जीवन दर्शन का पहला संस्कार पर्यावरण संरक्षण है: बलिराम जी पटेल

Indore se Vinod goyal
इंदौर। हमारे भारत देश की संस्कृति देश के संसाधनों का केवल उपयोग करना नही सिखाती बल्कि उसे प्रकृति को लौटाना भी सिखाती है जिससे उसका कोई अन्य भी उपयोग कर सके , भारतीय परंपराओं में हर पूजन त्योहार और भगवान के साथ प्रकृति को पूजते हमने देखा है।
पंचमहाभूत का महत्व भी हमारे देश में विद्यमान है । पर्यावरण का सरंक्षण करना है तो पर्यावरण को व्यवहार में उतारना होगा आज जो संस्कार पर्यावरण के लिए छात्र लेकर जायेंगे वो वर्षो तक इस भारत भूमि की धरा को बचाने का कार्य करेंगे
इसलिए जीवन दर्शन का पहला संस्कार पर्यावरण संरक्षण होना चाहिए।
उक्त विचार पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के बीजारोपण से वृक्षारोपण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मालवा प्रांत प्रचारक श्री बलिराम जी पटेल ने चोइथराम स्कूल नॉर्थ कैंपस निपानिया में कहे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से चोइथराम स्कूल के ट्रस्टी श्री सतीश मोतियानी जी एमडी श्री सुमित नांदेडकर एजुकेशन डायरेक्टर श्री राजेश अवस्थी ने सहभागिता की चोइथराम स्कूल निपानिया के प्राचार्य यू के झा ने बताया की पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के इस कार्यक्रम के पहले विद्यार्थियों ने अपने अपने घरों में नर्सरी बनाना प्रारंभ कर दी है ।
घरों में बीजारोपण से वृक्षारोपण कार्यक्रम के अंतर्गत 500 से अधिक विद्यार्थियों ने नर्सरी लगाई है और जब वो पौधा बनेगी तो उसे उच्च स्थान पर लगा दिया जायेगा।
कार्यक्रम में प्रांत प्रचारक श्री बलिराम जी पटेल ने बीजारोपण से व्रक्षरोपण कार्यक्रम की शुरुआत बीज लगा कर पूजन करके की।
श्री सुमित नांदेडकर जी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और श्री राजेश अवस्थी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया।