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जल्द आएगी रीजन की रिपोर्ट फिर काम पकड़ेगा रफ्तार मेट्रोपोलिटन रीजन प्रोजेक्ट के लिए जिलों के राजस्व और भू-अभिलेख रिकॉर्ड मांगे।

चार शहरों को मिलाकर इंदौर बनेंगे महानगर रियल एस्टेट समेत कृषि और ग्रामीण विकास में मदद मिलेगी।

आशीष यादव धार

मध्यप्रदेश में शहरों की सूरत बदली जा रही है। प्रदेश के बड़े नगरों को अब दिल्ली, मुंबई, चैन्नई जैसे महानगरों में परिवर्तित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने प्रदेश की राजधानी भोपाल, प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर, संस्कारधानी जबलपुर और ग्वालियर को महानगरों यानि मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में बदलने की योजना पर काम करना शुरु कर दिया है। इसी क्रम में इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन बनाने की तैयारी भी प्रारंभ कर दी गई है। इंदौर महानगर में आसपास के जिलों के हजारों वर्ग किमी क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन की सीमाएं तय होने के बाद कंसल्टेंट कंपनी द्वारा अपनी निरीक्षण रिपोर्ट सोमवार तक देने की संभावना है। इसके बाद रीजन का काम और आगे बढ़ने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री औद्योगिक विकास के मद्देनजर धार, इंदौर, उज्जैन, देवास ,शाजापुर जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन बनाने की घोषणा कर चुके हैं। इस पर कागजी काम शुरू भी हो गया है। सीमाएं तय हो गई हैं और अब कंसल्टेंट कंपनी इसकी इंस्पेक्शन रिपोर्ट अगले सप्ताह तक दे देगी। इसके लिए कुछ जिलों के अलग-अलग राजस्व और भू-अभिलेख रिकॉर्ड मांगे जा रहे हैं।

100 से ज्यादा गांवों रिकार्ड खंगाले:
100 से ज्यादा गांवों का वास्तविक डेटा मिलना बाकी
इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन प्लान (आईएमआर) के गठन के लिए सीएम की मंजूरी के बाद सीमाएं तय हो चुकी हैं। इन्हीं सीमाओं के अधीन आने वाले गांवों के राजस्व रिकॉर्ड अब खंगाले जा रहे हैं। कहां, कितनी सरकारी जमीनें हैं, कहां इंडस्ट्री सहित अन्य तरह की जमीनें हैं, यह पड़ताल भी की जा रही है। इंदौर सहित पांचों जिलों के राजस्व रिकॉर्ड और भू-अभिलेख के डेटा भी निकाले जा रहे हैं। बताया गया कि अभी 100 से ज्यादा गांवों का वास्तविक डेटा मिलना बाकी है। एक बार डेटा मिलने के बाद कंसल्टेंट कंपनी इसका विश्लेषण कर अगली रिपोर्ट देगी।

औद्योगिक विकास पर फोकस:
रीजन में औद्योगिक क्षेत्र के विकास पर खासा फोकस किया गया है और इसे दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जोड़ा है। बदनावर में पीएम मित्रा पार्क आ रहा है, जो कपड़ा उद्योग का बड़ा हब होगा, इसलिए उसे जोड़ा तो धार के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को भी शामिल किया गया। इनके अलावा देवास, मक्सी के औद्योगिक क्षेत्र को भी लिया गया है। वही आइएमआर में इंदौर को बेस बनाया गया है, जिसमें उज्जैन, धार, देवास और शाजापुर जिले शामिल हैं। इंदौर का एयरपोर्ट बड़ा है तो उज्जैन व धार के साथ दो अन्य जगह हवाई पट्टी है। इंदौर, उज्जैन, मसी और नागदा में रेलवे का बड़ा जंक्शन है तो सड़क मार्ग के लिए नेशनल हाई-वे में मुंबई- आगरा, अहमदाबाद- इंदौर और नागपुर के साथ दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को लिया गया है।

5 से 6 चरण में पूरी होगी प्रक्रिया:
इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन में करीब 5 से 6 चरण में रीजनल प्लान बनाने की प्रक्रिया पूरी होगी। एक बार रिकॉर्ड मिलने के बाद लैंड पार्सल, भविष्य की योजनाओं का क्रियान्वयन, इंडस्ट्रीयल हब, टूरिज्म, इंटरटेनमेंट, आईटी, आईटीईएस, नॉलेज हब जैसे प्रोजेक्ट की प्लानिंग हो सकेगी। इसी के साथ पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्रों में विकास को प्रतिबंधित करना, वाटर बॉडी को संरक्षित करना, ग्रीन कवर को बनाए रखना, सुरक्षा और विकास के लिए विशेष क्षेत्र की कार्ययोजना बनाना भी प्रमुख काम होंगे।

सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट बनेगा:
मेट्रोपॉलिटन एरिया बनाने के लिए इसमें शामिल जिलों की अलग-अलग तहसील, निकायों का डेटा, वहां की जनसंख्या, स्थापित उद्योग, क्षेत्र की विशेषता की स्टडी होगी। पहले एक सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट बनेगा। इसके बाद वहां की भौगोलिक, आर्थिक, धार्मिक-सामाजिक स्थिति का आकलन होगा। कहां कौन सी इंडस्ट्री है, किस तरह की जरूरतें हैं, इसका भी खाका तैयार होगा।

मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनेगी:
मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके दो तिहाई सदस्य मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधि होंगे। इन्हें रीजन की आबादी के अनुपात के हिसाब से शामिल किया जाएगा। कमेटी को महानगर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का जनसंख्या के आधार पर बंटवारा, नियोजित विकास, जमीन के उपयोग में परिवर्तन और उपलब्ध फंड के हिसाब से योजनाएं बनाकर राज्य सरकार को भेजने का अधिकार होगा।

राज्य और केंद्र के बीच एमओयू साइन होगा:
मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड एक ही बैंक खाते में संयुक्त तौर पर आएगा। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक एमओयू साइन होगा। केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल शहरों के अनुपात में तय होगा। इसी अनुपात में विकास कार्यों के लिए राशि खर्च होगी।

बुनियादी ढांचे और स्मार्ट सिटी विकासः
योजना में शामिल होने से नए उद्योगों और निवेशकों को आकर्षित करने का अवसर मिलेगा। नई टाउनशिप, सड़कें, पुल, लॉजिस्टिक पार्क और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। स्वच्छता, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा।

•रोजगार के अवसरों में वृद्धिः नए उद्योगों और व्यापारिक विस्तार से स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

•पर्यावरण और जल संरक्षणः योजना में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए हरे क्षेत्रों और जल स्रोतों को संरक्षित करने पर ध्यान दिया गया है। झीलों, तालाबों और छोटे नदियों के संरक्षण की योजना बनाई जा रही है।

•रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावाः योजना के तहत भोपाल-इंदौर में शहरी क्षेत्र से लगे इलाकों में नई आवासीय योजनाएं और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल आएगा और निवेशकों के लिए नए अवसर बनेंगे।

•कृषि और ग्रामीण विकासः दोनों क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। योजना के तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी। कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों में बेचने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा।

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