इंदौरधर्म-ज्योतिष

क्वालिटी रिसर्च सेंटर का शुभारंभ इंदौर में

इंदौर । आज राष्ट्र संत दादू महाराज द्वारा विश्व के पहले गुणवत्ता शोध केंद्र के प्रथम चरण का शुभारंभ गजासीन शनि धाम में किया गया, एवं जुलाई अगस्त माह में विधिवत समारोह आयोजित कर इस विषय के महत्व को, जन सामान्य के समक्ष लाने हेतु कार्यक्रम आयोजित किया किया जाएगा, जिसमें इस विषय से संबंधित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगेI इस शोध केंद्र की रूपरेखा इंस्टीट्यूट आफ क्वालिटी मैनेजमेंट एंड रिसर्च द्वारा बनाई गई हैI महाराज ने बताया कि आने वाले समय में देश के हर राज्य में इसके और भी केंद्र खोले जाएंगेI
समस्त विश्व प्रकृति की शासन व्यवस्था का हिस्सा है, विश्व के समस्त देशो की अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं, हर शासन व्यवस्था के अपने नियम, कायदे, कानून हैं, हर व्यक्ति किसी दूसरे देश में जाने पर वहां के नियमों का पालन करता है, सम्मान करता है, हम भी प्रकृति की शासन व्यवस्था का हिस्सा है, हमें भी प्रकृति को एक शासन व्यवस्था के रूप में मानते हुए उसके अलिखित संविधान को समझने का प्रयास करना चाहिए, जो उसकी अपेक्षाओं को समझने में सहायक होगा, और इसके द्वारा प्रकृति की व्यवस्था प्रबंधन की कला को भी समझने की कोशिश की जा सकती है I
केंद्र के सुनील देशपांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि
दादू महाराज विश्व के पहले ऐसे संत हैं, जिन्होंने प्रकृति प्रदत्त इस विधा को पहचाना, है, और इस विधा को जन उपयोगी बनाने के लिए अपने संरक्षण में शोध कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि यह विधा अपने सरलतम स्वरूप में सामने आ सकेI यह विश्व का पहला ऐसा केंद्र होगा, जो प्रकृति को एक शासन व्यवस्था के रूप में मानकर प्रकृति से संवाद की विधा विकसित करेगा, यह संवाद शाब्दिक नहीं है, यह व्यक्ति और व्यवस्था का मौन संवाद है, जो क्वालिटी द्वारा विकसित समझ पर आधारित हैI
जब हम प्रकृति को एक शासन व्यवस्था के रूप में देखेंगे तो उसकी अपेक्षाओं को और भी बेहतर तरीके से समझ पाएंगे, जब अपेक्षाओं को समझेंगे, तो पर्यावरण पर चिंतन भी और बेहतर तरीके से होगाI पहले भी भारतीय चिंतन और भारतीय ज्ञान मूल रूप से प्रकृति की शासन व्यवस्था की समझ पर ही केंद्रित था, वर्तमान में भी हमें अपनी इस परंपरा को आगे बढ़ाना है I
क्वालिटी विधा वर्तमान युग की भाषा है, जो की संपूर्ण विश्व में मान्य है,इसके द्वारा प्रकृति का ज्ञान विश्व के सामने आना जरूरी है, ताकि मानव कल्याण के प्रयासों को सही दिशा मिल सके, जो प्रकृति समर्थित हो I क्वालिटी एक प्राकृतिक शक्ति है जिसमें मानव केंद्रित व्यवस्था निर्माण का सामर्थ्य छुपा हुआ हैI
प्रकृति प्रदत्त इस विधा का प्रयोग मानव कल्याण के कार्यों में सुनिश्चित करने हेतु इस पर शोध जरूरी है I क्वालिटी से प्रकृति की व्यवस्था को और, प्रकृति की व्यवस्था से क्वालिटी को, बेहतर तरीके से समझा जा सकता है, इन दोनों को समझे बिना हम व्यवस्था और क्वालिटी के महत्व को पूर्णता में नहीं समझ सकते I
महाराज इस परिकल्पना को जो कि गुणों के विज्ञान पर आधारित है, एक अभियान के रूप में चलाना चाहते हैं, ताकि संपूर्ण विश्व इससे अवगत हो सकें, आधुनिक भाषा शैली में महाराज ने इसे क्वालिटिज्म का नाम दिया है जो आदर्श व्यक्ति, आदर्श समाज, आदर्श राष्ट्र की परिकल्पना पर आधारित है
मानव कल्याण की व्यवस्था के दो ही आधार हैं एक व्यक्तिगत श्रेष्ठता और दूसरा व्यवस्था कि श्रेष्ठता I महाराज व्यक्ति और व्यवस्था की आपस में निर्भरता को बड़े ही सुंदर तरीके से समझाते हैं, उनका कहना है कि मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक किसी न किसी व्यवस्था के अधीन रहता है, जन्म लेते ही परिवार की व्यवस्था फिर समाज की व्यवस्था और फिर विभिन्न स्तर पर शासन व्यवस्था एवं प्रकृति की व्यवस्था I व्यवस्था से मनुष्य का अटूट संबंध है और क्वालिटी का व्यवस्था से I
सभी मनुष्य के जीवन को प्रभावित करने वाली दो ही व्यवस्थाएं हैं, एक हमारी शासन व्यवस्था और दूसरा प्रकृति की शासन व्यवस्था, प्रकृति कि शासन व्यवस्था से कुछ सीख सके तो हम श्रेष्ठता के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकते हैंI
प्रकृति की शासन व्यवस्था पर बहुत ज्यादा चिंतन नहीं हुआ है, प्रकृति की शक्ति एवं उसके रहस्यों पर जितना काम भारत में हुआ है, उतना शायद कहीं भी नहीं हुआ है, जिसके कारण हमारे मन में गर्व का भाव रहता है और हम विश्वगुरु होने का दावा भी करते हैंI
महाराज कहते हैं कि यदि हम जनकल्याण, विश्वकल्याण हेतु वास्तव में चिंतित हैं, तो हमें प्रकृति प्रदत्त क्वालिटी विधा को अपनाना चाहिए, जो कि पूर्णतः गुणों पर आधारित है, जिसमें सबकुछ पॉजिटिव हैं , नेगेटिव कुछ भी नहीं, इसमें गुणों को चिंतन का आधार बनाया जाता है, और अवगुणों की बात नहीं होती, प्रकृति समर्थित क्वालिटी की विचारधारा द्वारा भारत की वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना साकार हो सकेगी एवं भारत व्यक्ति और व्यवस्था की श्रेष्ठता के लिए विश्व का एकमात्र उदाहरण होगा एवं विश्व गुरु कहलायेगाI
आज हमें हमारे प्रकृति के ज्ञान को एक नई दृष्टि से देखना होगा, जिससे हम, न केवल अपने प्राचीन ज्ञान पर गर्व कर सके, अपितु वर्तमान काल खंड की जरूरतों के अनुसार उसकी व्याख्या भी कर सकें । केंद्र के शुभारंभ पर मुख्य अतिथि के रूप में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय कुलपति डॉ रेणु जैन, पदमश्री भालू मोंढे ,समाज सेवी श्री राजभूषण शर्मा उपस्थित रहे।संचालन विजय अंबेकर, अतिथि स्वागत आशीष साहू,संजय अग्रवाल ने तथा अंत में आभार सुनील देशपांडे ने माना।

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