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किताब की कोई कुण्डली नहीं बना सकता- शर्मा

ग़ज़ल वक्त के साथ चलती है- अंसारी

‘इक चेहरा ख़्याल में’ का विमोचन सम्पन्न

*ग़ज़ल वक्त के साथ चलती है- अंसारी *

किताब की कोई कुण्डली नहीं बना सकता-  शर्मा

इन्दौर। सुनील कुमार ‘नील’ के ग़ज़लनुमा कविताओं के संग्रह ‘इक चेहरा ख़्याल में’ का लोकार्पण संस्मय द्वारा इंदौर प्रेस क्लब में रविवार को सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में लोकार्पण मुख्य अतिथि अज़ीज़ अन्सारी, अध्यक्षता राकेश शर्मा, विशेष अतिथि सुदर्सनन पार्थसारथी, डॉ. विजय कुमार सोनिया के करकमलों से हुआ। पुस्तक को संस्मय प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

स्वागत उद्बोधन मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने किया। कार्यक्रम का संचालन अखिलेश राव व आभार प्रेरणा कुमार ने किया।

मुख्य अतिथि अज़ीज़ अन्सारी ने कहा कि ‘ग़ज़ल वक्त के साथ चलती है, ज़िन्दगी के साथ, हालात के साथ चलती है। ग़ज़ल केवल प्यार-मोहब्बत की ही बातें नहीं करती बल्कि समाज की सच्चाई को बयां भी करती है। ऐसी ही ग़ज़लनुमा कविताएँ इस किताब में हैं।’

अध्यक्षीय सम्बोधन में राकेश शर्मा ने कहा कि ‘किताब की कोई कुण्डली नहीं बना सकता। रचना का कोई काल समय तय नहीं होता।’

चर्चाकार गौरव गौतम ने कहा कि ‘इस किताब में भावों का सतही वर्णन नहीं बल्कि भावों को अंदर तक महसूस करने वाली गहराई है।’

विशेष अतिथि कर्मचारी राज्य बीमा निगम के क्षेत्रीय निदेशक सुदर्सनन पार्थसारथी एवं सहायक आचार्य डॉ. विजय कुमार सोनिया ने भी शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।

आयोजन में अरविंद जोशी, सुरेश रायकवार, मुकेश तिवारी, डॉ. सुनीता फड़नीस, अर्चना शर्मा, कीर्ति मेहता, सुरेन्द्र कुमार हमसफ़र, पुलकित जैन, डॉ. भरत कुमार भानु, जालम सिंह अहिरवार, नितेश कुशवाह, यश पटेल, रिया मोरे आदि मौजूद रहे।

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