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बुमराह ने क्यों ठुकराया भारत की टेस्ट कप्तानी का मौका? जानिए तेज गेंदबाज ने क्या कहा

नई दिल्ली | भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने आखिरकार इस पर चुप्पी तोड़ दी है कि उन्होंने भारत की टेस्ट कप्तानी का प्रस्ताव क्यों ठुकराया, जबकि वे चयन समिति की पहली पसंद थे। स्काई स्पोर्ट्स पर दिनेश कार्तिक के साथ बातचीत में बुमराह ने विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने कप्तानी के अवसर को ठुकराकर टीम हित और अपनी फिटनेस को प्राथमिकता दी।

चयन समिति की पहली पसंद थे बुमराह

अजीत अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति ने जब रोहित शर्मा और विराट कोहली के अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, तो उनकी जगह कप्तान की जिम्मेदारी बुमराह को सौंपने का प्रस्ताव था। लेकिन बुमराह ने कार्यभार प्रबंधन और दीर्घकालिक फिटनेस चिंताओं का हवाला देते हुए इस भूमिका को स्वीकार करने से मना कर दिया।

बुमराह ने कहा,

मैंने उन लोगों से बात की, जिन्होंने मेरी पीठ का इलाज किया है। सर्जन ने भी कहा कि कार्यभार को लेकर बेहद सतर्क रहना जरूरी है। पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में मैं सभी मैच नहीं खेल पाऊंगा, और यह टीम के लिए भी ठीक नहीं होगा कि अलग-अलग कप्तान मैचों का नेतृत्व करें।

फिटनेस और इतिहास की चोटें बनीं वजह

बुमराह की पीठ की समस्या पहले भी उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी, चैंपियंस ट्रॉफी, और आईपीएल के अहम मुकाबलों से बाहर कर चुकी है। दो बार स्ट्रेस फ्रैक्चर से जूझने के बाद उन्होंने सर्जरी कराई थी और लंबे पुनर्वास के बाद मैदान पर लौटे थे।

“कप्तानी नहीं, क्रिकेट ज़रूरी”

अपने फैसले पर भावुक होते हुए बुमराह ने कहा,

हां, कप्तानी मेरे लिए बहुत मायने रखती थी। मैंने इसके लिए मेहनत भी की थी। लेकिन कभी-कभी आपको बड़ी तस्वीर देखनी होती है। मुझे कप्तानी से ज्यादा क्रिकेट पसंद है। मैं चाहता हूं कि मैं एक खिलाड़ी के तौर पर लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए खेल सकूं।

बुमराह ने यह भी जोड़ा कि नेतृत्व सिर्फ पद नहीं होता, टीम में कई ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो बिना पद के भी नेतृत्व करते हैं। उन्होंने कहा कि वे टीम के भीतर अपनी भूमिका निभाते रहेंगे और हरसंभव योगदान देंगे।

अब शुभमन गिल को मिली जिम्मेदारी

बुमराह के इनकार के बाद बीसीसीआई ने आगामी इंग्लैंड सीरीज के लिए शुभमन गिल को टेस्ट कप्तान नियुक्त किया है। चयनकर्ताओं का यह फैसला दीर्घकालिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

निरंतरता को दी प्राथमिकता

बुमराह ने यह स्पष्ट किया कि वे लंबे समय तक तीनों प्रारूपों में भारत के लिए खेलना चाहते हैं और यह तभी संभव है जब वे अपने शरीर के साथ समझदारी से पेश आएं।

अगर मैं आज सावधान नहीं रहा, तो कल मुझे अचानक इस प्रारूप को अलविदा कहना पड़ सकता है। मैं ऐसी स्थिति नहीं चाहता। इसलिए सोचा कि यह टीम और मेरे लिए सबसे बेहतर होगा कि मैं खुद को फिट रखूं और जहां तक संभव हो निरंतर योगदान देता रहूं।

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