MP में कांग्रेस का नया प्रयोग: जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए संगठन सृजन अभियान शुरू, सिफारिश नहीं अब सर्वे तय करेगा नाम

भोपाल, मध्यप्रदेश कांग्रेस जल्द ही अपने संगठनात्मक ढांचे में व्यापक बदलाव करने जा रही है। इस बार नियुक्तियों की प्रक्रिया पारंपरिक तरीकों से अलग होगी। गुजरात में पहले ही आजमाए जा चुके “संगठन सृजन अभियान” को अब मध्यप्रदेश में भी लागू किया गया है। इसका शुभारंभ 3 जून को भोपाल में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने किया था।
इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश के हर जिले में मजबूत, जमीनी और निष्ठावान कांग्रेस नेताओं को सामने लाना है। इसके तहत प्रदेश कांग्रेस समिति (PCC) और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) ने वरिष्ठ नेताओं की टीम गठित की है, जो जिलों में जाकर फीडबैक लेकर संभावित जिलाध्यक्षों की सूची तैयार करेगी।
AICC और PCC के पर्यवेक्षकों की संयुक्त टीम मैदान में
इस पहल के तहत AICC ने 61 वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, जिन्हें अन्य राज्यों से बुलाया गया है। इनके साथ PCC की ओर से भी कई दिग्गज नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया गया है। इनमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, हेमंत कटारे, अजय सिंह, गोविंद सिंह और कांतिलाल भूरिया जैसे नाम शामिल हैं।
ये पर्यवेक्षक अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में पहुंचकर विधायकों, जनप्रतिनिधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। उनका उद्देश्य ऐसे नेताओं की पहचान करना है जो संगठन के प्रति समर्पित हों और जिनकी सामाजिक पकड़ मजबूत हो।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर विशेष जोर
कांग्रेस पार्टी का दावा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी। अब किसी सिफारिश या गुटबाजी के आधार पर नहीं, बल्कि विचारधारा, जनसंपर्क और संगठन के प्रति समर्पण के आधार पर नियुक्तियां की जाएंगी। साथ ही जिन नेताओं पर भीतरघात के आरोप हैं या जो पार्टी को नुकसान पहुंचा चुके हैं, उन पर कार्रवाई भी तय मानी जा रही है।
गुजरात मॉडल की MP में पुनरावृत्ति
इससे पहले राहुल गांधी ने गुजरात में कांग्रेस के सबसे कमजोर प्रदर्शन वाले क्षेत्रों में यह मॉडल लागू किया था। अब इसी प्रयोग को मध्यप्रदेश में दोहराया जा रहा है ताकि संगठनात्मक आधार को जमीनी स्तर पर मज़बूत किया जा सके