स्वामी विवेकानंद के आदर्श का करें अनुसरण-एसडीएम सेंधवा

सेंधवा। सरस्वती विद्या मंदिर सेंधवा के दीक्षांत समारोह 2024-25 के कार्यक्रम में सेंधवा शहर के अनुविभागीय अधिकारी श्री आशीष मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने उपस्थित माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यर्पण व सरस्वती वंदना के उपरांत सभी विद्यर्थियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि मैं भी विद्या मंदिर का ही पूर्व छात्र हूं। आज इस कार्यक्रम में आने से कुछ पुरानी यादें ताजा हुई है। अपने सम्बोधन के दौरान उन्होंने बताया की स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है। उनकी इस बात से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और खुद पर हमेशा भरोसा रखना चाहिए। लाइफ में कई बार ऐसा महसूस होता है कि अब सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन आपको अपने ऊपर से विश्वास नहीं खोने देना है आप उनके आदर्शों का अनुसरण अवश्य करें। इस अवसर पर विद्यालय में संचालित अटल टिंकरिंग लेब में होने वाले विभिन्न रोबोटिक कार्यविधि को भी देखा।
भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा-
वहीं विवेकानंद शिक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ गिरीश कानूनगो ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय एक ऐसा शैक्षिक संस्थान है, जो भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की विशेषता यह है कि यहाँ पर शिक्षा केवल पुस्तकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ पर छात्रों को सांस्कृतिक, नैतिक ,आध्यात्मिक और व्यावहारिक मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती है।
उपहार व अनुभव कथन के साथ हुआ कार्यक्रम संपन्न
11 वी कक्षा के भैया बहिनों के द्वारा आयोजित दीक्षांत समारोह में मनोरंजन भरे खेल का आयोजन हुआ। साथ ही विदाई ले रहे कक्षा 12वीं के भैया बहिनों ने विद्यालय में बिताए हुए अपने कई वर्षाें के अनुभवों को सभी के मध्य साझा किया। इस अवसर पर उन्होंने दीदी आचार्य का धन्यवाद कर उन्हें उपहार प्रदान करें ।
इस अवसर पर समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती किरण शर्मा सदस्य श्री अश्विनी कुमार पवार ,श्रीमान सुभाष गोयाल, श्रीमान अनिल कानूनगों, श्रीमती सुप्रिया चोपड़ा उपस्थित रहे है आभार विद्यालय प्राचार्य श्री मुकेश पाटील द्वारा किया गया अंत मे सभी भैया बहिनो को छत्रपति शिवजी महाराज का चित्र उपहार स्वरूप देकर विदाई दी।