सेंधवा; प्रेक्षा सक्सेना के काव्य संग्रह पंखुड़ियां का विमोचन हरिद्वार में अवधेशानंद गिरि के कर कमलों से हुआ

सेंधवा। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेंधवा से हिंदी साहित्य में एम. ए. करने वाली सेंधवा की प्रेक्षा सक्सेना के काव्य संग्रह पंखुड़ियां को मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी और संस्कृति परिषद से अनुदान प्राप्त काव्य संग्रह पंखुड़ियां का विमोचन हरिद्वार में हरिहर आश्रम में आचार्य, महामंडलेश्वर, जूनापीठाधीश्वर, अवधेशानंद गिरि जी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। सेंधवा के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेंधवा से पढ़कर प्रेक्षा सक्सेना ने हिंदी साहित्य में एमए कर काव्य संग्रह पंखुड़ियां पर पुस्तक लिखी। जिसके लिए मप्र साहित्य अकादमी व संस्कृति परिषद द्वारा अनुदान दिया गया। उक्त पुस्तिका का विमोचन हेतु हरिद्वार संत आचार्य अवधेशानंद गिरी ने प्रेक्षा सक्सेना को हरिद्वार में अपने आश्रम में पुस्तिका का विमोचन अपने हाथों किया गया। संत गिरी जी ने काव्य पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए अध्यन अत्यंत आवश्यक है। संत के सानिध्य में आपके जीवन में परिवर्तन आता है अच्छे विचार ही मानव को प्रगति दिलाता है। यह काव्य पुस्तिका मानव जीव को प्रेरणा देकर उनके जीवन को सार्थक बनाने में सहायता देगी। हर इंसान ने कुछ समय भगवान के लिए निकलना चाहिए। भगवान के दर्शन मात्र से आपके अंतर मन आध्यात्मिक भाव उत्पन्न हो जाते है। इसलिए भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए धार्मिक पुस्तक का भी अध्ययन करना चाहिए। विमोचन के दौरान आश्रम के सदस्य, देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए स्वामी जी के भक्त तथा सेंधवा से रसायन विज्ञान की व्याख्याता सुश्री अंतिम बाला शर्मा भी मौजूद रही।
अंतिम बाला शर्मा ने बताया कि भारत के प्रख्यात संत, जूनापीठाधीश्वर,आचार्य, महामंडलेश्वर,अनंत श्री विभूषित आध्यात्मिक गुरु ,परम पूज्य’ स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज से हरिद्वार में विमोचन के दौरान भेट हुई। यह भेट मेरे जीवन में केवल एक साधारण मुलाकात नहीं थी, बल्कि आत्मा की गहराइयों को स्पर्श करने वाला एक दुर्लभ अनुभव बन गई। स्वामी अवधेशानंद गिरि जी से साक्षात्कार का क्षण अत्यंत भाव विभोर करने वाला था । उनकी सरलता, तेजस्विता और आध्यात्मिक आभा ने वातावरण को भक्ति रस में सराबोर कर दिया जैसे ही गुरुजी के दर्शन हुए ,मन मैं वर्षों से संचित श्रद्धा अपने चरम पर पहुंच गई । शब्द स्वत ही मौन में बदल गए।
मैं शब्दों में उस अनुभूति को व्यक्त नहीं कर पा रही हूं । यह अनुभव मेरे जीवन की अमूल्य निधि बन गया है । गुरुजी से मिलना मानो आत्मा को दिशा और ऊर्जा देने वाला क्षण था। हरिद्वार की पावन भूमि पर यह भेट एक दिव्य संयोग की तरह हुई। जिसने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची श्रद्धा और धैर्य के साथ की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती। यह मुलाकात न केवल एक आध्यात्मिक अनुभूति थी, बल्कि एक प्रेरणा भी है।उन सभी के लिए ,जो संतो के दर्शन की आकांशा रखते हैं। गुरु से मिला आशीर्वाद व्यक्ति को जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन और संबल प्रदान करता है ।