जंगल बचाने को लेकर वन विभाग के अधिकारियों में ली कर्मचारियों बैठक जमीनीस्तर पर जाकर करे काम ग्रमीणों को दे जानकारी।
जल गंगा संवर्धन अभियान, वानिकी कार्यों व रोपण, तेन्दूपत्ता संग्रहण, कृषको की निजी भूमि पर बांस रोपण. एवं अतिक्रमण की रोकथाम विषयों पर चर्चा

आशीष यादव धार
जंगल को बचाने के लिए विभाग की नही आम लोगो को भी आना होगा आगे इसको लेकर धार स्थित वनमंडल कार्यालय परिसर स्थित ईको सेंटर धार में वनमंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन जिसमे कर्मचारियों को जंगल के प्रति अपनी जबादारी व उसकी सुरक्षा किस तरह से की जाए इसका भी ध्यान आपके माध्यम से ओर ग्रमीणों के साथ मिलकर करने होंगे। वनमंडलाधिकारी धार अशोक कुमार सोलंकी के मार्गदर्शन में उपवनमंडलाधिकारी धार, सरदारपुर संतोष कुमार रनशोरे के नेतृत्व में किया गया। जिसमें सेवानिवृत्त उपवनमंडलाधिकारी अभय जैन द्वारा समस्त परिक्षेत्र अधिकारियों, परिक्षेत्र सहायको एवं वनरक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें जल गंगा संवर्धन अभियान, वानिकी कार्यों व रोपण, तेन्दूपत्ता संग्रहण, कृषको की निजी भूमि पर बांस रोपण. एवं अतिक्रमण की रोकथाम विषयों पर प्रशिक्षित किया गया।
वन क्षेत्र में अतिक्रमण की बेदखली एवं रोकथाम:
धार जिले के वनक्षेत्रों में लगभग 3000 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र में अतिक्रमण हटाकर उसमें कंटूर ट्रेंच, जल संचयन संरचना, सतत कंटूर एवं पशु अवरोध खंतियां इत्यादि खोदी जाकर अतिक्रणकारियों को बेदखल किया गया है। हटाये गये अतिक्रमण के क्षेत्र में बीज बुवाई कार्य एवं पौधा रोपण कार्यों को करवाया जावेगा। शेष अतिक्रमण क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने की कार्य आयोजना के प्रस्ताव तैयार कर वरिष्ठ कार्यालय को प्रेषित किये गये है, एवं हटाए गए अतिक्रमण क्षेत्र में से 1000 हेक्टेयर से अधिक वनक्षेत्र में सलई कलम का रोपण एवं स्थानीय प्रजातियों के बीज बुवाई कार्य के प्रस्ताव तैयार कर वनमंडल धार द्वारा वरिष्ठ कार्यालय को स्वीकृति हेतु प्रेषित किये गये है।
जल गंगा संवर्धन अभियान:
धार जिले के वन क्षेत्र में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत् जल स्त्रोतों के संरक्षण के कार्य किये जा रहे है। जिसमें प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नाले, नदी, तालाब, झिरिया एवं बावड़ियों आदि को जन सहयोग के माध्यम से साफ किया जाकर कार्यवाही की गई है एवं आगे भी कार्यवाही की जावेगी। जिससे वनक्षेत्र में जल की उपलब्धता बढने से वन्यप्राणियों को साल के 12 महीने पर्याप्त पानी पीने हेतु उपलब्ध हो रहा है एवं वन्यप्राणीयों का जंगल से गाँव की ओर आना भी कम हो गया है। जिससे जनहानि, जन घायल, पशु हानि एवं पशु घायल होने की घटनाएं कम हुई हैं।
वन क्षेत्र में समितियां एवं चरवाहों की बैठक:
वनक्षेत्रों में चरवाहों एवं वन समिति सदस्यों की बैठके लगातार आयोजित की जाकर चरवाहों को वनक्षेत्र के बन्द क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र जैसे वृक्षारोपण, कूप, पुनरूत्पादन क्षेत्र, नर्सरी, बीज उत्पादन क्षेत्र आदि से अवगत कराया गया जा रहा है एवं प्रतिबंधित क्षेत्र को छोडकर शेष क्षेत्र में ही पशुओं को चराई कराने, प्रतिबंधित वृक्षारोपण क्षेत्र में उसी घांस को काटकर पुले बांधकर घर ले जाकर बंधे मवेशियों को खिलाए जाने, रात में पशुओं को घर के अन्दर सुरक्षित स्थल पर बांधने, चराई के दौरान कोई कुल्हाडी आदि हथियार साथ न रखने, वनक्षेत्र में आग न लगाने एवं अग्नि घटना की सूचना तत्काल देने, किसी भी वन्यजीव, पशु, पक्षी को क्षति न पहुँचाने तेन्दुआ मांसाहारी वन्यप्राणी दिखाई देने पर वन अमले को तत्काल सूचित सूचित करने एवं स्वयं को सुरक्षित रखने वन क्षेत्र क्षेत्र में में किसी शिकारी की जानकारी मिलने पर तत्काल वन अमले को अवगत कराए जाने, जंगल में वन्यप्राणियों के बच्चे दिखाई देने पर उनके पास नहीं