धारमुख्य खबरे

पट्टा दिखाने के बावजूद ग्रामीण के ट्रेक्टर लेकर आ गए रेंजऱ, शुरू हुई लेटर बाजी रेंजर ने लिखा 8 लाख की वसूली का पत्र।

निलंबन और जांचों के बावजूद फिर से पदस्थ किए गए विवादित अधिकारी पर भी उठे सवाल।

आशीष यादव धार।
धार जिले के तिरला उप वनपरिक्षेत्र की चाकल्यों बीट में वन विभाग की हालिया कार्रवाई ने एक बार फिर विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 16 जून सोमवार को अतिक्रमण निरोधी अभियान के तहत जब वन विभाग की टीम चाकल्यों के कक्ष क्रमांक 128 व 132 पर पहुंची,तो वहां कोई अवैध अतिक्रमण नहीं मिला। लेकिन जब टीम धड़लाय गांव के समीप कक्ष क्रमांक 130 में पहुंची,तो वहां एक ग्रामीण को खेत में जुताई करते दिखाई दिया तो उसे रेंजर ने रोख कर दस्तावेज दिखाने की बात कही गई । खेत पर मौजूद किसान ने कहा कि मैं घर से दस्तावेज बुला लेता हूं उसके बाद जो आपको जो कार्रवाई करना है। कर देना मगर रेंजर द्वारा कहा गया कि आपका दस्तावेज धार कार्यालय आकर दिखाना उसके बाद ही ट्रैक्टर छोड़ा जाएगा। ग्रामीण ने खुद को अधिकृत पट्टा धारक बताते हुए कलेक्टर धार द्वारा प्रदत्त वैध राजस्व पट्टा प्रस्तुत किया।
ग्रमीणों का कहना हमारे पास दस्तावेज:
ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्यवाही पूरी तरह दबाव और पूर्वाग्रह से प्रेरित है। जब वैध दस्तावेज दिखा दिए उसके बाद भी सुनवाई नही हो रही है। ग्रामीण महिला सीला वास्कल कहती हैं, “हमने कोई जमीन कब्जाई नहीं है। हमारे पास पट्टा और पावती दोनों हैं। हम सिर्फ अपने खेत में जुताई कर रहे थे।”इसके बावजूद वन विभाग ने उक्त भूमि को “वन भूमि पर अतिक्रमण” करार देते हमारा वाहन ले गए और हमारे लोगो पर कार्रवाई की गई
एक दूसरे पर लगा रहे आरोप:
धार रेंज के रेंजर अहिरवार द्वारा एक लेटर जारी किया गया जिसमें धर्मेन्द्र रघुवंशी कार्यवाहक वनपाल परिक्षेत्र सहायक तिरला विजेन्द्र बामनिया वनरक्षक बीटगार्ड पर्वतपुरा/चाकल्या के संदर्भ में लेख है कि, वन परिक्षेत्र धार के उप परिक्षेत्र तिरला अंतर्गत आने वाली बीट चाकल्या में दिनांक 16 जून को अतिक्रमण निरोधी कार्यवाही अंतर्गत कक्ष कमांक 130 के वन क्षेत्र में नये सोनालिका ट्रेक्टर मय पंजा से पालवा तराशी कर वन क्षेत्र में खेड़ाने का कार्य करते हुए जप्त कर वनमंडल कार्यालय धार लाया गया था। जिसको चाकल्या गाँव के 20-25 ग्रामीणों द्वारा आकर वनमंडल कार्यालय धार से चुराकर ले गये है। उक्त जप्त ट्रैक्टर के इंजन नम्बर चेचिस नम्बर नहीं लिये गये एवं ना ही कोई वैधानिक कार्यवाही की गई जिस कारण जप्त बाहन की सूचना थाना प्रभारी एवं वरिष्ठ को दी जा सकी। जो आपके शासकीय कार्य के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता को दर्शाता है। वही वाहन ट्रेक्टर को जप्त कर वैधानिक कार्यवाही करे अन्यथा जप्त बाहन ट्रेक्टर अनुमानित राशि आठ लाख रूपये की वसुली हेतु वरिष्ठ को लेख किया जावेगा।
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डिप्टी रेंजर ने लगाए आरोप:
वहीं डिप्टी रेंजर धर्मेंद्र रघुवंशी ने भी धार डीएफओ को पत्र लिखा जिसमें तिरला रेंजऱ अनाधिकृत रूप से वाहन जब्त करने का आरोप लगाया है वही तिरला की बीट कक्ष 128 व 130 132 में  घुमकर देखा गया वहां किसी व्यक्ति द्वारा वन विभाग की जमीन पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं था वापसी घोड़ाबाब गांव के सभी आने पर वन क्षेत्र के कक्षा 130 में किसी व्यक्ति द्वारा ट्रैक्टर चलाकर खेती का कार्य किया जा रहा था। संबंध व्यक्ति से पूछताछ की गई तो व्यक्ति द्वारा बताया गया के मेरे पास कलेक्टर व भू अभिलेख द्वारा आदेश क्रमांक 2637 प्रमाणित पावती है उसके बाद भी साहब ने स्टाफ की बात न मानी और ट्रैक्टर धार कार्यालय लेकर आ गए वही खेत मालिक व ग्रमीण लोगो को शराब के नशे में बन्दूक से गोली मारने व अशब्द कहे जिससे ग्रमीण आक्रोशित हो गए वह भीड़ के साथ वन मंडल अधिकारी के समक्ष पहुंचकर अपनी वस्तु स्थिति बताई और उसके बाद वह अपना ट्रैक्टर लेकर गए।
हर बार विवादों से नाता रहा साहब का:
