उम्मीद की किरण जागी बाग के पाडलिया डायनासोर पार्क को अब राष्ट्रीय उद्यान के रूप में विकसित करने की घोषणा वन विभाग ने बनाई कार्ययोजना, सरकार ने भी बढ़ाए हाथ।
देश का पहला थ्रीडी डायनासोर पार्क और जीवाश्म प्रोजेक्ट एक दशक बाद लेगा आकार, समीप ग्राम पाडलिया में 89 हेक्टेयर जमीन संरक्षित,

आशीष यादव धार.
जिले में एक बड़ी योजना वन विभाग की झोली में आई है। इसको लेकर जिले के लिए नई उम्मीदें किरण जागी है। क्योकि पिछले दिनों इसको लेकर बजट आया है। मुख्य रूप से डायनासोर पार्क का पुनर्नवीनीकरण के लिए प्रविधान रखा गया है। पार्क के माध्यम से यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही देश-विदेश से शोध करने वाले विज्ञानी भी आ सकेंगे। मध्य प्रदेश विधानसभा में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने डॉ. मोहन यादव सरकार का दूसरा बजट पेश किया। बजट में धार जिले के बाग क्षेत्र में डायनासोर पार्क को डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। सरकार इस पार्क का पुनर्नवीकरण कर इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करेगी। बता दें कि, बाग में पहले से ही प्राचीन गुफाएं और डायनासोर के पदचिह्न मौजूद हैं। ग्राम पाड़लिया में निर्माणाधीन इस पार्क से क्षेत्र के आर्थिक विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। मप्र के धार जिले का अपना ऐतिहासिक और वैभवकालीन इतिहास के साथ प्राकृतिक रूप से भी समृद्ध रहा है। यहां नर्मदा घाटी क्षेत्र में दुनिया के सबसे विशालकाय जानवर डायनासोर की खोज हो चुकी है। उसी के चलते बाग के समीप ग्राम पाडलिया में डायनासोर पार्क व संग्राहलय बनाने की कार्ययोजना तैयार हुई। साल 2011 में वन विभाग द्वारा बाग और पाडलिया गांव के बीच 89 हेक्टेयर जमीन संरक्षित कर नोटिफिकेशन जारी किया था।
अंडे और वर्षों पुराने पेड़ों के अवशेष हैं:
इस जमीन पर डायनासोर के जीवाश्म, अंडे और वर्षों पुराने पेड़ों के अवशेष हैं, जिनके संरक्षण के लिए विभाग द्वारा यहां फॉसिस पार्क तैयार किया जाएगा। हालांकि अभी प्रोजेक्ट की गति बेहद धीमी है। इसको लेकर धार डीएफओ अशोक कुमार सौलंकी कही बार दौरे कर चुके है वही पिछले इंदौर महाविद्यालय के प्रोफेसर व बच्चों के साथ भ्रमण किया था। वही बता देकि एक दशक में फाइनल डीपीआर तैयार नहीं हो सकी। जबकि यहां प्रदेश का पहला थीडी डायनासोर पार्क तैयार करने के दावे किए जा रहे हैं। जो अब जमीनीस्तर पर उतरने वाला है। जानकारी के अनुसार चिन्हित जमीन को संरक्षित करने के अब सरकार ने भी अपने हाथ बढ़ाए अब काम के लिए बजट आने की उम्मीद जाग गई है । इसमें उसमें तार फेसिंग सहित कुछ छोटे-मोटे काम हुए हैं। यहां तक पहुंचने के लिए रास्ता भी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है।
देश-दुनिया के शोध के लिए पहुंचते हैं वैज्ञानिक:
समुदी जीवों के जीवन काल पर शोध करने के लिए देश-दुनिया के कई वैज्ञानिक बागक्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। वैज्ञानिकों ने ही सर्वप्रथम पाया कि बाग के समीप ग्राम पाड़ लिया में डायनासोर के जीवाश्म व अंडे हैं। इसके बाद वन विभाग द्वारा इनके संरक्षण के कदम उठाए गए। जो लोग इनके बारे में जानते और पढ़ते हैं, वो तो आते रहते हैं, लेकिन आम आदमी की हैसियत से टूरिस्ट न के बराबर आते हैं। अब सरकार इसको लेकर प्रचार प्रसार कर एक बड़ा पार्क बनेगा जिसे यहा पर्यटकों की भीड़ बढ़ सकेगी।
मास्टर प्लान के अनुसार बनेगी डीपीआर:
डीएफओ अशोक सोलंकी ने बताया कि डायनासोर पार्क सहित जितने भी काम होना है वही पार्क के संबंध में 17 फरवरी को एक बैठक भोपाल में प्रस्तावित हुई थी। इसमें प्रजेंटेशन होगा। मास्टर प्लान के अनुसार डीपीआर तैयार होगी। जो फर्म काम करने के लिए इच्छुक है, उनकी मौके पर विजिट हो चुकी है।
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म्यूजियम सहित लाइट एंड साउंड:
पाडलिया में वन विभाग द्वारा जो प्रोजेक्ट बनाया गया है, उसके अनुसार डायनासोर पार्क में टनल, रिसेप्शन हॉल, पथावे, म्यूजियम आदि तैयार किए जाएंगे। साथ ही यहां पर्यटकों के मनोरंजन के लिए गार्डनिंग और लाइट एड साउंट लगाने पर भी विचार चल रहा है। पर्यटन व पुरातत्व विभाग द्वारा जीवाश्म एवं डायनासोर पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण कर बाया जाएगा।
89 हेक्टेयर एरिया संरक्षित किया:
डायनासोर फॉसिस जीवाश्म पार्क के लिए 89 हेक्टेयर एरिया संरक्षित किया गया है। यहां विभाग द्वारा जमीन को समतल करने का काम किया गया है। तार फेसिंग सहित कुछ काम हुए हैं। वही अब इसको पार्क को अब सरकार डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। सरकार इस पार्क का पुनर्नवीकरण कर इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करेगी।
अशोक सोलंकी, डीएफओ धार
एक्सपर्ट व्यू
सालों की मेहनत का नतीजा:
पडालिया के पास जंगल में शोध के दौरान डायनोसार के अंडे व अन्य अवशेष की खोज की गई। इसमें शासन-प्रशासन द्वारा आरंभ में खासी दिलचस्पी ली गई। 2011 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था, तब उम्मीद थी कि फॉसिस पार्क जल्दी तैयार होगा। सालों की मेहनत का नतीजा है कि हम जीवाश्म को खोज पाए। मांडू में पार्क तैयार हो चुका है. जिसे देखने के लिए आज दूरदराज से पर्यटक आते हैं। बाग में भी इस प्रकार का पार्क जल्दी तैयार होना चाहिए। स्थानीय लोगों को कैसे इसका अधिक से अधिक फायदा मिले, उस सोच पर भी काम होना चाहिए। अभी कंस्ट्रक्शन कार्य अभी शुरु नहीं हुआ। सरकार इस विकसित करने की घोषणा की गई है।
विशाल वर्मा, वैज्ञानिक व शोधकर्ता