जाने एवं उन्हें नहीं छुने वन क्षेत्र के पेयजल स्त्रोतों को साफ सुथरा रखने की समझाईश दी जा रही है। वन्य प्राणियों द्वारा जन हानि होने पर मध्य प्रदेश शासन की योजना अनुसार परिवार को ₹ 8 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है एवं जन घायल होने पर इलाज पर हुआ व्यय प्रदान किया जाता है इसी प्रकार वन्य प्राणियों द्वारा पशु हानि या घायल होने पर पशुओं की प्रजाति अनुसार मुआवजे का प्रावधान किया गया है प्रत्येक बकरी के लिए ₹3000 तक, दुधारू गाय के लिए ₹30000 तक भैंस के लिए ₹30000 तक मुआवजे का प्रावधान है । यदि वन्यप्राणी द्वारा पशु का शिकार कर दिया जाता है तो पशु को मौका स्थल पर ही रहने दिया जावे, उसे उठाकर नहीं लावे एवं मुआवजा राशि के लिए लोक सेवा केन्द्र पर आवेदन करने की समझाईश दी जा रही है।
वनों की अग्नि से सुरक्षा
वनो की अग्नि से सुरक्षा करने हेतु चरवाहों के व्हाट्सऐप ग्रुप का गठन किया जा रहा है जिसमें चरवाहो को बीटगार्ड एवं परिक्षेत्र सहायक के नाम एवं मोबाईल नम्बर प्रदाय किये जा रहे है। वनों में अग्नि घटना होने पर वनों को बहुत नुकसान होता है जैसे बड़े-बड़े पेड़ों से लेकर छोटे-छोटे पौधे नष्ट हो जाते हैं, एवं उनके बीज भी जलकर नष्ट हो जाते हैं जिससे भविष्य में नए पौधे उगाने एवं जंगल बनने की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है, पक्षियों के घोसले जल जाते हैं एवं उनकी मृत्यु भी हो जाती है, मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी कम हो जाती है, मिट्टी के अंदर सूक्ष्मजीव एवं जमीन के अंदर रहने वाले वन्य प्राणी भी जलकर नष्ट हो जाते हैं, मिट्टी की जलसंधारण क्षमता भी कम हो जाती है जिस नदी नालों तालाबों के पानी के स्रोत खत्म हो जाते हैं साथ ही वन क्षेत्र में उगने वाली घास भी नष्ट हो जाती है जिससे चराई हेतु घास उपलब्धता कम हो जाती है।
बांस मिशन योजना अंतर्गत बांस का रोपण:
बांस मिशन योजना अंतर्गत कृषकों की निजी भूमि पर 20000 बांस पौधों के रोपण हेतु लक्ष्य प्राप्त हुआ है जिस हेतु कृषको से उनकी निजी भूमि के खसरा पावती आधार कार्ड बैंक पास बुक एवं शपथ पत्र प्राप्त किये जाकर रजिस्ट्रेशन किया जावेगा तत्पश्चात बारिश के समय बांस का पौधारोपण कार्य कृषकों द्वारा किया जावेगा, जिस हेतु कृषकों को बांस पौधों पर मिलने वाली अनुदान राशि ₹120 प्रति पौधा का भुगतान कृषको को तीन किश्तों में शासन के निर्देशानुसार किया जाता है। बांस रोपण से कृषक अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।
तेंदूपत्ता संग्रहण:
तेन्दूपत्ता सीजन प्रारंभ होने जा रहा है जिसमें वर्ष 2025 मे वनमंडल धार की 12 लघु वनोपज समितियों के तहत् 4448 मानक बोरा लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 4000 रु प्रति मानक बोरा का लाभ तेन्दूपत्ता हितग्राहियों को प्रदान किया जावेगा एवं जिस हेतु हितग्राहियों को उच्च गुणवत्ता का 50-50 पत्तो की गड्डी तैयार कर लाने एवं लाभ प्राप्त करने हेतु समझाईश दी जा रही है। तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य से धार जिले के लगभग 5000 संग्राहक परिवार लाभांवित होगें। विगत वर्ष 2024 में धार जिले के अंतर्गत 12 समितियां में 125 प्रतिशत तेंदूपत्ता संग्रहण किया गया जिससे तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को अतिरिक्त लाभ बोनस के रूप में प्राप्त होगा, मध्य प्रदेश शासन के पेसा एक्ट के तहत भी ग्राम सभाओं के माध्यम से तेंदूपत्ता संग्रहण एवं विपणन का कार्य उनके स्वयं के द्वारा किया जा रहा है, जिससे संग्रह स्वयं तेंदूपत्ता का संग्रहण एवं विपणन कर अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन वन परिक्षेत्राधिकारी धार महेश कुमार अहिरवार द्वारा किया गया जिसमें परिक्षेत्राधिकारी धामनोद विवेक पटेल, मांडव श्री कमलेश प्रसाद मिश्रा, सरदारपुर शैलेन्द्र सोलंकी, कुक्षी होशियार सिंह कन्नौजे एवं समस्त वन अमला वनमंडल धार का उपस्थित रहा ।