वही साहब की नियुक्ति अक्टूम्बर 2020 में हुई थी जो आज तक यहा पदस्थ है वही नियम अनुसार तो 3 साल से अधिक कर्मचारी एक जिले नही रह सकता है। साथ ही इस प्रकरण में दिलचस्प मोड़ तब आया जब यह सामने आया कि जिस अधिकारी के आदेश पर यह कार्रवाई की गई,वही अधिकारी पहले से ही कई विवादों में घिरे हुए हैं।
बार-बार निलंबन झेलने के बावजूद जिम्मेदार पद पर तैनात विवादित अधिकारी जिस वन परिक्षेत्र में यह घटना हुई, वहां के प्रभारी वनपाल महेश अहिरवार के नाम पर पहले भी कई गंभीर आरोप दर्ज हैं। वर्ष 2020 से अब तक उन पर तीन बार निलंबन,अनेक बार स्थानांतरण और विभागीय जांचों का सामना करने के बावजूद, बार-बार उन्हें धार जैसे संवेदनशील वन क्षेत्र में पदस्थ किया गया। उनकी कार्यशैली को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक को शिकायतें मिली हैं। जंगल क्षेत्रों का निरीक्षण न करना, वानिकी योजनाओं को नजरअंदाज करना,गश्त में रुचि न लेना,कर्मचारियों के भुगतान में देरी करना,और कार्यालयीन बैठकों से दूरी बनाना—यह सब उनकी नियमित कार्यशैली में शामिल रहा है। इसके बावजूद उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर महेश अहिरवार ने दोबारा धार में वापसी कर ली। उसके बाद से कई बार कार्यालय ना जाकर घर से रेंज कार्यालय चलाया जाता है कर्मचारी दस्तावेज लेकर बंगले जाते है
क्या यह विभागीय मजबूरी है या अंदरूनी सांठगांठ?
विभागीय सूत्रों का कहना है कि महेश अहिरवार के विरुद्ध वर्तमान में भी जांचें लंबित हैं,लेकिन इसके बावजूद उन्हें कार्यभार से मुक्त नहीं किया गया। अधीनस्थ कर्मचारियों में उनके खिलाफ लगातार शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। विभागीय समन्वय की कमी से वन क्षेत्र की नीतियों और योजनाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अब सवाल यह उठता है  क्या यह विभागीय अधिकारियों द्वारा खुद को बचाने के लिए नीचे के कर्मचारियों पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश है?
न्यायिक हस्तक्षेप की मांग:
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि राजस्व विभाग द्वारा दी गई भूमि पर कोई कार्य हो रहा है,तो वह अतिक्रमण कैसे माना जा सकता है? वन विभाग को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में तथ्यों की ठीक से जांच कर निष्पक्षता से कार्यवाही करे। ग्रामीणों ने वन मंडलाधिकारी से मांग की है कि संबंधित बीट गार्ड और परिक्षेत्र सहायक पर बनाए जा रहे अनावश्यक दबाव को समाप्त किया जाए और दोषियों के विरुद्ध निष्पक्ष जांच की जाए।
हरिसिंह ने कहां कि एक ओर जहां सरकारें किसानों को अधिकार संपन्न बनाने और उनकी भूमि सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात करती हैं,वहीं दूसरी ओर वन विभाग की ऐसी कार्रवाईयों से वैध पट्टा धारकों का भरोसा तंत्र से उठता जा रहा है। बार-बार जांच और निलंबन झेलने वाले अधिकारी को फिर से जिम्मेदारी देना यह दर्शाता है कि व्यवस्था के भीतर कहीं न कहीं साठगांठ और पक्षपात जड़ें जमा चुके हैं। इस पूरे मामले में जवाबदेही तय करना अब ज़रूरी हो गया है—चाहे वह अधिकारी हो या विभागीय व्यवस्था। ग्रामीणों के हितों की रक्षा और सरकारी योजनाओं की साख बचाने के लिए इस तरह की विवादित कार्यशैली पर अंकुश जरूरी है।
19 कर्मचारियों में लिए बयान:
धार वन विभाग में कार्यालय में कल हुई घटना के बाद इंदौर सीसीएफ ऑफिस से जो भी घटनाक्रम हुआ उसको लेकर एक जांच प्रतिवेदन आया है जिसमें अखबारों में छपी कटिंग को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। उसमें धार एसडीओ को इसमें जांच अधिकारी बनाया है। जिसमें 19 कर्मचारियों के बयान लिए गए जिसमें एक रेंजर व 14 वनरक्षक को तीन डिप्टी एक वाहन चालक था यह कार्रवाई सुबह से चली जो देर शाम तक चलती रहे। वहीं कार्रवाई के लिए इंदौर कार्यालय से 3 दिन का समय दिया गया है इस 3 दिन में कार्रवाई पूरी कर जजांच रिपोर्ट ऊपर प्रस्तुत करना है।
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