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श्रुत पंचमी पर निकली धर्म ग्रंथों व जिनवाणी की शोभायात्रा, हजारों समाज बंधु बने साक्षी

तिलक नगर जिनालय का 60 वां स्थापना दिवस मनाया

इन्दौर । शक्ति के साथ भक्ति चाहिए और भक्ति के साथ शक्ति। इसी तरह श्रद्धा के साथ प्रेम चाहिए। अगर केवल शक्ति हो तो वह विनाश का कारण हो सकती है। भक्तिविहीन शक्ति और श्रद्धा विहीन भक्ति व्यर्थ है। रावण के पास शक्ति तो थी मगर भक्ति नहीं। जिसके कारण उसका सब कुछ मिट्टी में मिल गया। उक्त विचार बुधवार को तिलक नगर जिनालय में श्रुत पंचमी पर्व पर मुनिश्री 108 अनंत सागर जी ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे धर्मसभा में कहा कि श्रुत पंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान पर्व है, जो जैन भाई-बंधुओं को वीतरागी संतों की वाणी सुनने, आराधना करने और प्रभावना बांटने का संदेश देता है। वहीं इसके पूर्व तिलक नगर जिनालय से धर्म ग्रंथों व जिनवाणी की शोभायात्रा भी गाजे-बाजे के साथ निकाली गई।

श्री दिगंबर जैन पारमार्थिक धार्मिक न्यास के मीडिया प्रभारी राहुल जैन (स्पोटर््स) ने बताया कि सुबह के सत्र में जिनालय में मुनिश्री विमल सागर, अनंत सागर, धर्म सागर एवं भाव सागर के सान्निध्य में अभिषेक व शांतिधारा की विधियां विधिकारकों के निर्देशन में पूर्ण की गई। इसके पश्चात श्रुत पंचमी पर्व पर धर्म ग्रंथों व जिनवाणी की भव्य शोभायात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में समाज बंधुओं के साथ ही महिलाएं भी शामिल हुए। यात्रा में जहां महिलाएं केशरिया परिधान में नजर आई तो वहीं पुरूष भी श्वेत वस्त्र धारण कर शामिल हुए। यात्रा के संपूर्ण मार्ग में अलग-अलग संगठनों द्वारा गुरूवर की पाद-पक्षालन के साथ अगवानी भी की गई। शोभायात्रा के समापन के पश्चात मुनिश्री को श्रावक-श्राविकाओं द्वारा शास्त्र भी भेंट किए गए। तिलक नगर जिनालय पर श्रुत पंचमी पर्व के साथ ही मुनिश्री के सान्निध्य में जिनालय का 60 वां स्थापना दिवस भी मनाया गया। रमेश अरोन को नए ऋतु यंत्र के अभिषेक का लाभ प्राप्त हुए तो वहीं राजू श्रीफल को मुनिश्री के आहारचर्या का लाभ प्राप्त हुआ। तिलक नगर में आयोजित श्रुत पंचमी पर्व पर अध्यक्ष विमल अजमेरा, सुभाष गंगवाल, सुरेश लोहाडिय़ा, राजेंद्र मोदी, मयंक पहाडिय़ा, विशाल पण्ड्या, अनिल सेठी, राजूश्री फल, ऋषभ जैन, देव चौधरी, सचिन उद्योगपति, मनोज छाबड़ा सहित बड़ी संख्या में समाज बंधु उपस्थित थे।

श्रुत पंचमी का महत्व- राहुल जैन (स्पोटर््स) ने बताया कि जैन समाज में श्रुत पंचमी पर्व का अपना अलग महत्व है। श्रुत पंचमी के पवित्र दिन मंदिरों और अपने घरों में रखे हुए पुराने ग्रंथों की साफ-सफाई कर, धर्मशास्त्रों का जीर्णोद्धार किया जाता है। उनमें जिल्द चढ़ाई जाती है। शास्त्रों और ग्रंथों के भंडार की साफ-सफाई करके उनकी पूजा की जाती है।

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