दुख को सुख में बदलने के लिए भगवान अवतार लेते हैं- पं. कृष्णकांत शास्त्री
श्रीमद् भागवत कथा में मना राम-कृष्ण जन्मोत्सव, मंगल गीत के साथ माखन-मिश्री का भोग भी लगाया
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट :—-
इन्दौर ।संसार में जब-जब भी आतताईयों का वृचस्व बढ़ा है तब-तब भगवान ने मनुष्य के रूप में अवतार लेकर अपने भक्तों का रक्षण किया है। संसार में राम और कृष्ण जन्म इस बात के उदाहरन है। इन्होंने ही धर्म की स्थापना कर आतताईयों का नाश किया है। उक्त बात पालदा पवनपुरी स्थित दुर्गा नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वृंदावन के कथावाचक पंडि़त कृष्णकांत शास्त्री ने सभी भक्तों को कथा का रसपान करवाते हुए कही। राम-कृष्ण जन्म प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान कृष्ण और राम स्वंय आनंद स्वरूप थे। भगवान कृष्ण ने सारी सृष्टि में प्रेम का संदेश दिया तो वहीं भगवान राम के चरित्र ने मर्यादा का। कथावाचक पं. शास्त्री ने राम जन्म प्रसंग पर भक्तों को कथा का श्रवण करवाते हुए कहा कि जीवन में दुख तो आते जाते रहते हैं। उनका सामना करने का प्रयास मजबूती के साथ व सहजता से करना चाहिए। भगवान राम का चरित्र हमें मर्यादा में रहने की प्रेरणा देता है। कथा शुभारंभ से पूर्व व्यासपीठ का पूजन पार्षद मनीष-सपना शर्मा (मामा) एवं भक्तों द्वारा किया गया। राम-कृष्ण जन्मोत्सव उत्साह, उमंग व उल्लास के साथ मनाया गया। जैसे ही कथावाचक ने व्यासपीठ से कृष्ण जन्मोत्सव की घोषणा की वैसे ही सभी मातृशक्तियों जय कन्हैयालाल के जयकारों से समूचे पांडाल को गुंजायमान कर दिया। मंगल गीत व भजनों पर मातृशक्तियां झूमती हुई नजर आई। वहीं भक्तों ने माखन-मिश्री का भोग लगाकर कृष्ण जन्मोत्सव उत्साह पूर्वक मनाया। भागवत कथा में रानू नेत्रम, राजू शर्मा, शंभू शर्मा, परी शर्मा सहित हजारों की संख्या में मातृशक्तियां उपस्थित थी।