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जहरीले कचरे के निपटान का अंतिम ट्रायल पूरा, आज होगी हाईकोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट 30 टन कचरा जलाया।

पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे के निपटान का तीसरा और अंतिम ट्रायल पूरा हो गया। अब हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की जाएगी।

आशीष यादव धार

रामकी एनवायरो प्लांट में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे के निपटान का तीसरा और अंतिम ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। तीन चरणों में किए गए इस ट्रायल के दौरान कुल 30 टन जहरीला कचरा भस्म किया गया। अब इस प्रक्रिया की पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है, जिसे आज 27 मार्च को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। यह ट्रायल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार किया गया था, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) की निगरानी में संचालित किया गया। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का मामला 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के कारखाने में बचा हुआ जहरीला रासायनिक कचरा पिछले कई वर्षों से सुरक्षित निपटान की प्रतीक्षा में था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इसे वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जा रहा है।

तीन चरणों में पूरा हुआ कचरा निपटान ट्रायल:
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निष्पादन के लिए पीथमपुर में तीन चरणों में ट्रायल किया गया।
पहला चरण: 27 फरवरी को 135 किलो प्रति घंटे की दर से कचरा जलाया गया।
दूसरा चरण: 4 मार्च को 100 किलो प्रति घंटे की दर से कचरे का निष्पादन किया गया।
तीसरा चरण: 10 मार्च को 270 किलो प्रति घंटे की दर से कचरा जलाकर ट्रायल पूरा किया गया।

हाईकोर्ट में रिपोर्ट के बाद होगा आगे का निर्णय
तीनों चरणों के ट्रायल रन के नतीजों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली गई है, जिसमें पर्यावरणीय मानकों का विश्लेषण किया गया है। यह रिपोर्ट 27 मार्च को हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी, जहां आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा। सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस ट्रायल को सफल बताया है, लेकिन पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों में अभी भी चिंता बनी हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. हेमंत हिरोले सहित कई अन्य संगठनों ने राख और पानी की गुणवत्ता से संबंधित रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस कचरे को जलाने से पर्यावरण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ा है।

नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल:
मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने इस मुद्दे पर सरकार से सवाल किया। उन्होंने पूछा कि आखिर यह जहरीला कचरा पीथमपुर में ही क्यों जलाया जा रहा है? उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह कचरा विदेश भेजने के बजाय पीथमपुर लाया गया, जिससे यहां के नागरिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की अपील की। इससे पहले, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी इस कचरे के निष्पादन का विरोध जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार को इसे पीथमपुर में जलाने के बजाय सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीकों से निपटाने के अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

स्थानीय लोगों में गहरी चिंता:
हालांकि सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ट्रायल को सफल मान रहे हैं, लेकिन पीथमपुर के स्थानीय लोगों में इस प्रक्रिया को लेकर आशंका बनी हुई है। नागरिकों को डर है कि इस जहरीले कचरे को जलाने से क्षेत्र में वायु प्रदूषण बढ़ सकता है और इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। कचरे के जलने के बाद बची राख में भारी धातुएं और विषैले तत्व हो सकते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। केवल हवा की गुणवत्ता रिपोर्ट क्यों ?’ उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केवल हवा की गुणवत्ता की रिपोर्ट जारी की है, लेकिन राख और पानी के सैंपल की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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