घर में राम हो या न हो, भरत जैसा एक भाई भी हो जाए तो राम राज्य की शुरुआत हो जाएगी – प.पू. उत्तम स्वामी
नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आनंद नगर में चल रहे रामकथा महोत्सव में पहुंचे अनेक विशिष्टजन

अग्रवाल संगठन नवलखा क्षेत्र इंदौर
घर में राम हो या न हो, भरत जैसा एक भाई भी हो जाए तो राम राज्य की शुरुआत हो जाएगी – प.पू. उत्तम स्वामी
आज शाम होगा समापन
इंदौर। विश्व में कहीं भी कोई दूसरा कोई उदाहरण नहीं हैं, जहां किसी राजा ने अपने सिंहासन पर बड़े भाई की खड़ाऊ रखकर राजपाट चलाया हो। यह भारत भूमि के ही संस्कार हो सकते हैं, जहां दो भाइयों के बीच ऐसा प्रेम दिखाई देता हो। आजकल कई लोग धर्म की आड़ में उल्टे-सीधे काम कर अपना घर भर रहे हैं। रामायण छोटे भाई भरत के बिना पूरी नहीं हो सकती, जिसने चक्रवर्ती सम्राट का पद त्यागकर बड़े भाई के प्रति सम्मान व्यक्त किया। घर में राम हो या न हो यदि भऱत जैसा एक भाई भी हो जाए तो राम राज्य की शुरुआत हो जाएगी। राम कथा केवल कथा नहीं, समाज की दो वृत्तियों के बीच के संघर्ष में देव प्रवृत्तियों के विजय की यशस्वी गौरव गाथा है।
मानस मनीषी महामंडलेश्वर महर्षि प.पू. उत्तम ने कहा कि समाज में प्रारंभ से ही असुर और देवताओं की दो वृत्तियां कायम है। एक राम बनकर और दूसरी रावण बनकर चलने वाले लोग हमेशा से पाए जाते हैं। राम कथा असुरों की वृत्तियों पर विजय की कथा है। अशांत मन को शांति और स्थिरता राम कथा से ही मिल सकती है। वाल्मिकी रामायण में 24 हजार संस्कृत श्लोक हैं। भरत के भ्राता प्रेम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रामायण के सभी पात्रों में कुछ न कुछ विशेषता है। लक्ष्मण कहते हैं राम मेरे हैं और भरत कहते हैं मैं राम का हूं। दुनिया में कोई भी ऐसा राजा नहीं हुआ, जिसने अपना चक्रवर्ती राजपाट छोड़कर खड़ाऊ रखकर राज सत्ता संभाली हो। राम के वनवास में दोषी नहीं होते हुए भी भरत ने स्वयं को दोषी माना। भाइयों के बीच कैसा प्रेम होना चाहिए यह राम कथा से सीखना चाहिए। घर में कोई भी समस्या हो अपने पूर्वजों को दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके याद कर लें तो बहुत राहत मिल जाएगी। कुलदेव और पूर्वजों के प्रहार से व्यक्ति को अनेक समस्याएं आ जाती हैं। उनका निराकरण करने का यही उपाय है कि हम जैसे भी संभव हो अपने पूर्वजों को प्रसंग रखने का प्रयास करें। रामचरित मानस बिना किसी भेदभाव के सबका कल्याण करने का सहज माध्यम है। चरित्र की पवित्रता को मानस में सर्वोपरि माना गया है। आज हम उनके चित्र का पूजन कर अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं, उसी तरह चरित्र का पूजन करके भी हम अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
कथा शुभारंभ के पूर्व वरिष्ठ पत्रकार अमित मंडलोई, तपन भौमिक, केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराजिसंह चौहान के छोटे भाई नरेन्द्रसिंह चौहान, राजेश गर्ग केटी, डॉ. श्रेष्ठा जोशी, पार्षद मृदुल अग्रवाल, मनीष मामा, संदीप गोयल आटो, शैलेष गर्ग, धनंजय शाह, अशोक अधिकारी, विजय अग्रवाल, मनोज भगत, के.के. गोयल, युवराज उस्ताद सहित बड़ी संख्या में विशिष्टजनों ने व्यासपीठ का पूजन कर आरती में भी भाग लिया और कथा श्रवण का पुण्य लाभ उठाया।
कथा का समापन सोमवार, 21 अप्रैल को सायं 4 से 7 बजे तक नियमित कथा और राज्याभिषेक प्रसंग के बाद होगा।