिज्ञ है। पॉवर ऑफ थॉट्स के माध्यम से प्रयास किया गया है कि युवा स्वयं को बुरे विचारों से बचा सकें और अपने जीवन को सुखद एवं सफल बना सकें। विकासशील एवं स्वयं के चिंतनभरे मन को सदमार्ग पर प्रेरित करने की दिशा में इस तरह के साहित्य को अवश्य पढ़ना चाहिए। अच्छा साहित्य की अच्छे विचारों का सृजन करेगा।

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