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पीथमपुर यूनियन कार्बाइड कचरा जलाने पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार: विशेषज्ञों की निगरानी में प्रक्रिया जारी

इंदौर; मध्य प्रदेश के धार जिले स्थित पीथमपुर के तारपुरा गांव में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया विशेषज्ञों की निगरानी में की जा रही है और पूरे मामले पर न्यायालय स्वयं निगरानी बनाए हुए है, इसलिए फिलहाल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा की ओर से दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा तय 72 दिन की समयसीमा 8 जून को समाप्त हो रही है, ऐसे में कचरा जलाने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक जरूरी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग पर विचार करने से मना कर दिया।


विशेषज्ञों की निगरानी में हुआ पहला ट्रायल

करीब दो महीने पहले यूनियन कार्बाइड के 30 टन कचरे का पहला ट्रायल जलाया गया था। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा कर दी गई है। पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयंत्र और तारपुरा गांव के आसपास वायुगुणवत्ता मापने के उपकरण लगाए गए हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि कचरा जलाने की प्रक्रिया से वातावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।

स्वास्थ्य परीक्षण और निगरानी जारी

स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव का आकलन करने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि प्रक्रिया इसी तरह आगे बढ़ती रही, तो अगले डेढ़ महीने में पूरा कचरा जला दिया जाएगा।


126 करोड़ की लागत से हो रहा निपटान

केंद्र सरकार ने इस खतरनाक कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए रामकी एनवायरो इंजीनियर्स लिमिटेड को 126 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। यह कचरा जनवरी में भोपाल से 12 विशेष कंटेनरों में भरकर पीथमपुर लाया गया था। उस समय ग्रामीणों द्वारा इस कदम का भारी विरोध भी किया गया था।

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