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सेंधवा के अधिवक्ता के पुत्र कुशाग्र ने दिखाई करुणा, चिड़िया के अंडों के लिए स्कूटी छोड़ने का लिया फैसला

सेंधवा। रमन बोरखड़े। शहर से एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जो बच्चों की संवेदनशीलता और पर्यावरण के प्रति उनकी जागरूकता का सुंदर परिचय देती है। यहां अधिवक्ता प्रिंस शर्मा के पुत्र कुशाग्र शर्मा ने प्रकृति के प्रति ऐसा भावनात्मक निर्णय लिया है, जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है।

गर्मी की छुट्टियों में कुशाग्र कर्नाटक के कोप्पल में अपनी मौसी के घर गया हुआ था। जब वह 25 मई को वापस लौटा, तो घर के आंगन में खड़ी उसकी इलेक्ट्रिक स्कूटी में एक चिड़िया ने घोंसला बना लिया था और उसमें तीन अंडे दे दिए थे।
जैसे ही कुशाग्र स्कूटी बाहर निकालने लगा, उसने घोंसले को देखा और तुरंत अपने पिता प्रिंस शर्मा को इसकी जानकारी दी।

अधिवक्ता प्रिंस शर्मा ने भी बेटे की भावना का समर्थन किया और कहा कि यदि घोंसला हटाया गया तो अंडों को नुकसान हो सकता है, और स्थान बदलने पर चिड़िया वापस न आए। यह सुनकर कुशाग्र ने यह निर्णय लिया कि अब वह तब तक अपनी स्कूटी का उपयोग नहीं करेगा जब तक चिड़िया के बच्चे घोंसले से उड़ न जाएं। कुशाग्र ने रोजाना अंडों की निगरानी शुरू कर दी। 7 जून की सुबह उसने खुशी के साथ परिजनों को बताया कि दो अंडों से बच्चे निकल आए हैं। हालांकि अगले सप्ताह से उसका स्कूल शुरू होने वाला है, लेकिन वह अब भी वह इस फैसले पर अडिग है कि स्कूटी तभी निकलेगी जब चिड़िया के तीनों बच्चे उड़ने लायक हो जाएं।
अधिवक्ता प्रिंस शर्मा और उनके पुत्र कुशाग्र की यह पहल समाज को करुणा, सह-अस्तित्व और पर्यावरण के साथ सामंजस्य की एक बड़ी सीख देती है।

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