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कामना से की गई भक्ति भगवान स्वीकार नहीं करते- आचार्य पं. हर्षित शास्त्री

भारत माता मंदिर में जारी शिव महापुराण कथा में सैकड़ों भक्तों ने किया कथा का रसपान

इन्दौर। भागवत भजन के लिए कोई आयु सीमा तय नहीं होती है। समय रहते ही भागवत भजन कर लेना चाहिए। भगवान की भक्ति तो कई प्रकार से की जाती है। लेकिन सर्वश्रेष्ठ भक्ति निष्काम भक्ति को माना गया है। भगवान की भक्ति में अगर कामना आ जाती है तो भगवान भक्ति को स्वीकार नहीं करते हैं। उक्त विचार गुरूवार को सुखलिया स्थित सुखेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में प्रारंभ हुई शिव महापुराण कथा के प्रथम दिन आचार्य पं. हर्षित शास्त्री ने भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कथा शुभारंभ से पूर्व भक्तों को शिव महापुराण कथा का महत्व भी समझाया। श्री शिव महापुराण कथा महोत्सव समिति आयोजक सुरजीतसिंह-जसप्रीत वालिया एवं ठाकुर बृजकिशोरसिंह-हेमलता राजावत ने बताया कि सुखलिया स्थित भारत माता मंदिर परिसर में शिव महापुराण कथा प्रतिदिन 3 से 6 बजे तक आयोजित की जा रही है। जिसमें प्रतिदिन मातृशक्तियां कथा का श्रवण कर रही हैं। गुरूवार को कथा शुभारंभ के पूर्व व्यासपीठ का पूजन उत्तमसिंह वालिया, अन्नू जादौन, ओम पानेरी, रंजीत भमौरिया, पवन राजौरिया, जयदीप पंवार, नीलेश जायसवाल, जितेंद्र राठौर ने किया। शिव महापुराण कथा के साथ ही मातृशक्तियों द्वारा पार्थिव शिवलिंग निर्माण भी किए जाएंगे जिसका विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य में अभिषेक-पूजन भी किया जाएगा

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