तन और मन को स्वस्थ एवं निर्मल बनाए रखने के लिए योग एवं ध्यान का नियमित अभ्यास जरूरी– युगपुरूष
पंजाब अरोड़वंशीय भवन पर स्वामी परमानंद गिरि के सानिध्य में सत्संग एवं योग ध्यान साधना शिविर जारी
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट –
इंदौर, मन और बुद्धि के बीच समन्वय होना चाहिए। मन की गति सबसे तेज होती है। मन को नियंत्रण में रखना सबसे बड़ी चुनौती है। जल की तरह मन की तरंगें भी व्यापक होती हैं। मन जिज्ञासु होता है। योग एवं ध्यान साधना के माध्यम से मन को प्रभावी और संतुलित बनाने में मदद मिलती है। तन औऱ मन को स्वस्थ और निर्मल रखने के लिए योग एवं ध्यान साधना का नियमित अभ्यास होना चाहिए।
राम जन्मभूमि मंदिर न्यास अयोध्या के न्यासी एवं महामंडलेश्वर युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि ने अखंड परम धाम सेवा समिति के तत्वावधान में पंजाब अरोड़वंशीय भवन पर आयोजित सात दिवसीय ध्यान एवं योग शिविर में संबोधित करते हुए उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने कहा कि मन, वाणी और कर्म से हमें एक रहना चाहिए।
संचालन राजेश रामबाबू अग्रवाल ने किया। आभार माना समन्वयक विजय शादीजा ने।
अध्यक्ष किशनलाल पाहवा ने बताया कि युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज के सानिध्य में 23 जुलाई तक प्रतिदिन प्रातः 7 से 8 बजे तक योगासन तथा प्रातः 8 से 9 एवं सायं 7 से 9 बजे तक ध्यान एवं प्रवचन सत्संग के आयोजन होंगे। गुरू पूर्णिमा का मुख्य महोत्सव रविवार 23 जुलाई को सुबह 8 बजे से सत्संग, प्रवचन एवं गुरू पूजन के साथ मनाया जाएगा। इसके पूर्व सुबह 7 से 8 बजे तक योगासन भी होगा। शिविर एवं अन्य सभी कार्यक्रम निःशुल्क हैं, लेकिन प्रवेश के लिए ‘पहले आएं पहले पाए’ आधार पर ही व्यवस्था रहेगी।
स्वामी परमानंद गिरि के सानिध्य में मंगलवार से प्रतिदिन सुबह योग एवं ध्यान साधना शिविर का आयोजन भी प्रारंभ हुआ। उत्तरप्रदेश के हमीरपुर से आए योगाचार्य शिवप्रकाश गुप्ता ने साधकों को योग एवं ध्यान साधना के महत्वपूर्ण टिप्स दिए।