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आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के भाव से बहुत कम उम्र में देश को जोड़ने का काम किया – चिन्मयानंदजी

श्री श्रीविद्याधाम पर गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ को समर्पित दो दिवसीय विद्वत सम्मेलन का शुभारंभ

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:——

इंदौर। आदि शंकराचार्य एक दिव्य क्रांति लेकर आए और बहुत कम उम्र में उन्होंने सनातन धर्म के भाव से देश को जोड़ने का काम किया। उस जमाने में आज जैसे अत्याधुनिक संसाधन भी नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने पूरे देश की परिक्रमा की और विधर्मी विचारों से ग्रस्त लोगों को धर्म से जोड़ा। कोई असाधारण व्यक्तित्व ही ऐसा काम कर सकता था। वस्तुतः आदि शंकराचार्य ने वेदों को भी जन-जन तक पहुंचाया और अद्वैत के सिद्धांत को पूरे देश में फैलाया। शंकराचार्य ने सुषुप्त समाज को नई चेतना और नया विश्वास प्रदान किया।

                विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर शंकराचार्य जयंती के उपलक्ष्य में आज से दो दिवसीय विद्वत सम्मेलन के शुभारंभ सत्र में आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। ब्रह्मलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती भगवन को समर्पित इस सम्मेलन में पहली बार लगभग 150 ऐसे विद्वानों को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने विद्याधाम स्थित वेद वेदांग विद्यापीठ में रहकर भगवन  के सानिध्य में अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी की है और आज देश-विदेश में अपने ज्ञान के बूते पर स्थापित हैं। विद्यापीठ में वर्तमान में शिक्षा ले रहे करीब 200 बटुकों  ने शंकराचार्य और ऋषि मुनियों की वेशभूषा में वेद संदेश यात्रा निकाली, जो विद्याधाम से कान्यकुब्ज नगरसाठ फीट रोडरतनबाग मेनरोड होते हुए पुनः विद्याधाम पहुंची। यहां सभी बटुकों ने वेदों का सस्वर पाठ भी किया। विद्यापीठ के बटुक दिव्यांश तिवारी एवं रूद्रांश शर्मा ने मंगल गीत प्रस्तुत किया। शुभारंभ सत्र में सांसद शंकर लालवानी के मुख्य आतिथ्य में वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास, आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री, आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने शंकराचार्य के चित्र का पूजन कर दीप प्रज्ज्वलन किया। श्री श्रीविद्याधाम आध्यात्मिक, पारमार्थिक एवं शैक्षिणक न्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेश शाहरा ने स्वागत भाषण दिया। समन्वयक पं. दिनेश शर्मा ने बताया कि इस बार विद्यापीठ का स्नेह सम्मेलन स्थगित कर पहली बार विद्वत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। पुज्य भगवन के सानिध्य में लगभग 5 हजार से अधिक छात्रों ने यहां कर्मकांड एवं जीवन को संवारने की शिक्षा ग्रहण की है, जबकि हजारों छात्रों ने इसके पूर्व भी उनसे शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की है। वृंदावन से आए महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री, महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास महाराज ने भी अपने विचार रखे। सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि इस विद्वत सम्मेलन से समाज और देश को नई दिशा और दशा मिलेगी तथा भारत को विश्व गुरू का गौरव फिर से हांसिल हो सकेगा। संचालन पं. दिनेश शर्मा ने किया और आभार माना पं. राजेश शर्मा ने।

अधिकांश वक्ताओं ने गुरू तत्व की महिमा को रेखांकित करते हुए पुज्य भगवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग भी सुनाए। इस सत्र के प्रभारी पं. सत्येन्द्र शर्मा एवं पं. कपिल शर्मा थे। संचालन पं. मनसुखा ने किया। दूसरा सत्र दोपहर में वेद की प्रासंगिकता, यज्ञ मीमांसा और अग्नि परिचय पर केन्द्रित रहा, जिसमें उज्जैन के डॉ. पतंजलि पांडेय एवं आचार्य पं. वैदिक ने अपने प्रभावी विचार रखे। संध्या को तीसरा सत्र विधायक संजय शुक्ला के आतिथ्य में अखंडधाम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतनस्वरूप एवं आचार्य पं. डॉ. विनायक पांडेय के सानिध्य में संपन्न हुआ, जिसमें दुर्गा सप्तशती ग्रंथ की महिमा एवं विशिष्ट प्रयोग पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

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