इंदौरधर्म-ज्योतिष

विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश के लिए 40 बाय 60 इन्च की भव्य राखी

मातुश्री पालरेचा परिवार की परिकल्पना दो दशक की परंपरा जारी

थीम…. दुनिया को कल्पवृक्ष के माध्यम से पर्यावरण संवर्धन का संदेश दे रहा भारत

– कैलाश पर्वत और गोमुख गंगा की अदभूत छटा
– पारिजात, अशोक, खजूर और नारियल के पेड़ जीवन प्रकृति से जोड़ रहे  ( प्रकृति हमारी मित्र)
    .   राष्ट्रीय पक्षी मौर दे रहा स्वच्छ  
       निश्चल पर्यावरण का संकेत
    . हैदराबादी मोती, अमेरिकन डायमंड, तारे सितारे राखी बना को बना रहे मनमोहन
 इंदौर। विश्व में सर्वाधिक 1 दिन में पौधारोपण पर इंदौर पर्यावरण संरक्षण में नंबर वन अंकित हुआ है इसी क्रम में एक ओर पायदान आगे इस बार विश्व प्रसिद्ध खजाना गणेश मंदिर को पर्यावरण संरक्षण संवर्धन का संदेश दे रही स्वर्ण स्वरूप कल्पवृक्ष निर्मित भव्य राखी मातु श्री पालरेचा परिवार की ओर से प्रदान की जा रही है। इस राखी की खासियत यह है कि इसमें दुनिया के अनेक देशों के नाम तो अंकित है ही इसके साथ इसमें कैलाश पर्वत और गोमुख गंगा का भारत देश के साथ अनोखा रिश्ता दर्शाया गया है।
दो दशक से बजाज खाना चौक मे पालरेचा परिवार की ओर से विश्व प्रसिद्ध भगवान खजराना गणेश को रक्षाबंधन के पूर्व भव्य राखीया अलग-अलग संदेश समाज को देने की मंशा से भेंट की जाती रही है। शांतू पालरेचा, पुंडरीक पालरेचा ने बताया कि इस बार विश्व को स्वर्ण स्वरूप कल्पवृक्ष के रूप में पर्यावरण संरक्षण पर संवर्धन का संदेश इस राखी के माध्यम से दिया जा रहा है इसी धेय से  इस राखी में चीन, रसीया, इराक , ईरान, आदि दुनिया के देशों को हमारा भारत पर्यावरण संवर्धन  संदेश देते हुए नजर आ रहा है इस अद्भुत अनुपम राखी की खासियत यह है कि इसमें कल्पवृक्ष को स्वर्ण स्वरूप( सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाला )में दर्शाया गया है वहीं इस भव्य 40 बाय 60 इन्च की राखी में  नग नगीना, हैदराबादी मोती, अमेरिकन डायमंड इसकी छटा को चार चाद लगा रहे है,

2 महीने … लोग 20 से 25 लोग

मातु श्री पालरेचा परिवार के पुंडरीक पालरेचा ने बताया कि इस कॉन्सेप्ट पर काम लंबे समय से चल रहा है तकरीबन 2 महीने इसके अलग-अलग पहलू पर विमर्श किया गया  । मूर्त रूप देने में 15 दिन से ज्यादा का समय लगा, इस राखी को बनाने का उद्देश्य यह है कि आज के दौर में पर्यावरण में प्रदूषण का जो जहर घूल रहा है उसको दूर करने और लोगों में प्रकृति के प्रति प्रेम को बनाए रखने का संदेश देना है जिससे कि हमारे आने वाली पीढ़ी कोई बेहतर वातावरण श्रेष्ठ पर्यावरण के रूप में मिल सके। संस्कार संस्कृति और  त्यौहार हमारा मूल है अगर इसके साथ पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन जुड़ जाए तो दुष्परिणामों को काम किया जा सकता है और जागरूकता से नई पीढ़ी में नए विचार का समावेश होगा।

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