103 वर्ष की आयू और 85 वर्ष की संयम दीक्षा धारण कर प्रभु महावीर का संदेश जन-जन पहुंचने वाले आचार्य दौलत सागर सुरीश्वर महाराज की गुणानुवाद
दिगंबर और श्वेतांबर जैन समाज में आयु का शतक लगाने वाले 100 सालों में पहले गच्छादीपती आचार्य भगवंत दौलत सागर सुरीश्वर महाराज सा.

103 वर्ष की आयू और 85 वर्ष की संयम दीक्षा धारण कर प्रभु महावीर का संदेश जन-जन पहुंचने वाले आचार्य दौलत सागर सुरीश्वर महाराज की गुणानुवाद ( श्रद्धांजलि) सभा कल इंदौर में
—-40 से ज्यादा साधु साध्वी भगवंत, समस्त जैन मंदिरों से जुड़े श्रावक श्राविकाएं और सैकड़ो समाजजन होंगे शामिल
दिगंबर और श्वेतांबर जैन समाज में आयु का शतक लगाने वाले 100 सालों में पहले गच्छादीपती आचार्य भगवंत दौलत सागर सुरीश्वर महाराज सा.
इंदौर। श्री आबूर्द गिरिराज जैन श्वेतांबर तपागंज उपाश्रय ट्रस्ट एवं समस्त जैन श्वेतांबर श्री संघ इंदौर के द्वारा आचार्य देव दौलतसागर सुरीश्वर महाराज सा के समाधि में काल धर्मनिमित्त रविवार 25 फरवरी को पिपली बाजार उपाश्रय में गुणानवाद सभा ( शब्दान्जली सभा) का आयोजन किया जा रहा है 100 सालों में ऐसे दुर्लभ दिव्य संत महात्मा के संसार छोड़ने पर समस्त दिगंबर और श्वेतांबर समाज में विछोह का दुख तो है लेकिन उनके द्वारा भगवान महावीर की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गुण कीर्तन उत्सव के रूप में प्रवचन एवं संगीत प्रस्तुतियों के माध्यम से उनका स्मरण होगा जिसमें इंदौर शहर के सैकड़ो समाज जैन शामिल होंगे।
श्री अबुर्द गिरिराज एप्सन ट्रस्ट के डॉ प्रकाश बंगानी एवं श्री नवकार परिवार के महेंद्र गुरु जी ने बताया कि आचार्य देव श्री दौलत सागर सुरीश्वर जी महाराज सा ने 19 फरवरी सुबह 10:30 बजे पुणे में अपनी देह का त्याग किया। परम पूज्य को स्मरण करते हुए 25 फरवरी सुबह 9:15 बजे पिपली बाजार उपाश्रय इंदौर में गुण कीर्तन उत्सव इसके पूर्व नवकारसी प्रातः 8:00 बजे से 9:15 बजे तक पूज्य गणवर्य श्री आनंद सागर महाराज सा., मूनीवार्य ऋषभ चंद्र सागर जी महाराज सा., साध्वी श्री पदम लता श्री जी महाराज सा आदि 40 साधु साध्वी भगवान तो की निशा में उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
यह आचार्य देव श्री दौलत सागर सुरीश्वर जी महाराज सा संक्षिप्त विवरण
– 14 वर्ष की आयु में पहली बार नवकार मंत्र सुना, 18वे वर्ष में पहली बार गुरु भगवंत के दर्शन किए, 19वे वर्ष में दीक्षा ली।
– आचार्य दौलत सागर सुरीश्वर महाराज ने आधी रात में भाग कर दीक्षा ली थी, आचार्य श्री ने प्रथम बार राई का प्रतिक्रमण भी किया था साथ ही रात्रि में 67 किमी पहला बिहार भी तुरंत किया था
– आचार्य आचार्य दौलत सागर सुरिश्वर महाराज ने 12 दिन में पन्च प्रतिक्रमण, 6 दिन में 6 कर्म ग्रंथ, 1 दिन में दशवे कालिक सूत्र, 6 दिन में उत्तर ध्यान सूत्र, 8 दिन में आचारन्ग सूत्र, 36 घंटे में नव स्मरण, 1 दिन में वितरगस्तोत्र जैसे सूत्रों को कंठस्थ कर लिया था
– आचार्य दौलत सागर सुरीश्वर महाराज के समुदाय में 900 साधु साध्वी भगवत से अधिक गणनायक है आचार्य श्री ने 200 से ज्यादा दीक्षाएं दी हैं।